बागेश्वर: उत्तराखंड की युवा पीढ़ी को अपनी धरोहर से जोड़ने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं. ताकि वे अपनी संस्कृति से रूबरू हो सकें. इसी को लेकर अपनी धरोहर मंच की बैठक में संस्कृति बचाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया. बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सरकार को चेतना होगा, यदि इस पर ठोस कार्य नहीं किया तो आने वाली पीढ़ी माफ नहीं करेगी. बैठक में अप्रैल माह में नेपाल से गढ़वाल तक गोलज्यू संदेश यात्रा को लेकर चर्चा की गई.
नगर पालिका सभागार में आयोजित बैठक में संस्था के अध्यक्ष पूर्व पुलिस महानिरीक्षक गणेश मर्तोलिया ने कहा कि मंच का उद्देश्य अपनी संस्कृति को बचाने के लिए सभी को एकमंच पर लाना है. उन्होंने कहा कि जिन स्थानों में गोलज्यू के स्थान हैं, वहां का पता लगाकर वार्ता की जाएगी और यात्रा आयोजित की जाएगी. वहीं उन्होंने बैठक यात्रा में शिल्पी, जगरिए व डंगरियों को शामिल करने का सुझाव दिया.
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साथ ही उन्होंने संस्कृति बचाने के साथ पलायन रोकने की बात कही. पर्यावरणविद् किशन मलड़ा व रमेश पर्वतीय ने कहा कि संस्था के माध्यम से गोलज्यू वन स्थापित किए जाएं. साथ ही पारंपरिक वाद्य यंत्र व स्थानीय भाषा के संरक्षण की आवश्यकता जताई. अध्यक्षता करते हुए मोहन जोशी ने कहा कि सरकारों की लापरवाही के चलते कुमाऊंनी भाषा का पाठयक्रम अब तक प्रारंभ नहीं हो पाया है, जिस पर कार्य करना होना चाहिए. गोल्ज्यू संदेश यात्रा को भव्य रूप से निकालने पर चर्चा की गयी.