सोमेश्वर: नगर की बौरारौ घाटी में स्थित 100 से अधिक गांवों के किसान अपनी आर्थिक जरुरतों को पूरा करने के लिए आलू की खेती करते हैं. लेकिन बीते कुछ समय से जंगली जानवरों के आतंक और सरकार की हीलाहवाली के चलते अब किसानों का मोह खेती से भंग हो गया है. किसानों का कहना है कि उन्हें उचित मूल्य पर उन्नत बीज नहीं मिल रहे हैं.
बता दें कि बौरारौ घाटी में आलू का उत्पादन बहुतायत में होता है. साल 2016 तक उद्यान विभाग किसानों को धारचूला और मुनस्यारी से आलू बीज निर्धारित कीमतों पर उपलब्ध करता था. लेकिन बीते कई सालों से उद्यान विभाग किसानों को आलू के बीज उपलब्ध नहीं करा पा रहा है. जिसके चलते यहां के किसान चमोली जिले के थराली और ग्वालदम से महंगे दामों में आलू का बीज खरीद कर खेती कर रहे हैं. लेकिन जंगली जानवर किसानों की खेती को लगातार नुकासन पहुंचा रहे हैं. जिसके चलते बौरारौ घाटी में आलू की पैदावार नाम मात्रा की रह गई है. ऐसे में किसानों को साल दर साल काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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वहीं, बौरारौ घाटी के अधूरिया गांव के पूर्व प्रधान गिरीश राणा ने बताया कि उन्हें सरकार द्वारा उचित बीज नहीं मिल पा रहा है. साथ ही जंगली जानवरों के आतंक के कारण वो आलू के उत्पादन का कार्य छोड़ने को विवश हैं. उनका कहना है कि पिछले साल उन्होंने 6500 रुपये का आलू बीज खेतों में बोया था. लेकिन तीन दिनों के भीतर ही जंगली सूअरों ने उनके खेत खोदकर सारा बीज नष्ट कर दिया. ऐसे में कई बार वो सरकार से भी गुहार लगा चुके हैं. लेकिन अभी तक सरकार ने इन गांवों की कोई सुध नहीं ली है.