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नशा और पलायन रोकना बेहद जरूरी: प्रमोद नैनवाल

डॉ. प्रमोद नैनवाल ने कहा कि राज्य गठन के दो दशक बाद भी पहाड़ की जवानी और पानी के संरक्षण की बातें सिर्फ हवा हवाई साबित हुई हैं. इस क्षेत्र में ठोस नीति नहीं बन पाई है.

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नशा और पलायन रोकना बेहद जरूरी: प्रमोद नैनवाल
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Published : Mar 13, 2021, 1:34 PM IST

रानीखेत: सल्ट संघर्ष विकास समिति के तत्वावधान में नशा हटाओ, पलायन रोको, पहाड़ बचाओ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि नशा हटाओ पलायन रोको अभियान के संयोजक डॉ. प्रमोद नैनवाल ने कहा कि समाज से नशे का प्रचलन हटाकर ही पहाड़ के पानी और जवानी को पहाड़ के काम लाया जा सकता है.

डॉ. प्रमोद नैनवाल ने कहा कि राज्य गठन के दो दशक बाद भी पहाड़ की जवानी और पानी के संरक्षण की बातें सिर्फ हवा हवाई साबित हुई हैं. इस क्षेत्र में ठोस नीति नहीं बन पाई है. मुख्य वक्ता डॉ. प्रमोद नैनवाल ने कहा कि पिछले दो दशक की अवधि में सबसे अधिक पहाड़ की उपेक्षा हुई है. पलायन से पहाड़ वीरान हो चले हैं. लाखों लोग पलायन कर मैदानी क्षेत्रों में जा चुके हैं. पलायन के कारण सरकारी शिक्षण संस्थानों में लगातार छात्र संख्या घट रही है. संस्थान बंद हो रहे हैं. साथ ही प्राकृतिक संसाधानों का दोहन किया जा रहा है.

पढ़ें-हरिद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब, 32 लाख 87 हजार लोगों ने लगाई डुबकी

तमाम कमियों के कारण जंगल, खनिज संपदा और पानी का लाभ बाहरी लोग उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को नशे की चपेट में आने से रोकना होगा, तभी पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आएगी. पूर्व प्रमुख हिमानी नैनवाल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का नियमित आयोजन होगा और युवाओं के साथ ही समाज को कुरीतियों के प्रति जागरूक किया जाएगा. समिति के अध्यक्ष गिरीश सत्यवली ने संगठन के कार्यों की जानकारी दी.

रानीखेत: सल्ट संघर्ष विकास समिति के तत्वावधान में नशा हटाओ, पलायन रोको, पहाड़ बचाओ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि नशा हटाओ पलायन रोको अभियान के संयोजक डॉ. प्रमोद नैनवाल ने कहा कि समाज से नशे का प्रचलन हटाकर ही पहाड़ के पानी और जवानी को पहाड़ के काम लाया जा सकता है.

डॉ. प्रमोद नैनवाल ने कहा कि राज्य गठन के दो दशक बाद भी पहाड़ की जवानी और पानी के संरक्षण की बातें सिर्फ हवा हवाई साबित हुई हैं. इस क्षेत्र में ठोस नीति नहीं बन पाई है. मुख्य वक्ता डॉ. प्रमोद नैनवाल ने कहा कि पिछले दो दशक की अवधि में सबसे अधिक पहाड़ की उपेक्षा हुई है. पलायन से पहाड़ वीरान हो चले हैं. लाखों लोग पलायन कर मैदानी क्षेत्रों में जा चुके हैं. पलायन के कारण सरकारी शिक्षण संस्थानों में लगातार छात्र संख्या घट रही है. संस्थान बंद हो रहे हैं. साथ ही प्राकृतिक संसाधानों का दोहन किया जा रहा है.

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तमाम कमियों के कारण जंगल, खनिज संपदा और पानी का लाभ बाहरी लोग उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को नशे की चपेट में आने से रोकना होगा, तभी पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आएगी. पूर्व प्रमुख हिमानी नैनवाल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का नियमित आयोजन होगा और युवाओं के साथ ही समाज को कुरीतियों के प्रति जागरूक किया जाएगा. समिति के अध्यक्ष गिरीश सत्यवली ने संगठन के कार्यों की जानकारी दी.

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