बागेश्वर: पिंडारी ग्लेशियर से लौट रहे 42 देशी और विदेशी पर्यटकों को सुरक्षित कपकोट लाया गया है. ये सभी लोग द्वाली के समीप फंस गए थे. खरकिया से टैक्सियों के जरिए पर्यटकों को कपकोट लाया गया. वहीं, वन विभाग की अनुमति के बिना ग्लेशियर की ओर गए पर्यटकों पर कार्रवाई भी तय है. इतना ही नहीं, अब ग्लेशियर जाने वालों के पंजीकरण आदि को लेकर बेहतर सिस्टम भी तैयार किया जाएगा.
जिलाधिकारी विनीत कुमार ने बताया कि द्वाली से 42 पर्यटक और स्थानीय लोगों का सुरक्षित रेस्क्यू पूरा हो गया है. बंगाल के लगभग 15 व करीब 6 विदेशी पर्यटकों का भी रेस्क्यू किया गया है. पर्यटकों को पांच टैक्सियों के जरिए कपकोट लाया गया, जहां उनके नाम, पता आदि की जानकारी जुटाई गई. पर्यटकों के मेडिकल परीक्षण के बाद उन्हें जिला मुख्यालय की तरफ रवाना कर दिया गया है.
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जिलाधिकारी विनीत कुमार ने बताया कि, वन विभाग से सूचना मिली है कि किसी भी ट्रैकर ने पंजीकरण नहीं करवाया था, जबकि वन विभाग ने ग्लेशियर की ओर जाने वालों के लिए पंजीकरण की व्यवस्था की है. रजिस्ट्रेशन नहीं कराने के बावजूद बंगाल के पर्यटक बिना अनुमति वहां गए और फंस गए. ऐसे पर्यटकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. डीएम ने बताया कि ग्लेशियर आने-जाने वालों पर अब प्रशासन नजर रखेगा. सिस्टम को बेहतर बनाया जाएगा.
वही, पिंडारी ग्लेशियर से लौटे पर्यटकों ने प्रशासन का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि वो करीब एक हफ्ते पहले पिंडारी की तरफ निकले थे. मौसम खराब होने और पुलों के बहने से वहीं फंस गए थे. वापस लौटने की उन्हें काफी खुशी है.
सुंदरढूंगा में ट्रैकर लापताः वहीं, सुंदरढूंगा में गए 10 पर्यटकों में से 4 वापस आ चुके हैं. 5 की मौत और एक के लापता होने की सूचना थी, पर खराब मौसम की वजह से आज भी हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू अभियान नहीं चलाया जा सका. जिला प्रशासन ने बताया कि शनिवार (23 अक्टूबर) को फिर से रेस्क्यू अभियान चलाया जाएगा.
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वहीं, कफनी ग्लेशियर की तरफ झूनी और खल्झूनी गांव के भेड़-बकरी पालक गए थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 25 पहुंच गई है. वह सभी सुरक्षित हैं. उन्हें पखुवा टॉप पर लाया जा रहा है. वो यहां अपने मवेशियों के साथ लगभग अभी तीन महीने तक रहेंगे.
गौर हो कि उत्तराखंड में सितंबर, अक्टूबर और नवंबर महीने में बड़ी तादाद में पर्यटक पहाड़ों का रुख करते हैं. बागेश्वर जिले में तीन स्थानों- सुंदरढूंगा, कफनी और पिंडारी ग्लेशियर में पर्यटक ट्रैकिंग के लिए जाते हैं, जो 15 सितंबर से 15 नवंबर तक कराई जाती है. बताया जा रहा है कि ये पर्यटक भी घाटी में ट्रैकिंग के लिए गए थे, जहां ये लोग फंस गए.
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