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Gandhi Jayanti 2021: 'महात्मा' के 14 दिनों के प्रवास का गवाह है अनासक्ति आश्रम

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Published : Oct 2, 2021, 10:13 AM IST

कौसानी स्थित अनासक्ति आश्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पूरे 14 दिन बिताए थे. इतना हीन हीं यही उनके द्वारा अनासक्ति योग की प्रस्तावना भी लिखी गई.

mahatma gandhi
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बागेश्वर: पर्यटन नगरी कौसानी की सुंदरता से हर कोई अभिभूत हो जाता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कौसानी को भारत के स्विट्जरलैंड की संज्ञा भी दी. महज दो दिन के प्रवास के लिए यहां आए बापू को यहां की वादियां इतनी भायीं कि वह पूरे 14 दिन तक यहीं रुके रहे. यही पर उनके द्वारा अनासक्ति योग की प्रस्तावना भी लिखी गई.

बता दें कि आजादी के आंदोलन के दौरान वर्ष 1929 में भारत भ्रमण के बाद महात्मा गांधी ने थकान मिटाने के लिए पहाड़ों का रुख किया. जून के दूसरे पखवाड़े में वह दो दिन के प्रवास के लिए कौसानी पहुंचे. यहां के अद्वितीय सौंदर्य, हिमालय की पर्वत शृंखलाएं और शांत वादियों को देखकर उन्होंने अपना विचार बदल लिया और पूरे 14 दिन तक यहां रुके रहे.

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गांधी जी की वंशावली.

कौसानी में बापू जहां पर रुके थे, वहां किसी ब्रिटिश नागरिक ने चाय का स्टोर बनाया था, जो उस समय खाली पड़ा था. इस स्थान से कत्यूर घाटी और हिमालय का विहंगम दृश्य दिखाई देता था. जो महात्मा गांधी को बेहद पसंद आया और उन्होंने यहीं पर बैठकर अपनी पुस्तक 'अनासक्ति योग' की प्रस्तावना लिखी. गांधी जहां रुके थे, आजादी के बाद उस स्थान को डाक बंगले में बदल दिया गया.

वर्ष 1966 में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने महात्मा गांधी की यादों को लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस स्थान को गांधी स्मारक निधि को सौंप दिया. निधि ने इसे आश्रम का रूप दिया और इसका नामकरण बापू की पुस्तक 'अनासक्ति योग' के आधार पर अनासक्ति आश्रम रखा. आश्रम में हर वर्ष देश और विदेश के सैलानी आते हैं. शोधकर्ताओं, दार्शनिकों, आध्यात्म की जानकारी रखने वाले भी आश्रम में आकर बापू के जीवन दर्शन को समझने का प्रयास करते हैं. बापू के जीवन को करीब से समझने के लिए भी आश्रम मुफीद स्थल है.

https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13236317_c-1.jpg
गांधी जी के तीन बंदर.

पढ़ें: चारधाम यात्रा के लिए ई-पास बना मुसीबत, बिना रजिस्ट्रेशन श्रद्धालु नहीं कर पा रहे दर्शन

अनासक्ति आश्रम में महात्मा गांधी के जीवन काल से जुड़ी 150 दुर्लभ तस्वीरें उपलब्ध हैं. इन चित्रों में 1887 से 1891 के दौरान इंग्लैंड में बैरिस्टर की पढ़ाई के दौरान से लेकर उनकी अस्थियों के विसर्जन तक की यादें जुड़ी हैं. आश्रम में महात्मा गांधी और उनकी धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी की एक तस्वीर भी मौजूद है.

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अनासक्ति आश्रम में लगा गांधी जी का चित्र.

आश्रम के संग्रहालय में प्रवेश करते ही बायीं दीवार पर टंगा यह दुर्लभ चित्र है, जिसे दक्षिण अफ्रीका में खींचा गया था. वहीं, अनासक्ति आश्रम में महात्मा गांधी की वंशावली के बारे में भी जानकारी मौजूद है. संग्रहालय में मौजूद एक चित्र में उनकी वंशावली को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है, जिसकी सहायता से लोगों को बापू की कई पीढ़ियों की जानकारी मिलती है.

गांधी स्मारक निधि के सदस्य व अनासक्ति आश्रम के संचालक व कृष्णा सिंह बिष्ट ने बताया कि 1995 में कौसानी के गांधी ग्राम घोषित हुआ था. उस समय गांधी स्मारक निधि ने संग्रहालय में उनके जीवन से जुड़ी 201 तस्वीरों को उपलब्ध कराया था. वर्तमान में 150 फोटो ही रह गई है. जिन्हें संग्रहालय की दीवारों पर आगंतुकों के दर्शनार्थ सहेजकर रखा गया है.

