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केसर की खेती बनाएगी आत्मनिर्भर, प्रवासियों ने शुरू की बुआई

अल्मोड़ा में केसर की खेती शुरू हो गई है. जिला प्रशासन ने किसानों और प्रवासियों को केसर की खेती से जोड़ने की पहल शुरू कर दी है. जिला प्रशासन द्वारा कश्मीर से केसर के 3 कुंतल बल्ब यानि बीज मंगवाए गए हैं. किसानों और प्रवासियों को केसर की खेती की ट्रेनिंग दी गई.

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केसर की खेती
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Published : Oct 14, 2020, 9:38 AM IST

Updated : Oct 15, 2020, 9:10 AM IST

अल्मोड़ा: क्षेत्र में केसर की खेती शुरू हो गई है. जिला प्रशासन ने किसानों और प्रवासियों को केसर की खेती से जोड़ने की पहल शुरू कर दी है. इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा कश्मीर से केसर के 3 कुंतल बल्ब यानि बीज मंगवाए गए हैं. जिन्हें उद्यान विभाग और कश्मीर से आए केशर के विशेषज्ञों द्वारा शीतलाखेत क्षेत्र के स्याही देवी नामक जगह मे किसानों के खेतों में स्वयं मौजूद होकर बुआई कर रहे हैं. उन्हें केसर की खेती की ट्रेनिंग दी गई. इस मौके पर क्षेत्र के कई युवा प्रवासी भी केसर की खेती की ट्रेनिंग लेने पहुंचे.

केसर की खेती बनाएगी आत्मनिर्भर.

कश्मीर के केसर की अल्मोड़ा में खेती को लेकर जीबी पंत पर्यावरण विकास संस्थान अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन ने परियोजना के तहत विगत तीन सालों से परीक्षण किया गया था. जिसके बाद परीक्षण में अल्मोड़ा में उगाए गया केसर जांच में 'ए' ग्रेड का मिला था. संस्थान का कहना है कि कश्मीर में उगने वाले केसर से भी कहीं अधिक इस केसर में गुणवत्ता पाई गई है. यहां पैदा केसर में सेफरानॉल का प्रतिशत काफी अधिक पाया गया था. ऐसे में केसर की खेती पहाड़ में सफल पाई गई. जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा किसानों की आय में इजाफा करने के लिए किसानों को इसकी खेती से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

फिलहाल, किसानों को जिला प्रशासन द्वारा कश्मीर से केशर के बल्ब मंगवाए गए. उन्हें मुफ्त में देकर उन्हें इस मुनाफे वाली खेती से जोड़ने का काम किया जा रहा है. कश्मीर से किसानों को केसर की खेती सिखाने आए शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी के सेफरॉन रिसर्च इंस्टीट्यूट के रिसर्च एसोशिएट डॉ. मोहम्मद तोशिफ अली ने किसानों को केसर की खेती के गुर सिखाने के बाद बताया कि कश्मीर के केसर की खेती के लिए अल्मोड़ा की जलवायु उपयुक्त पाई गई है. यह खेती पहाड़ के किसानों की तकदीर बदल देगा. क्योंकि केसर की खेती से काफी मुनाफा होता है.

पढ़ें: केदारनाथ घाटी में कम ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर उड़ाने वालों पर होगी कार्रवाई

जिला प्रशासन और उद्यान विभाग की इस पहल से किसान भी उत्साहित नजर आ रहे हैं. किसानों का कहना है कि पारंपरिक खेती से ज्यादा फायदा नहीं होता है. इसलिए केसर की खेती उनके लिए काफी मुनाफे की खेती साबित हो सकती है. वहीं, कोरोना काल में नौकरी छोड़ गांव लौटे प्रवासी युवाओं में भी केसर की खेती के प्रति रुचि दिख रही है.

प्रवासियों का कहना है कि, पारंपरिक खेती में मुनाफा नहीं होने के कारण अधिकांश लोगों का खेती से मोह भंग हुआ है, लेकिन केसर की खेती में काफी मुनाफा है. जिससे पहाड़ के किसानों की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी हो सकती है.

