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पॉलीहाउस तकनीकी से रुकेगा पहाड़ों का पलायन, एक साल में कमा सकते हैं लाखों - पॉलीहाउस तकनीकी

पहाड़ों में रोजगार के साधन कम होने के कारण लोग यहां से रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं, सरकार पॉलीहाउस को बढ़ावा देकर पहाड़ों में खेती को बढ़ावा दे तो यहां से पलायन रुकने के साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

पॉलीहाउस तकनीकी से रुकेगा पहाड़ों का पलायन.
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Published : Jun 11, 2019, 8:32 AM IST

Updated : Jun 11, 2019, 5:30 PM IST

अल्मोड़ा: प्रदेश सरकार पलायन रोकने के तमाम दावे तो करती है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही नजर आती है. पहाड़ों में रोजगार के अभाव में पलायन कर रहे लोगों को गोविंद बल्लभ हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान पॉलीहाउस तकनीकी से खेती करने का प्रशिक्षण दे रहा है. संस्थान के प्रशिक्षण देने का उद्देश्य गांव के लोगों को रोजगार के अवसर देना है.

पॉलीहाउस तकनीक का उपयोग करने से सब्जियों की खेती से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा साथ ही बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि, कड़ाके की ठंड, पाला या झुलसा देने वाली लू इन सबके बाद भी इस खेती को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. पॉलीहाउस में मात्र 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में खेती कर मात्र 1 साल में 2 से 2.5 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा आसानी से कमाया जा सकता है.

पॉलीहाउस तकनीकी से रुकेगा पहाड़ों का पलायन.

जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर कोसी कटारमल स्थित ग्रामीण तकनीकी परिसर में वैज्ञानिकों ने बेमौसमी सब्जी और सलाद वाला कद्दू की खेती शुरू की है. इसकी बाजार में इस समय काफी मांग है. ग्रामीण तकनीकी परिसर, कोसी कटारमल में वरिष्ठ वैज्ञानिक के निर्देशन में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया. इस कार्यक्रम में हवालबाग, ताकुला विकासखंड के 8 गांवों के लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

वरिष्ठ वैज्ञानिक आरसी सुंदरियाल ने बताया कि पॉली ग्रीनहाउस लगाकर किसान बेमौसमी मनचाही सब्जियां उगा सकते हैं. साथ ही विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती भी कर सकते हैं. उद्यान महकमे की ओर से छोटे किसानों को योजना से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है.

ये भी पढ़ें: पौड़ीः रांसी स्टेडियम को हाई एल्टीट्यूड ट्रेनिंग सेंटर बनाने की कवायद तेज, विस्तारीकरण का कार्य तेज

वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा नई तरकीब से बेमौसमी सब्जी के बारे में जानकारी दी जा रहा है, जिसका ग्रामीण भरपूर लाभ उठा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अपने घर में भी पॉलीहाउस तैयार किया है, जिससे उनको काफी फायदा हो रहा है. बेमौसमी सब्जी उगाने से उनको बाजार में अच्छा दाम मिल रहा है साथ ही आमदनी भी अच्छी हो रही है.

पॉलीहाउस चला रहे रिटायर्ड फौजी ने बताया कि उनके पॉलीहाउस में उग रही सब्जियों से उन्हें अच्छा दाम मिल रहा है. उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति बाहर जाने के बदले यहीं पहाड़ में ही पॉलीहाउस की खेती करे तो उसकी अच्छी आमदनी हो सकती है. उन्होंने बताया कि रिटायर्ड होने के बाद पॉलीहाउस के जरिए खेती शुरू कर दी थी.

अल्मोड़ा: प्रदेश सरकार पलायन रोकने के तमाम दावे तो करती है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही नजर आती है. पहाड़ों में रोजगार के अभाव में पलायन कर रहे लोगों को गोविंद बल्लभ हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान पॉलीहाउस तकनीकी से खेती करने का प्रशिक्षण दे रहा है. संस्थान के प्रशिक्षण देने का उद्देश्य गांव के लोगों को रोजगार के अवसर देना है.

पॉलीहाउस तकनीक का उपयोग करने से सब्जियों की खेती से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा साथ ही बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि, कड़ाके की ठंड, पाला या झुलसा देने वाली लू इन सबके बाद भी इस खेती को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. पॉलीहाउस में मात्र 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में खेती कर मात्र 1 साल में 2 से 2.5 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा आसानी से कमाया जा सकता है.

पॉलीहाउस तकनीकी से रुकेगा पहाड़ों का पलायन.

जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर कोसी कटारमल स्थित ग्रामीण तकनीकी परिसर में वैज्ञानिकों ने बेमौसमी सब्जी और सलाद वाला कद्दू की खेती शुरू की है. इसकी बाजार में इस समय काफी मांग है. ग्रामीण तकनीकी परिसर, कोसी कटारमल में वरिष्ठ वैज्ञानिक के निर्देशन में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया. इस कार्यक्रम में हवालबाग, ताकुला विकासखंड के 8 गांवों के लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

वरिष्ठ वैज्ञानिक आरसी सुंदरियाल ने बताया कि पॉली ग्रीनहाउस लगाकर किसान बेमौसमी मनचाही सब्जियां उगा सकते हैं. साथ ही विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती भी कर सकते हैं. उद्यान महकमे की ओर से छोटे किसानों को योजना से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है.

