सोमेश्वर: जल संस्थान कोसी नदी पर 6 करोड़ रुपए की लागत से लिफ्टिंग पेयजल योजना के तहत एक पंप हाउस बना रहा है. इसके साथ ही साई नदी और गदेरों के ऊपर पाइपलाइन बिछाने का काम कर रहा है. लेकिन बीते दिनों सोमेश्वर घाटी में हुई भारी बारिश के चलते पेयजल लाइन नदी में बह गई है. जल संस्थान की कार्यप्रणाली से नाराज लोगों ने निर्माण कार्यों की जांच कराने की मांग कर रहे हैं.
बता दें, तीन दिन पहले सोमेश्वर घाटी में हुई भारी बरसात के कारण पाइपलाइन ठप होने के कारण दर्जनों गांवों में पानी का संकट गहराया हुआ है. ओलागूंठ-तोलागूंठ पेयजल योजना में चनौदा बाजार की पेयजल आपूर्ति 12 दिनों से बंद पड़ी है, जबकि बूंगा, शैल, गुरुड़ा आदि गांवों में भी पानी के लिए ग्रामीण परेशान हैं और जल संस्थान के अधिकारी कुम्भकर्णी नींद में सो रहे हैं. सोमेश्वर-पल्यूड़ा पेयजल योजना में लगभग 25 पाइप बह चुके हैं, जिससे क्षेत्र में पीने के पानी की भारी किल्लत बनी हुई है.
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वहीं, अर्जुनराठ के ग्राम प्रधान सुरेश बोरा का कहना है कि लिफ्टिंग योजना का जहां से सर्वे हुआ था. वहां से पाइपलाइन नहीं बिछाई गई और विभाग की अनदेखी के कारण साई नदी के किनारे और गदेरों में बिछाई गई पाइपलाइन बहकर नदी में पहुंच गई है, उन्होंने इस योजना में हो रही लीपापोती और धन के दुरुपयोग की जांच कराने की मांग की है. इसके साथ ही स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कोसी नदी के ऊपर जो पंप हाउस बना रहा है, वो कभी भी बह सकता है.
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बता दें कि क्षेत्र में अनेक पेयजल योजनाएं बंद पड़ी हैं और सड़क किनारे लगाए गए हैंडपंप की कोई सुध लेने वाला नहीं है. हैंडपंपों की हालत यह है कि अधिकांश पंप से निकलने वाला पानी पीने योग्य ही नहीं है. ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग प्रति वर्ष योजनाओं के रखरखाव और मरम्मत के नाम पर लाखों की धनराशि खर्च करता है, लेकिन एक बरसात में ही योजनाओं की पोल खुलकर सामने आ जाती है.