अल्मोड़ा: आज विश्व जैव विविधता दिवस है. हिमालयी राज्य उत्तराखंड जैव विविधता के लिए मशहूर है. यहां कई दुर्लभ प्रकार की जड़ी बूटियां और वनस्पतियां पाई जाती हैं. इनसे कई प्रकार की दवाइयां तैयार होती हैं. लेकिन वैज्ञानिक अब इनमें से कई वनस्पतियों के अस्तिव पर खतरा बता रहे हैं.
गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल अल्मोड़ा के जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन के विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आईडी भट्ट का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में 8 हजार प्रकार की वनस्पतियां हैं. इनमें से 456 प्रजातियों का अस्तित्व अब खतरे में आ गया है. वहीं, बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां 4 हजार प्रकार के जो वनस्पति की प्रजाति है. इनमें से 701 मेडिसन प्लांट हैं. इन मेडिसिनल प्लांट में अब 124 लुप्त होने की कगार पर हैं.
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यह सभी मेडिसिन प्लांट हैं. इनमें अतीस, वन ककड़ी, गंदरैणी, कुटकी, वन हल्दी, थुनेर, मीठा विष, जटामासी समेत कई दुर्लभ किस्म की वनस्पतियां में मौजूद हैं, जिनका किसी न किसी रूप में औषधीय महत्व है. लंबे समय से बड़े पैमाने पर इन वनस्पतियों का अनियंत्रित दोहन हो रहा है. साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण इन वनस्पतियों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है.
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आईडी भट्ट का कहना है कि जैव विविधता को बचाने के लिए हर्बल गार्डन बनाए जाने चाहिए. साथ ही किसानों को औषधीय उत्पादों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा.