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गांव छोड़ पंचायत भवन में रहने को मजबूर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, एसडीएम का किया घेराव - प्रशासन

ग्रामीणों का कहना है कि रैलाकोट आपदा को 2 महीने से अधिक का समय बीत चुका है. जिसके बाद से लगातार गांव की जमीन धीरे धीरे बैठ रही है. जिसके कारण गांव पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जल्द से जल्द उन्हें विस्थापित किया जाए.

गांव छोड़ पंचायत भवन में रहने को मजबूर ग्रामीण
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Published : Apr 15, 2019, 9:04 PM IST

अल्मोड़ा: आपदा से बचाव के नाम पर सरकार लाख दावे करती है, लेकिन जनप्रतिनिधि व सरकारी तंत्र आपदा को लेकर कितने गंभीर है उसकी बानगी अल्मोड़ा में देखने को मिली है. यहां करीब 2 महीना बीतने के बाद भी अभी तक हवालबाग ब्लॉक के रैलाकोट के ग्रामीणों का विस्थापन नहीं किया गया है. जिसके कारण यहां के ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर पंचायत घर में रहने को मजबूर हैं.

गांव छोड़ पंचायत भवन में रहने को मजबूर ग्रामीण


बता दें कि अल्मोड़ा शहर से सटे रैलाकोट गांव में 2 महीने पहले बारिश के दौरान जमीन खिसकने से चार मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे. गांव के चारों ओर दरारें पड़ने लगी थी. दरार पड़ने के कारण धीरे-धीरे यहां की जमीन खिसकने लगी. जिसके बाद आनन-फानन में ग्रामीणों ने किसी तरह अपनी जान बचाई. घटना की सूचना मिलने पर प्रशासन ने अस्थाई तौर पंचायत घर में ग्रामीणों की रहने की व्यवस्था की, लेकिन तब से लेकर अबतक प्रशासन ने इस मामले में कुछ नहीं किया. जिससे गुस्साये ग्रामीणों ने आज एसडीएम सीमा विश्वकर्मा का घेराव कर मामले में कार्रवाई करने की मांग की है.


ग्रामीणों का कहना है कि रैलाकोट आपदा को 2 महीने से अधिक का समय बीत चुका है. जिसके बाद से लगातार गांव की जमीन धीरे धीरे बैठ रही है. जिसके कारण गांव पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जल्द से जल्द उन्हें विस्थापित किया जाए.


वहीं इस मामले में सदर एसडीएम सीमा विश्वकर्मा का कहना है कि बीते कुछ दिनों पहले भू वैज्ञानिकों ने गांव का मुआयना किया था. जैसे ही उनकी रिपोर्ट आती है उसके हिसाब से विस्थापन की प्रक्रिया की जाएगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को आने वाले बुधवार को मीटिंग के लिए बुलाया गया है.

अल्मोड़ा: आपदा से बचाव के नाम पर सरकार लाख दावे करती है, लेकिन जनप्रतिनिधि व सरकारी तंत्र आपदा को लेकर कितने गंभीर है उसकी बानगी अल्मोड़ा में देखने को मिली है. यहां करीब 2 महीना बीतने के बाद भी अभी तक हवालबाग ब्लॉक के रैलाकोट के ग्रामीणों का विस्थापन नहीं किया गया है. जिसके कारण यहां के ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर पंचायत घर में रहने को मजबूर हैं.

गांव छोड़ पंचायत भवन में रहने को मजबूर ग्रामीण


बता दें कि अल्मोड़ा शहर से सटे रैलाकोट गांव में 2 महीने पहले बारिश के दौरान जमीन खिसकने से चार मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे. गांव के चारों ओर दरारें पड़ने लगी थी. दरार पड़ने के कारण धीरे-धीरे यहां की जमीन खिसकने लगी. जिसके बाद आनन-फानन में ग्रामीणों ने किसी तरह अपनी जान बचाई. घटना की सूचना मिलने पर प्रशासन ने अस्थाई तौर पंचायत घर में ग्रामीणों की रहने की व्यवस्था की, लेकिन तब से लेकर अबतक प्रशासन ने इस मामले में कुछ नहीं किया. जिससे गुस्साये ग्रामीणों ने आज एसडीएम सीमा विश्वकर्मा का घेराव कर मामले में कार्रवाई करने की मांग की है.


