ETV Bharat / state

SSB प्रशिक्षित गुरिल्लों के आंदोलन को 12 साल पूरे, DM ऑफिस के बाहर हवन-पूजन

स्थायी नियुक्ति और पेंशन की मांग को लेकर आंदोलित एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लों के आंदोलन को आज 12 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन सरकार ने अबतक उनकी इन मांगों को पूरा नहीं किया है. इसी को लेकर आज गुरिल्लों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए जिलाधिकारी कार्यालय में हवन-पूजन किया.

SSB Guerrillas
SSB Guerrillas
author img

By

Published : Oct 26, 2021, 4:45 PM IST

अल्मोड़ा: एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लों के धरने को आज 12 साल पूरे हो गये हैं. इतने लंबे समय बाद भी मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर आज गुरिल्लों ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर बुद्धि-शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया. इस दौरान गुरिल्लों ने सरकार से जल्द ही उनकी मांगों पर कार्रवाई की मांग की.

एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ला संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानन्द डालाकोटी ने बताया कि भारत-चीन सीमा की सुरक्षा की कभी महत्वपूर्ण कड़ी रहे गुरिल्ला बीते 15 सालों से आंदोलनरत हैं. अल्मोड़ा जिलाधिकारी कार्यालय के प्रांगण में तो वह 12 साल से लगातार धरने में बैठे हैं. आज उनके धरने को अल्मोड़ा में 12 साल पूरे हो गए हैं. उन्होंने बताया कि साल 2002 में इनकी भूमिका को समाप्त कर दिया गया. इसलिए 2002 के बाद से ही ये आंदोलन चल रहा है.

SSB प्रशिक्षित गुरिल्लों के आंदोलन को 12 साल पूरे.

सरकार से अन्यत्र समायोजित करने की मांग: ब्रह्मानन्द डालाकोटी ने बताया कि आज सरकार अगर सीमाओं पर उनकी आवश्यकता नहीं समझती है, तो उन्हें अन्यत्र समायोजित किया जाए. सरकार द्वारा गुरिल्लों के हितों के लिए जो भी शासनादेश अभी तक जारी किये गये हैं उन पर कार्रवाई करे.

सरकार कर रही अनदेखी: जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने कहा कि इन 12 सालों में गुरिल्लों की केंद्र व राज्य सरकार समेत प्रशासन से जो वार्ता हुई है, सरकार द्वारा उनकी अनदेखी की जा रही है. इसलिए आज उनके धरने को 12 साल पूरे होने वह सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन-यज्ञ कर रहे हैं.

पढ़ें- अपनी मांगों को लेकर दिव्यांगों ने किया CM आवास कूच, पुलिस ने रोका

चीन युद्ध के बाद SSB ने स्वयं सेवकों को दिया प्रशिक्षण: साल 1962 में चीन युद्ध के बाद एसएसबी द्वारा स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण दिया गया था. आपातकाल के समय गुरिल्लाओं को एसएसबी ने कई महीनों का प्रशिक्षण भी दिया था. उत्तराखंड में आज भी 20 हजार से अधिक एसएसबी गुरिल्ला हैं, जिन्हें एसएसबी ने कई महीनों का प्रशिक्षण दिया है. ये गुरिल्ला आपातकाल के समय सेना को गुप्त सूचनाएं पहुंचाने का काम करते हैं.

आंदोलन को 12 साल पूरे: दरअसल, साल 2002 के बाद गुरिल्लों का प्रशिक्षण बंद हो गया था. इसके बाद गुरिल्लों का सत्यापान केंद्र और राज्य सरकार कर चुकी है लेकिन उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया. अल्मोड़ा में गुरिल्लों के आंदोलन को 12 वर्ष पूरे हो गए हैं.

स्थानी नौकरी और पेंशन की मांग: एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ले लंबे समय से स्थायी नियुक्ति और पेंशन की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी इन मांगों को लगातार अनदेखा कर रही है. इस समय गुरिल्लों की संख्या देश में करीब एक लाख और उत्तराखंड में 20 हजार है, जिन्होंने अपना महत्वपूर्ण समय देश की सेवा में लगाया है.

अल्मोड़ा: एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लों के धरने को आज 12 साल पूरे हो गये हैं. इतने लंबे समय बाद भी मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर आज गुरिल्लों ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर बुद्धि-शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया. इस दौरान गुरिल्लों ने सरकार से जल्द ही उनकी मांगों पर कार्रवाई की मांग की.

एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ला संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानन्द डालाकोटी ने बताया कि भारत-चीन सीमा की सुरक्षा की कभी महत्वपूर्ण कड़ी रहे गुरिल्ला बीते 15 सालों से आंदोलनरत हैं. अल्मोड़ा जिलाधिकारी कार्यालय के प्रांगण में तो वह 12 साल से लगातार धरने में बैठे हैं. आज उनके धरने को अल्मोड़ा में 12 साल पूरे हो गए हैं. उन्होंने बताया कि साल 2002 में इनकी भूमिका को समाप्त कर दिया गया. इसलिए 2002 के बाद से ही ये आंदोलन चल रहा है.

SSB प्रशिक्षित गुरिल्लों के आंदोलन को 12 साल पूरे.

सरकार से अन्यत्र समायोजित करने की मांग: ब्रह्मानन्द डालाकोटी ने बताया कि आज सरकार अगर सीमाओं पर उनकी आवश्यकता नहीं समझती है, तो उन्हें अन्यत्र समायोजित किया जाए. सरकार द्वारा गुरिल्लों के हितों के लिए जो भी शासनादेश अभी तक जारी किये गये हैं उन पर कार्रवाई करे.

सरकार कर रही अनदेखी: जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने कहा कि इन 12 सालों में गुरिल्लों की केंद्र व राज्य सरकार समेत प्रशासन से जो वार्ता हुई है, सरकार द्वारा उनकी अनदेखी की जा रही है. इसलिए आज उनके धरने को 12 साल पूरे होने वह सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन-यज्ञ कर रहे हैं.

पढ़ें- अपनी मांगों को लेकर दिव्यांगों ने किया CM आवास कूच, पुलिस ने रोका

चीन युद्ध के बाद SSB ने स्वयं सेवकों को दिया प्रशिक्षण: साल 1962 में चीन युद्ध के बाद एसएसबी द्वारा स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण दिया गया था. आपातकाल के समय गुरिल्लाओं को एसएसबी ने कई महीनों का प्रशिक्षण भी दिया था. उत्तराखंड में आज भी 20 हजार से अधिक एसएसबी गुरिल्ला हैं, जिन्हें एसएसबी ने कई महीनों का प्रशिक्षण दिया है. ये गुरिल्ला आपातकाल के समय सेना को गुप्त सूचनाएं पहुंचाने का काम करते हैं.

आंदोलन को 12 साल पूरे: दरअसल, साल 2002 के बाद गुरिल्लों का प्रशिक्षण बंद हो गया था. इसके बाद गुरिल्लों का सत्यापान केंद्र और राज्य सरकार कर चुकी है लेकिन उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया. अल्मोड़ा में गुरिल्लों के आंदोलन को 12 वर्ष पूरे हो गए हैं.

स्थानी नौकरी और पेंशन की मांग: एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ले लंबे समय से स्थायी नियुक्ति और पेंशन की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी इन मांगों को लगातार अनदेखा कर रही है. इस समय गुरिल्लों की संख्या देश में करीब एक लाख और उत्तराखंड में 20 हजार है, जिन्होंने अपना महत्वपूर्ण समय देश की सेवा में लगाया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.