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उत्तराखंड की हस्तकला को जीवंत रखने का प्रयास, बच्चों को सीखाए जा रहे गुर - सोमेश्वर में प्रशिक्षण शिविर

सोमेश्वर के राजकीय इंटर कॉलेज भूल खर्कवाल गांव में समग्र शिक्षा अभियान के तहत छात्र-छात्राओं को रिंगाल की विभिन्न प्रकार की सामग्री बनाने और विलुप्त हो रही स्थानीय उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस दौरान छात्राओं को घाघरा और पिछौड़ा बनाने के तौर तरीके बताए जा रहे हैं.

someshwar
छात्र-छात्राएं सीख रहे कला के गुर
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Published : Dec 27, 2020, 3:11 PM IST

सोमेश्वर: राजकीय इंटर कॉलेज भूल खर्कवाल गांव में समग्र शिक्षा अभियान के तहत छात्र छात्राओं को आर्ट एवं क्राफ्ट का प्रशिक्षण देने के लिए 30 दिवसीय शिविर का आयोजन शुरू हो गया है. विद्यालय प्रबंध समिति की अध्यक्ष रेखा रावत ने प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं से विलुप्त होती स्थानीय चीजों से बनी वस्तुओं के संरक्षण पर जोर देते हुए शिविर का लाभ लेने की अपील छात्र-छात्राओं से की.

पढ़ें- न्यू ईयर जश्न के लिए मिल सकती है राहत, सतपाल महाराज ने अधिकारियों को किया निर्देशित


विद्यालय के प्रधानाचार्य भूपेंद्र सिंह बजेठा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण शिविर में विलुप्त हो रही हस्तकला को जीवंत रखने के उद्देश्य से छात्र-छात्राओं को रिंगाल की टोकरियां, सूप, डलिया, छपरा आदि बुनाई के तौर तरीके बताए जा रहे हैं. सिलाई प्रशिक्षण के अंतर्गत छात्राओं को घाघरा और पिछौड़ा आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.


वहीं, इस शिविर में मास्टर ट्रेनर शंकर राम द्वारा रिंगाल बुनाई तथा चनी राम द्वारा सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण छात्र-छात्राओं को दिया जा रहा है. शिविर में विद्यालय के दर्जनों छात्र- छात्राओं द्वारा दैनिक आवश्यकता की घरेलू वस्तुओं का निर्माण करने का प्रशिक्षण लिया जा रहा है.

सोमेश्वर: राजकीय इंटर कॉलेज भूल खर्कवाल गांव में समग्र शिक्षा अभियान के तहत छात्र छात्राओं को आर्ट एवं क्राफ्ट का प्रशिक्षण देने के लिए 30 दिवसीय शिविर का आयोजन शुरू हो गया है. विद्यालय प्रबंध समिति की अध्यक्ष रेखा रावत ने प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं से विलुप्त होती स्थानीय चीजों से बनी वस्तुओं के संरक्षण पर जोर देते हुए शिविर का लाभ लेने की अपील छात्र-छात्राओं से की.

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विद्यालय के प्रधानाचार्य भूपेंद्र सिंह बजेठा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण शिविर में विलुप्त हो रही हस्तकला को जीवंत रखने के उद्देश्य से छात्र-छात्राओं को रिंगाल की टोकरियां, सूप, डलिया, छपरा आदि बुनाई के तौर तरीके बताए जा रहे हैं. सिलाई प्रशिक्षण के अंतर्गत छात्राओं को घाघरा और पिछौड़ा आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.


वहीं, इस शिविर में मास्टर ट्रेनर शंकर राम द्वारा रिंगाल बुनाई तथा चनी राम द्वारा सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण छात्र-छात्राओं को दिया जा रहा है. शिविर में विद्यालय के दर्जनों छात्र- छात्राओं द्वारा दैनिक आवश्यकता की घरेलू वस्तुओं का निर्माण करने का प्रशिक्षण लिया जा रहा है.

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