बागेश्वर: पर्यटन नगरी कौसानी की सुंदरता से हर कोई अभिभूत हो जाता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कौसानी को भारत के स्विट्जरलैंड की संज्ञा भी दी. महज दो दिन के प्रवास के लिए यहां आए बापू को यहां की वादियां इतनी भायीं कि वह पूरे 14 दिन तक यहीं रुके रहे. यही पर उनके द्वारा अनासक्ति योग की प्रस्तावना भी लिखी गई.

बता दें कि आजादी के आंदोलन के दौरान वर्ष 1929 में भारत भ्रमण के बाद महात्मा गांधी ने थकान मिटाने के लिए पहाड़ों का रुख किया. जून के दूसरे पखवाड़े में वह दो दिन के प्रवास के लिए कौसानी पहुंचे. यहां के अद्वितीय सौंदर्य, हिमालय की पर्वत शृंखलाएं और शांत वादियों को देखकर उन्होंने अपना विचार बदल लिया और पूरे 14 दिन तक यहां रुके रहे.

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गांधी जी की वंशावली.

कौसानी में बापू जहां पर रुके थे, वहां किसी ब्रिटिश नागरिक ने चाय का स्टोर बनाया था, जो उस समय खाली पड़ा था. इस स्थान से कत्यूर घाटी और हिमालय का विहंगम दृश्य दिखाई देता था. जो महात्मा गांधी को बेहद पसंद आया और उन्होंने यहीं पर बैठकर अपनी पुस्तक 'अनासक्ति योग' की प्रस्तावना लिखी. गांधी जहां रुके थे, आजादी के बाद उस स्थान को डाक बंगले में बदल दिया गया.

वर्ष 1966 में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने महात्मा गांधी की यादों को लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस स्थान को गांधी स्मारक निधि को सौंप दिया. निधि ने इसे आश्रम का रूप दिया और इसका नामकरण बापू की पुस्तक 'अनासक्ति योग' के आधार पर अनासक्ति आश्रम रखा. आश्रम में हर वर्ष देश और विदेश के सैलानी आते हैं. शोधकर्ताओं, दार्शनिकों, आध्यात्म की जानकारी रखने वाले भी आश्रम में आकर बापू के जीवन दर्शन को समझने का प्रयास करते हैं. बापू के जीवन को करीब से समझने के लिए भी आश्रम मुफीद स्थल है.

https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13236317_c-1.jpg
गांधी जी के तीन बंदर.

पढ़ें: चारधाम यात्रा के लिए ई-पास बना मुसीबत, बिना रजिस्ट्रेशन श्रद्धालु नहीं कर पा रहे दर्शन

अनासक्ति आश्रम में महात्मा गांधी के जीवन काल से जुड़ी 150 दुर्लभ तस्वीरें उपलब्ध हैं. इन चित्रों में 1887 से 1891 के दौरान इंग्लैंड में बैरिस्टर की पढ़ाई के दौरान से लेकर उनकी अस्थियों के विसर्जन तक की यादें जुड़ी हैं. आश्रम में महात्मा गांधी और उनकी धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी की एक तस्वीर भी मौजूद है.

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अनासक्ति आश्रम में लगा गांधी जी का चित्र.

आश्रम के संग्रहालय में प्रवेश करते ही बायीं दीवार पर टंगा यह दुर्लभ चित्र है, जिसे दक्षिण अफ्रीका में खींचा गया था. वहीं, अनासक्ति आश्रम में महात्मा गांधी की वंशावली के बारे में भी जानकारी मौजूद है. संग्रहालय में मौजूद एक चित्र में उनकी वंशावली को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है, जिसकी सहायता से लोगों को बापू की कई पीढ़ियों की जानकारी मिलती है.

गांधी स्मारक निधि के सदस्य व अनासक्ति आश्रम के संचालक व कृष्णा सिंह बिष्ट ने बताया कि 1995 में कौसानी के गांधी ग्राम घोषित हुआ था. उस समय गांधी स्मारक निधि ने संग्रहालय में उनके जीवन से जुड़ी 201 तस्वीरों को उपलब्ध कराया था. वर्तमान में 150 फोटो ही रह गई है. जिन्हें संग्रहालय की दीवारों पर आगंतुकों के दर्शनार्थ सहेजकर रखा गया है.

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