अल्मोड़ा: राज्य गठन को 20 साल हो चुके हैं. इन वर्षों में प्रदेश में कई सरकारें आईं, लेकिन विकास कितना हुआ यह किसी से छुपा नहीं है. पहाड़ के गांव आज तक 'विकास' और 'कल्याण' की बाट जोह रहे हैं. चुनाव आते ही नेता बड़े-बड़े वादे और दावे करते हैं और चुनाव के बाद सभी वादे हवा हवाई हो जाते हैं. पहाड़ में कई गांव ऐसे हैं जहां आज तक विकास की किरण तक नहीं पहुंची है.
प्रदेश के पहाड़ी जनपदों में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां आज तक सड़क नहीं पहुंची है. ऐसा ही एक गांव अल्मोड़ा जनपद के हवलबाग ब्लॉक में स्थित है. अल्मोड़ा-रानीखेत मोटर मार्ग पर स्थित द्वारसों से लगभग 7 किलोमीटर दूर गुरना के ग्रामीणों ने सालों तक सरकार से सड़क की गुहार लगाई. ग्रामीणों की मांग पर सरकार की ओर से 6 किलोमीटर सड़क बनवाई गई, लेकिन गांव तक सड़क फिर भी नहीं पहुंची. इसी बीच लॉकडाउन में ग्रामीणों ने अपने गांव तक सड़क पहुंचाने की ठान ली है.
सरकार ने ग्रामीणों की एक भी नहीं सुनी
ग्रामीणों का कहना है कि वो सालों से स्थानीय विधायक और सांसद से इस संबंध में बात कर चुके हैं लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. इसी बीच लॉकडाउन में गांव के कई युवा बाहरी राज्यों से घर पहुंचे हैं. इनमें कोई मुम्बई में इंजीनियर हैं तो कोई दिल्ली में कारोबारी है. सभी ने मिलकर बची सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया है. प्रवासी युवाओं के साथ गांव के अन्य लोग भी उनका हाथ बटा रहे हैं.
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ग्रामीणों के इस जज्बे को हवलबाग ब्लॉक प्रमुख बबीता भाकुनी ने सराहा है और इसको पहाड़ के युवाओं की एक उपलब्धि बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में पहाड़ का युवा पलायन कर रहा है. ऐसे कार्य से यहां की युवाओं में पहाड़ के प्रति जागरुकता बढ़ेगी.