ये भी पढ़ें: पौड़ीः रांसी स्टेडियम को हाई एल्टीट्यूड ट्रेनिंग सेंटर बनाने की कवायद तेज, विस्तारीकरण का कार्य तेज

वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा नई तरकीब से बेमौसमी सब्जी के बारे में जानकारी दी जा रहा है, जिसका ग्रामीण भरपूर लाभ उठा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अपने घर में भी पॉलीहाउस तैयार किया है, जिससे उनको काफी फायदा हो रहा है. बेमौसमी सब्जी उगाने से उनको बाजार में अच्छा दाम मिल रहा है साथ ही आमदनी भी अच्छी हो रही है.

पॉलीहाउस चला रहे रिटायर्ड फौजी ने बताया कि उनके पॉलीहाउस में उग रही सब्जियों से उन्हें अच्छा दाम मिल रहा है. उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति बाहर जाने के बदले यहीं पहाड़ में ही पॉलीहाउस की खेती करे तो उसकी अच्छी आमदनी हो सकती है. उन्होंने बताया कि रिटायर्ड होने के बाद पॉलीहाउस के जरिए खेती शुरू कर दी थी.

Intro:पहाड़ो में रोजगार के अभाव में यहाँ से लोग पलायन कर रहे हैं,सरकार पलायन रोकने के तमाम दावे करती है लेकिन नतीजा सिफर ही सामने आता है। लेकिन अल्मोड़ा के कोसी कटारमल में स्थित गोविंद बल्लभ हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान का ग्रामीण तकनीकी परिसर यहाँ अनेको गांवो के लोगो को पॉलीहाउस तकनीक से खेती का प्रशिक्षण देकर गांवो के लोगो को रोजगार का अवसर देकर पलायन रोकने में कारगर कदम उठा रहा है। पॉलीहाउस तकनीक के जरिये सब्जियों की खेती से किसान मालामाल हो सकते हैं। बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि ,कड़ाके की ठंड, पाला या झुलसा देने वाली लू इन सबके बाद भी इस खेती को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। इसमें पाया गया है कि पॉलीहाउस में मात्र 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में खेती कर मात्र 1 साल में दो से ढाई लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा सहजता से प्राप्त कर सकते हैं । वैज्ञानिकों द्वारा लोगो को बेमौसमी सब्जी उगाने की तरकीब और उससे अच्छा मुनाफा कमाने की जानकारी दी जा रही है।






Body:जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर कोसी कटारमल स्थित ग्रामीण तकनीकी परिसर में वैज्ञानिकों ने बेमौसमी सब्जी व सलाद वाला कद्दू की खेती की है, इसकी बाजार में खूब मांग हो रही है। ग्रामीण तकनीकी परिसर, गोविंद बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण एवं विकास संस्थान कोसी कटारमल में वरिष्ठ वैज्ञानिक के निर्देश में हवालबाग ,ताकुला विकासखंड के 8 गांवो के ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है । वरिष्ठ वैज्ञानिक आर सी सुंदरियाल का कहना है कि पॉली ग्रीनहाउस लगाकर किसान बेमौसमी मनचाही सब्जियां उगा सकते हैं। विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती भी कर सकते हैं, यानी कि छोटा पॉली ग्रीनहाउस किसानों को पूरी तरह आत्मनिर्भर बना सकता है। उद्यान महकमे की ओर से छोटे किसानों को योजना से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है, वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वैज्ञानिकों द्वारा नई तरकीब से बेमौसमी सब्जी के बारे में बताया जा रहा है, जिसका ग्रामीण भरपूर लाभ उठा रहे हैं ।ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अपने घर में भी पॉलीहाउस तैयार किया है जिसका उनको काफी फायदा हो रहा है। कहा कि बेमौसमी सब्जी उगाने से उनका बाजार में अच्छा दाम मिलता है और उनकी आमदनी भी अच्छी हो रही है।
वही फौज से रिटायर्ड फौजी ने भी अपना पॉलीहाउस बनाया है। उन्होंने बताया कि उनके पॉलीहाउस में उग रही सब्जी से उन्हें अच्छा दाम बाजार में मिल रहा है। उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति बाहर जाने के बदले यही पहाड़ में ही पॉलीहाउस की खेती करे तो उसकी अच्छी आमदनी हो सकती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने रिटायर्ड होने के बाद से ही यहां आकर पॉलीहाउस लगाकर खेती शुरू की और आज 9 साल हो चुके हैं। उनको इस खेती से अच्छा कमाने का अवसर मिला है।
पहाड़ों में रोजगार के साधन कम होने के कारण लोग यहां से रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हैं अगर सरकार पॉलीहाउस को बढ़ावा दें और पहाड़ों में खेती को बढ़ावा दें तो यहां से पलायन रुकेगा ही साथ ही यहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा ।

बाइट 1 आर सी सुंदरियाल, वैज्ञानिक
बाइट 2 आनद नयाल , किसान
बाइट 3 आनंद बिष्ट, किसान

विजुअल बाइट mail से से polly house farming नाम से भेजे हैं।


Conclusion:
Last Updated : Jun 11, 2019, 5:30 PM IST
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