ग्रामीणों का कहना है कि रैलाकोट आपदा को 2 महीने से अधिक का समय बीत चुका है. जिसके बाद से लगातार गांव की जमीन धीरे धीरे बैठ रही है. जिसके कारण गांव पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जल्द से जल्द उन्हें विस्थापित किया जाए.


वहीं इस मामले में सदर एसडीएम सीमा विश्वकर्मा का कहना है कि बीते कुछ दिनों पहले भू वैज्ञानिकों ने गांव का मुआयना किया था. जैसे ही उनकी रिपोर्ट आती है उसके हिसाब से विस्थापन की प्रक्रिया की जाएगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को आने वाले बुधवार को मीटिंग के लिए बुलाया गया है.

Intro: सरकार जहां आपदा के नाम पर दावे तो कई करती है लेकिन जनप्रतिनिधि व सरकारी तंत्र आपदा को लेकर कितना गंभीर है उसकी बानगी अल्मोड़ा में देखने को मिली। करीब 2 महीने से अधिक समय बीत चुका है अभी तक हवालबाग ब्लाक के रैलाकोट के ग्रामीणों का विस्थापन नहीं किया गया जिस कारण यहां के ग्रामीण अपने घरों को छोड़ बाहर पंचायतघर में रहने को मजबूर हैं। बता दें कि अल्मोड़ा शहर से सटे रैलाकोट गांव में 2 माह पहले बारिश के दौरान पूरे गांव में जमीन खिसकने से चार मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे, गांव के चारों ओर दरारें पड़ने लगी, जमीन धीरे धीरे खिसकने लगी जिसके बाद आनन-फानन में ग्रामीणों ने किसी तरह अपनी जान बचाई और इसकी सूचना प्रशासन को दी। जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को स्थाई तौर पर पंचायत घर में ग्रामीणों के ठहरने की व्यवस्था तो की गई। उसके बाद प्रशासन ने ग्रामीणों की कोई सुध नहीं ली। प्रशासन द्वारा ग्रामीणों की कोई सुध नहीं लेने पर आक्रोशित ग्रामीणों ने आज एसडीएम सीमा विश्वकर्मा का घेराव किया और जल्द से जल्द करने की मांग की।


Body:ग्रामीणों का कहना है कि रैलाकोट में आपदा आई 2 माह से अधिक का समय हो गया है। गांव की जमीन धीरे धीरे बैठ रही है। वहाँ हमेशा खतरा मंडरा रहा है। हम लोग तब से पंचायत घर मे रह रहे हैं, हमारी मांग वहाँ से अन्यत्र विस्थापन की है, लेकिन अभी तक ग्रामीणों को विस्थापन नहीं किया गया है। बारिश में जमीन लगातार धस रही है और हमे अपनी जान जोखिम में डालकर रात को बाहर रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन प्रशासन किसी प्रकार की सुध नहीं ले रहा है ।
वही इस मामले में एसडीएम सदर सीमा विश्वकर्मा का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। पिछले दिनों जब यहाँ आपदा आयी थी तो भू बैज्ञानिक ने गांव का मुआवना किया था , उनकी रिपोर्ट अभी प्राप्त नही हुई है,जैसे ही उनकी रिपोर्ट आती है उस हिसाब से विस्थापन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को बुधवार को बुलाया है उनकी पूरी फाइल निकाली जा रही है।

बाइट- 1 लालू प्रसाद, प्रधानपति रैलाकोट
बाइट- 2 जगदीश राम, ग्रामीण रैलाकोट
बाइट 3 सीमा विश्वकर्मा ,एसडीएम सदर



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