अल्मोड़ा: उत्तराखंड से ताल्लुख रखने वाली आइरीन पंत के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता होगा. आइरीन पंत उर्फ बेगम राना लियाकत अली खान पाकिस्तान की पहली महीला थीं जिन्हें मादरे-ए-वतन से नवाजा गया था साथ ही आइरीन पाकिस्तान की पहली राज्यपाल भी बनीं है. आइरीन की जिंदगी पर देखिए ईटीवी की ये खास रिपोर्ट.
आइरीन पंत का जन्म 1905 में अल्मोड़ा के डेनियल पंत के घर में हुआ था. आइरीन पंत के दादा ने साल 1887 में ईसाई धर्म अपना लिया था. उससे पहले ये परिवार उच्च ब्राहम्ण परिवार था. आइरीन पंत का शुरुआती बचपन अल्मोड़ा में ही गुजरा. जिसके बाद वह लखनऊ चली गईं और लखनऊ के लालबाग स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने लखनऊ के मशहूर आईटी कॉलेज से पढ़ाई की.
पाकिस्तान में मंत्री बनीं आइरीन
बेगम लियाकत अली खान की आधी जिंदगी भारत में गुजरी और आधी जिंदगी पाकिस्तान में. वह बचपन से खुले विचारों वाली महिला थी. पाकिस्तान जाने के बाद उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तीकरण के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने साथ ही वहां मौजूद कट्टरपंथियों के खिलाफ भी आवाज उठाई.
आइरीन को पाकिस्तान में मादरे-ए-वतन का खिताब भी मिला, जिसके बाद जुल्फिकार अली भुट्टो ने उन्हें काबिना मंत्री बनाया और वह सिंध की गर्वनर भी बनीं. साथ ही कराची यूनिवर्सिटी की पहली महिला वाइस चांसलर भी बनी. इसके अलावा वह नीदरलैंड, इटली, ट्यूनिशिया में पाकिस्तान की राजदूत रहीं. उन्हें 1978 में संयुक्त राष्ट्र ने ह्यूमन राइट्स के लिए सम्मानित किया. साल 1990 में आइरीन का निधन हुआ.
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बता दें कि अल्मोड़ा के मैथोडिस्ट चर्च के ठीक नीचे स्थित आइरीन पंत का पुस्तैनी मकान आज भी उनकी यादों को सहेजे हुए है. अब इस मकान में उनके भाई नॉर्मन पंत की बहू मीरा पंत और उनका पोता राहुल पंत रहते हैं. उनकी बहु मीरा पंत बताती हैं कि आइरीन पंत बहुत की साहसी लेडी थीं. जब वह लखनऊ के आईटी कॉलेज से पढ़ाई कर रही थीं, तो उस समय बिहार में बाढ़ आ गई. बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए वह नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर उनके लिए फंड जुटाने का काम कर रही थीं.
मीरा पंत ने बताया कि फंड जुटाने के दौरान अपने एक समारोह के लिए उन्होंने लियाकत अली खान को टिकट खरीदने का आग्रह किया था. वह बड़ी मुश्किल से एक टिकट खरीदने के लिए राजी हुए. लेकिन आइरीन ने उनसे कम से 2 टिकट खरीदने को कहा. जिसपर लियाकत ने कहा कि अपने साथ किसी के लाने के लिए वह किसी को नहीं जानते. तब आइरीन पंत ने कहा कि अगर आपके साथ बैठने लिए कोई नहीं होगा तो वो उनके साथ बैठेंगी. इसके बाद से उनकी नजदीकी बढ़ी और उन्होंने लियाकत से शादी कर ली.
आइरीन के पोते राहुल पंत कहते हैं कि उनकी यादें आज भी अल्मोड़ा में हैं. हालांकि, शादी के बाद वे एक बार भी अल्मोड़ा नहीं आ पाई, लेकिन वे नॉर्मन पंत को चिठ्ठी लिखा करती थीं. अल्मोड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष और शहर के वरिष्ठ नागरिकों में शुमार प्रकाश चंद्र जोशी ने कहा कि उनके दादा तारादत्त पंत ने ईसाई धर्म अपनाया था.