बागेश्वर: 13वें राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन का सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुभारंभ हो गया है. सम्मेलन में देश के कोने-कोने से भाषा के जानकार पहुंच रहे हैं. तीन दिवसीय इस सम्मेलन में भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करवाने की पहल होगी. साथ ही भाषा के संरक्षण व संवर्द्धन पर चिंतन-मंथन होगा.
कार्यक्रम में पहुंचे मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक चंदन राम दास ने कहा भाषा और बोली उस क्षेत्र, राज्य तथा देश की पहचान होती है. कुमाऊंनी के संरक्षण के लिए हमें अपने घर से पहल करनी होगी. बच्चे शिक्षा किसी भी भाषा में लें, लेकिन उन्हें अपनी भाषा आनी चाहिए. यह सम्मेलन नई पीढ़ी को भाषा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा.
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आज साहित्याकार, कलाकार तथा भाषा के जानकार कैलखुरिया मंदिर के पास एकत्र हुए. यहां से वे नरेंद्रा पैलेस के सभागार में पहुंचे. यहां दीप जलाकर अतिथियों ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया. विधायक ने कहा अब नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को आगे बढ़ाने की पहल हो रही है. क्षेत्रीय भाषाएं अब रोजगारपरक भी होंगी. इसके लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करना होगा.
विशिष्ट अतिथि पूर्व जिला जज जयदेव सिंह ने कहा भाषा से हमारी पहचान होती है. उन्होंने कहा यदि कोई बोलते -बोलते ठैरा कहेगा तो वह कुमाऊं का होगा, यदि काख जांण बल कहेगा तो उत्तरकाशी, कख जांणी छै तो चमोली या पौड़ी का होगा. भाषा हमारी पहचान है. इसे बचाए रखना सबके लिए जरूरी है.
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अध्यक्षता करते हुए केश्वानंद चंदोला ने कहा आज बाहर जाने के बाद कई युवाओं को अपनी भाषा नहीं आने की कमी खल रही है. कुछ युवा इसके बाद अपनी भाषा सीख रहे हैं. सभी अभिभावकों की जिम्मेदारी है वह अपने आने वाली पीढ़ी को अपनी भाषा से जरूर रूबरू कराएं.