बागेश्वर: जनपद में मत्स्य पालन रोजगार का एक बेहतर जरिया बनने लगा है. वर्तमान में बागेश्वर जिले में 450 लोग मछली पालन से जुड़े हुए हैं. इनमें 80 प्रवासियों ने भी मछली पालन को अपनी आजीविका बनाया है. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य विभाग ने भी कई योजनाएं प्रारंभ की हैं. युवाओं को रोजगार देने के लिए उनको मछली पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
कभी पहाड़ी गांवों में मछली पालना सपना सा था. अब पहाड़ों में भी मछली उत्पादन स्वरोजगार का जरिया बनने लगा है. कुछ साल पहले गिने-चुने किसानों ने मछली पालन का रोजगार शुरू किया था. वहीं, अब कुमाऊं क्षेत्र में बड़ी संख्या में ग्रामीण मछली पालन करने लगे हैं. जिनकी संख्या साल दर साल बढ़ते ही जा रही है.
वर्तमान में बागेश्वर जिले में 450 लोग मछली पालन से जुड़ हुए हैं और अपनी आजीविका चला रहे हैं. बागेश्वर जिले के थौंणाई गांव के दीपक ने फरीदाबाद में रोजगार के लिए डेयरी का काम किया, लेकिन उसमें वो सफल नहीं हो पाए. जिसके बाद वो अपने गांव आ गए.
ये भी पढ़ें: विकासनगर में सरकारी योजनाओं की उपेक्षा, जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा लाभ
लॉकडाउन में उन्हें सरकार की कई रोजगार योजनाओं के बारे में पता चला. अनलॉक होने के बाद दीपक ने मछली पालन करने की ठानी और मत्स्य विभाग में इस बारे में पता किया. जिसके बाद दीपक ने मछली पालन का काम शुरू कर दिया. मछली पालन से आज दीपक हर महीने एक लाख से ज्यादा की आय अर्जित करने लगे हैं.
पहले कृषि के साथ पशुपालन ही लोगों की आजीविका होती थी. अब मछली पालन भी आजीविका का साधन बन गया है. वहीं मत्स्य विभाग का कहना है कि मछली पालन को ग्रामीणों की आय का मुख्य जरिया बनाने का लक्ष्य है. जिले में इस कार्य को बढ़ाने के पूरे प्रयास चल रहे हैं. ताकि ग्रामीणों की आजीविका मजबूत करने में मछली पालन प्रमुख भूमिका निभा सके.