काशीपुर/कोटद्वार/रुद्रपुर/अल्मोड़ा/बागेश्वरः चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ नव संवत्सर 2079 के साथ हो गया है. नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की जा रही है. पूरे देशभर के साथ उत्तराखंड में भी मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. मंदिरों में मां के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो रहा है. कोरोनाकाल के बाद इस तरह की रौनक मंदिरों में देखने को मिली है.
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. यह पर्व बताता है कि झूठ कितना भी बड़ा और पाप कितना भी ताकतवर क्यों न हो, अंत में जीत सच्चाई और धर्म की ही होती है.
काशीपुर के विभिन्न मंदिरों में गूंज रहे माता भवानी के जयकारेः काशीपुर के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली. नगर के मां मनसा देवी शक्तिपीठ मंदिर, मां चामुंडा देवी शक्तिपीठ मंदिर के अलावा मां बाल सुंदरी देवी मंदिर, चौराहे वाली माता मंदिर समेत अनेक मंदिरों में मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की गई. काशीपुर में मां चामुंडा मंदिर करीब सौ वर्ष पुराना है. मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धालु अपनी मन्नत और मनोकामना मांगता है, वो जरूर पूरी होती है. वहीं, भक्त मंदिरों के साथ साथ घरों में भी पूजा करते दिखे.
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बीते 2 सालों से नवरात्रि के अवसर पर कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते पूजा नहीं हो पाई थी. मंदिर भी नहीं खुल पाए थे. ऐसे में एक बार फिर मंदिरों में रौनक दिखाई दी तो श्रद्धालुओं के चेहरे खुशी से खिल उठे. वहीं, मंदिर के मुख्य पुजारियों ने श्रद्धालुओं को अभी भी कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की सलाह दी. साथ ही किसी भी तरह कोताही न बरतने की हिदायत भी देते दिखे.
कोटद्वार में मां दुर्गा मंदिर की है रोचक कहानीः कोटद्वार से 10 किमी दूरी में पौड़ी मार्ग पर मां दुर्गा का एक मंदिर स्थित है. जहां चैत्र नवरात्रि पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. इस मंदिर के पीछे एक रोचक कहानी भी है. पंडित हर्षमणि बताते हैं कि दुर्गा मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है. ब्रिटिश काल के समय जब कोटद्वार-दुगड्डा रोड का कटिंग का कार्य चल रहा था तो यहां पर सड़क बनाने में ठेकेदार को सफलता नहीं मिल रही थी.
एक दिन मुस्लिम मुंशी के सपनों में माता प्रकट हुईं और गुफा में पूजा करने को कहा, लेकिन मुस्लिम मुंशी ने बात स्वीकार नहीं की. फिर हिंदू मजदूर के सपने में माता ने गुफा में पूजा अर्चना करने की बात की, तभी रोड बन पाएगी. यह बात मजदूर ने ठेकेदार को बताई. ठेकेदार ने गुफा में विधिवत पूजा की. तभी रोड कटिंग का काम सुचारू रूप से हुआ.
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रुद्रपुर के अटरिया देवी मंदिर में भक्तों का हुजूमः रुद्रपुर स्थित प्राचीन अटरिया में सुबह से ही श्रद्धालु माता रानी के दर्शन कर रहे हैं. श्रद्धालु कतार में लगकर देवी मां के दर्शन करने के साथ ही पूजा अर्चना कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं. मान्यता है कि प्राचीन मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मंदिर परिसर में भव्य मेले का भी आयोजन होता है. जिसकी तैयारियां भी की जा रही हैं.
अल्मोड़ा स्याही देवी मंदिर का कत्यूर राजाओं ने एक रात में किया था निर्माणः चैत्र नवरात्रि के अवसर पर सांस्कृतिक और धार्मिक नगरी अल्मोड़ा के तमाम मंदिरों में बड़ी भीड़ जमा हुई. ऐतिहासिक स्याही देवी मंदिर में भागवत कथा का आयोजन शुरू हो गया है. नवरात्रि के अवसर पर स्याही देवी मंदिर में भजन, कीर्तन, भागवत कथा और भंडारे समेत तमाम धार्मिक आयोजन किए जाएंगे. वहीं, शीतलाखेत बाजार से महिलाओं और पुरुषों ने पारंपरिक वेशभूषा में भव्य कलश यात्रा निकाली.
बता दें कि अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर घने जंगलों में स्थित स्याही देवी मंदिर कत्यूर राजाओं की ओर से निर्मित एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह मां कात्यायनी देवी का मंदिर है. कहा जाता है कि इस मंदिर को कत्यूर राजाओं ने एक ही रात में बनाया था. इस मंदिर की प्राचीनता और यहां के वातावरण की शांति आपके ऊपर इस कदर हावी हो जाती है कि आप एक पल के लिए अपनी सुधबुध खो बैठेंगे.
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बागेश्वर में पारंपरिक वेशभूषा में महिलाओं ने निकाली कलश यात्राः चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष के मौके पर पारंपरिक वेशभूषा में महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली. नवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओं ने प्रसिद्ध कोट भ्रामरी मंदिर में मां की पूजा अर्चना की. हिंदू नववर्ष के शुभारंभ पर आरएसएस ने पदयात्रा कर देश की खुशहाली की कामना की. चैत्राष्टमी को बागेश्वर के डंगोली में स्थित विख्यात कोट भ्रामरी मंदिर में मेला लगता है. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में जुटते हैं.