बागेश्वर: शामा उप तहसील की घोषणा के पांच साल बाद भी कामकाज शुरू नहीं हो पाया है. एक साल पहले उप तहसील का आलीशान भवन बनकर तैयार हो गया था, जो कामकाज शुरू न होने के कारण धूल फांक रहा है. कार्यालय में स्वीकृत पदों के सापेक्ष एक भी कर्मचारी तैनात नहीं है. उपतहसील में कार्य न होने से लोग काफी नराज है.
बता दें कि शामा उपतहसील की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने की थी. उनके कार्यकाल में 15 अक्तूबर 2016 को राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा और तत्कालीन विधायक ललित फर्स्वाण, तत्कालीन जिपं अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने भनार के खड़लेख तोक में 1 करोड़ 52 लाख 97 हजार रुपये की लागत से बनने वाले उपतहसील के भवन का भूमि पूजन किया था. जिसके बाद बड़ी पन्याली के पंचायत घर में उपतहसील का कार्यालय खोला गया, लेकिन कर्मचारियों की तैनाती नहीं की गई. वर्ष 2020 में भवन बनकर तैयार हो गया था. 19 फरवरी 2020 को जिले के भ्रमण पर आए तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बागेश्वर में भवन का लोकार्पण किया था. लेकिन लोकार्पण के 13 महीने बीत जाने के बाद भी उपतहसील का संचालन नहीं हो पाया है.
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वहीं, शामा उपतहसील का निर्माण क्षेत्र की महरगाढ़ घाटी, रामगंगा घाटी और माजखेत घाटी की 19 ग्राम पंचायतों को लाभ दिलाने के लिए किया गया था. लेकिन भवन का लोकार्पण होने के बाद भी ग्रामीणों की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी हैं. वहीं, उप ग्राम प्रधान भनार नरेंद्र सिंह कोरंगा ने बताया कि लोगों को प्रमाण पत्र बनवाने सहित अन्य जरूरी कार्य करवाने के लिए अब भी कपकोट की दौड़ लगानी पड़ रही है. सरकार बिचला दानपुर के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. बिना उपतहसील के संचालन के भवन का लोकार्पण कर दिया गया है. लेकिन उपतहसील में कामकाज शुरू न होने के कारण लोगों को कपकोट जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि क्षेत्रीय विधायक भी लोगों की परेशानी समझने का प्रयास नहीं कर रहे हैं.