अल्मोड़ाः प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में सावन के महीने शिव की पूजा अर्चना और अनुष्ठान का विशेष महत्व माना जाता है. यहां हर साल सावन महीने में श्रावणी का मेला लगता है. जो पूरे एक महीने तक चलता है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण मेला आयोजित नहीं हो पाएगा. फिलहाल, मंदिर में रोजाना जिले के 100 श्रद्धालु ही दर्शन कर पाएंगे.
बता दें कि, अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण देवदार के घने जंगलों के बीच जागेश्वर धाम स्थित है. जहां भगवान शिव महामृत्युंजय के रूप में विराजमान है. जागेश्वर धाम में 125 मंदिर समूह विराजमान हैं, जो ऐतिहासिक एवं पुरातत्व दृष्टि से महत्वपूर्ण मंदिर है. इस मंदिर समूह का निर्माण 7-14 सदी के विभिन्न कालखंडों में हुआ माना जाता है.
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पुराणों और मान्यताओं के अनुसार जागेश्वर धाम भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. सप्तर्षियों की ओर से शिव को श्राप देने के बाद यहीं से भगवान शिव की पूजा लिंग रूप में शुरू हुई. सावन महीने में शिव की पूजा-अर्चना और अनुष्ठान का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना का यहां आयोजित होने वाले श्रावणी मेले पर भी पड़ता नजर आ रहा है. सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, अल्मोड़ा जिले के श्रद्धालु ही इस बार सावन के महीने में जागेश्वर धाम में शिव के दर्शन कर सकेंगे.
मंदिर के प्रबंधक भगवान भट्ट ने बताया कि हर साल जागेश्वर मंदिर में सावन महीने में हरेला के दिन से यहां श्रावणी मेला शुरू हो जाता था. यह मेला एक महीने तक चलता था. इस मेले में देश-विदेश के पर्यटक यहां भारी संख्या में पहुंचते थे, लेकिन ऐसा पहली बार है कि कोरोना के कारण यह मेला इस बार लगना संभव नहीं है. केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मंदिर को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया है. फिलहाल, जिले के सौ श्रद्धालुओं को ही एक दिन में दर्शन की अनुमति है.