अल्मोड़ा: उत्तराखंड को बने भले ही दो दशक से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन आज भी देवभूमि में लोगों के सामने समस्या पहाड़ बनकर खड़ी है. आलम यह है कि प्रदेश में बुनियादी सुविधा की बात तो छोड़िए कई ऐसे गांव हैं, जहां के लोगों को वर्षों से महज एक सड़क का इंतजार है.
विकास की बांट जोह रहे लोग
पर्वतीय राज्य की मांग पर बने उत्तराखंड में विकास के लिए डबल इंजन की सरकार भी हांफती नजर आ रही है. पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी लोग विकास की बांट जोह रहे हैं. राज्य के कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग पलायन करने को मजबूर हैं.
पभ्या गांव को सड़क का इंतजार
आज हम आपको एक ऐसी ही गांव की कहानी दिखाने जा रहे हैं, जिसका विकास से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. ये है अल्मोड़ा जिले के भैंसियाछाना विकासखंड का पभ्या गांव. यहां आज तक सड़क नहीं पहुंची है. इस कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गांव में यदि कोई बीमार हो जाए तो उसे कई किलोमीटर पैदल चलकर या फिर डोली के सहारे अस्पताल तक पहुंचना पड़ता है.
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सड़क नहीं बनने से ग्रामीणों में आक्रोश
भैंसियाछाना विकासखंड के पभ्या गांव में सड़क की मांग को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. लोगों ने सड़क की मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. ग्रामीणों का कहना है कि पभ्या गांव सड़क से करीब 5 किलोमीटर दूर है. गांव तक आने-जाने के लिए ग्रामीणों को तीन किलोमीटर खड़ी चढ़ाई तय करनी होती है. ऐसे में गंभीर रूप से बीमार, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ता है. चुनाव के समय जनप्रतिनिधि सड़क का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद भूल जाते हैं.
डोली के सहारे जिंदगी
ग्रामीण लीलाधर जोशी ने बताया कि उनके गांव में जब कोई बीमार होता है तो उसे 5 किलोमीटर पहाड़ी रास्ते से डोली या खच्चरों के सहारे अस्पताल ले जाना पड़ता है. जिससे लोगों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है. जबकि जनप्रतिनिधि कई बार सड़क निर्माण को लेकर आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन अभी तक यहां सड़क नहीं बनी है. ऐसे में ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर चुनाव से पहले सड़क नहीं बनती है तो वे उग्र आंदोलन करेंगे.