अल्मोड़ा: चंपावत में भोजनमाता को लेकर उपजे विवाद पर एससी आयोग के उपाध्यक्ष पीसी गोरखा काफी खफा हैं. पीसी गोरखा का कहना है कि वो इस मामले में हुई जांच से संतुष्ट नहीं हैं. इतना ही नहीं भोजन माता को पद से हटा देने के आदेश देने वाले संबंधित अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं.
अल्मोड़ा में अनुसूचित आयोग के उपाध्यक्ष पीसी गोरखा (SC Commission Vice President PC Gurkha) ने कहा कि भारतीय संविधान में धारा 338 के अंतर्गत अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया गया है. जिसका मूल कर्तव्य है कि दबे-कुचले लोगों को न्याय प्रदान करना. चंपावत में भोजन माता को लेकर उपजे विवाद पर सरकार ने तत्काल जिले के एसपी और डीएम को जांच के आदेश दिए गए. जबकि, नियम यह है कि अनुसूचित जाति के ही सीनियर अधिकारी को मुख्य जांच अधिकारी बनाया जाना चाहिए था. लेकिन, प्रशासनिक जांच में ऐसा नहीं किया गया.
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जिसको देखते हुए इस जांच को आयोग ने नकार दिया है. उन्होंने इस मामले में सवाल उठाते हुए कहा कि जिस भोजन माता की नियुक्ति उस स्कूल में की गई थी, वह कैसे गैर कानूनी हो गयी? इतना ही नहीं जिन अधिकारियों ने जातिवादी मानसिकता से ग्रसित होकर यह आदेश दिया वह सरासर गलत है, उसकी समीक्षा आयोग करेगा.
क्या था मामला: चंपावत के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में अनुसूचित जाति की महिला सुनीता देवी को विमला उप्रेती जो भोजनमाता हैं, उनकी सहायिका नियुक्त (GIC Sukhidhang Bhojan mata appointment case) किया गया था. जिसके बाद छात्र-छात्राओं ने सुनीता के हाथ से भोजन करने से इनकार कर दिया था. मामला गरमाने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच कर सहायक भोजनमाता की नियुक्ति को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. जिसके बाद यह मामला खूब चर्चाओं में रहा.
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फिर मामले में आया मोड़: उत्तराखंड के चंपावत जिले के सुखीढांग इंटर कॉलेज में भोजनमाता प्रकरण (Govt Inter College Sukhidhang champawat) में फिर एक नया मोड़ तब आया. जब स्कूल ने सुनीता देवी के स्थान पर पुष्पा भट्ट को सहायिका भोजन माता नियुक्त किया. जिसके बाद दलित छात्रों ने उनके हाथ से बना खाने से मना कर दिया है. हालांकि, पहले सवर्ण वर्ग के छात्रों ने दलित के हाथ से बने खाने को खाने से मना कर दिया था.
सीएम ने दिए थे जांच के आदेश: इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल के लेटर लिखे जाने के बाद अब मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है. मामले के तूल पकड़ने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे (Kumaon DIG Nilesh Anand Bharne) को मामले की जांच के आदेश दिए. साथ ही इस पूरे मामले पर दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए.