बागेश्वर: कपकोट ब्लॉक के सुन्दरढूंगा ग्लेशियर में फंसे स्थानीय गाइड खिलाफ सिंह दानू का तीसरे दिन भी रेस्क्यू नहीं हो पाया है. वहीं बंगाल के पांच पर्यटकों की वहां पर मौत हो चुकी है. उनके शवों को भी अभीतक नहीं लाया गया है. वहीं इस परिस्थितियों में स्थानीय गाइड खिलाफ सिंह दानू के जीवन पर भी संकट मंडरा रहा है.
जानकारी के मुताबिक बंगाल के पांच पर्यटकों को साथ एक स्थानीय गाइड और चार पोर्टर खाटी से सुन्दरढूंगा ग्लेशियर के लिए 16 अक्टूबर को ट्रैकिंग पर निकले थे. लेकिन 20 अक्टूबर को अचानक मौसम खराब हो गया और सभी 10 लोग बर्फीले तूफान में फंस गए थे. इस दौरान चारों पोर्टर घायल भी हो गए थे. लेकिन वे जैसे-कैसे खाटी तक पहुंच गए थे.
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उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के पांचों को पर्यटकों की मौत हो गई है. वहीं स्थानीय गाइड खिलाफ सिंह दानू भी घायल हैं. बर्फीले तूफान में उनका जीवन भी संकट में है. वहां से आए पोर्टर ने बताया कि गाइड खिलाफ सिंह के पास एक वॉकी टॉकी था, जिसकी लोकल रेंज पांच किमी की है. उसके माध्यम से उन्होंने जातोली के लोगों को 20 अक्टूबर शाम को सूचना दे दी थी. स्थानीय लोगों ने तभी प्रशासन को सूचित कर दिया था.
इसके बाद 21 अक्टूबर को गाइड खिलाफ सिंह के भाई आनंद सिंह, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि चंदन सिंह सहित लगभग 100 स्थानीय लोग उनकी खोज में खाती गांव से 9Km दूर जातोली तक पहुंच गए थे, लेकिन जब प्रशासन के कर्मचारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख वाछम गांव के दौउ तोक में पहुंचे तो इन लोगों ने उन्हें वापस बुला लिया. प्रशासन ने सभी लोगों को विश्वास दिलाया कि 22 अक्टूबर की सुबह हेलीकॉप्टर और sdrf फंसे हुए लोगों को रेस्क्यू करेंगी.
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आनंद सिंह ने बताया कि उच्च हिमालयी बर्फीले क्षेत्रों में सुबह 6 बजे से 10 बजे तक ही उड़ान भरी जा सकती है. इसके बाद बादलों के कारण वहां लैंड करना संभव नहीं होता है. इसके बाद भी दोपहर दो बजे तक हेलीकॉप्टर की कोई व्यवस्था नहीं की गई. 23 अक्टूबर सुबह तक भी हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू करने की कोई सूचना नहीं थी. ऐसे में कम ही उम्मीद है कि वहां फंसा गाइड जिंदा बचा होगा. क्योंकि उसके पास न तो पीने के लिए पानी और न ही खाने के लिए भोजन था. हालांकि ग्रामीणों के एक दल ने अब खुद ही वहां जाने के निर्णय लिया है, ताकि वे दानू को रेस्क्यू कर ला सकें.
चन्दन सिंह ने कहा कि प्रशासन से उन्हें अब कोई उम्मीद नहीं है. आज करीब 20 लोगों का दल बना चुके हैं और वे अपने साथी को ढूंढने जा रहे हैं. चन्दन सिंह ने बताया कि एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की जो टीम यहां पहुंची थी, उसके पास पूरे इक्विपमेंट नहीं थे. इसीलिए वे कोई काम नहीं कर पाए.
पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति देखे बिना ही चॉपर से रेस्कयू किया जा रहा है. जबकि सुबह 5 से 10 बजे तक ही यहां मौसम सही रहता है. चॉपर से करीब 12 बजे बाद रेस्क्यू किया जा रहा है, जिस वजह से तीन दिनों से चॉपर कुछ काम नहीं कर पाया है. उन्होंने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति देखे बिना ही कार्य करने पर समय व धन के फालतू नुकसान की बात कही. उन्होंने कहा कि देरी ज्यादा होने की वजह से अब किसी का बच पाना भी संभव नहीं दिख रहा है.