मुख्य उद्यान अधिकारी टीएन पांडेय ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा किसानों की आय में इजाफा करने के लिए यहां किसानों और खासकर बाहर से आए प्रवासियों को केसर की खेती से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए रानीखेत के बाद अब शीतलाखेत में किसानों को मुफ्त का बीज देकर केसर की खेती की ओर जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. धीरे-धीरे जिले के अन्य किसानों को भी इस खेती से जोड़ा जाएगा.

अल्मोड़ा: क्षेत्र में केसर की खेती शुरू हो गई है. जिला प्रशासन ने किसानों और प्रवासियों को केसर की खेती से जोड़ने की पहल शुरू कर दी है. इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा कश्मीर से केसर के 3 कुंतल बल्ब यानि बीज मंगवाए गए हैं. जिन्हें उद्यान विभाग और कश्मीर से आए केशर के विशेषज्ञों द्वारा शीतलाखेत क्षेत्र के स्याही देवी नामक जगह मे किसानों के खेतों में स्वयं मौजूद होकर बुआई कर रहे हैं. उन्हें केसर की खेती की ट्रेनिंग दी गई. इस मौके पर क्षेत्र के कई युवा प्रवासी भी केसर की खेती की ट्रेनिंग लेने पहुंचे.

केसर की खेती बनाएगी आत्मनिर्भर.

कश्मीर के केसर की अल्मोड़ा में खेती को लेकर जीबी पंत पर्यावरण विकास संस्थान अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन ने परियोजना के तहत विगत तीन सालों से परीक्षण किया गया था. जिसके बाद परीक्षण में अल्मोड़ा में उगाए गया केसर जांच में 'ए' ग्रेड का मिला था. संस्थान का कहना है कि कश्मीर में उगने वाले केसर से भी कहीं अधिक इस केसर में गुणवत्ता पाई गई है. यहां पैदा केसर में सेफरानॉल का प्रतिशत काफी अधिक पाया गया था. ऐसे में केसर की खेती पहाड़ में सफल पाई गई. जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा किसानों की आय में इजाफा करने के लिए किसानों को इसकी खेती से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

फिलहाल, किसानों को जिला प्रशासन द्वारा कश्मीर से केशर के बल्ब मंगवाए गए. उन्हें मुफ्त में देकर उन्हें इस मुनाफे वाली खेती से जोड़ने का काम किया जा रहा है. कश्मीर से किसानों को केसर की खेती सिखाने आए शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी के सेफरॉन रिसर्च इंस्टीट्यूट के रिसर्च एसोशिएट डॉ. मोहम्मद तोशिफ अली ने किसानों को केसर की खेती के गुर सिखाने के बाद बताया कि कश्मीर के केसर की खेती के लिए अल्मोड़ा की जलवायु उपयुक्त पाई गई है. यह खेती पहाड़ के किसानों की तकदीर बदल देगा. क्योंकि केसर की खेती से काफी मुनाफा होता है.

पढ़ें: केदारनाथ घाटी में कम ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर उड़ाने वालों पर होगी कार्रवाई

जिला प्रशासन और उद्यान विभाग की इस पहल से किसान भी उत्साहित नजर आ रहे हैं. किसानों का कहना है कि पारंपरिक खेती से ज्यादा फायदा नहीं होता है. इसलिए केसर की खेती उनके लिए काफी मुनाफे की खेती साबित हो सकती है. वहीं, कोरोना काल में नौकरी छोड़ गांव लौटे प्रवासी युवाओं में भी केसर की खेती के प्रति रुचि दिख रही है.

प्रवासियों का कहना है कि, पारंपरिक खेती में मुनाफा नहीं होने के कारण अधिकांश लोगों का खेती से मोह भंग हुआ है, लेकिन केसर की खेती में काफी मुनाफा है. जिससे पहाड़ के किसानों की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी हो सकती है.

मुख्य उद्यान अधिकारी टीएन पांडेय ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा किसानों की आय में इजाफा करने के लिए यहां किसानों और खासकर बाहर से आए प्रवासियों को केसर की खेती से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए रानीखेत के बाद अब शीतलाखेत में किसानों को मुफ्त का बीज देकर केसर की खेती की ओर जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. धीरे-धीरे जिले के अन्य किसानों को भी इस खेती से जोड़ा जाएगा.

Last Updated : Oct 15, 2020, 9:10 AM IST
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