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23 करोड़ की प्रताप नगर पंपिंग योजना हवा में, पानी के लिए तरस रहे 14 गांव - Jal Sansthan

23 करोड़ की लागत से 2016 में तैयार हुई प्रतापनगर पंपिंग योजना आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. जिसके चलते भदूरा क्षेत्र के 14 गांव आज भी पानी की भारी दिक्कतों से जूझ रहे हैं.

आज भी पानी पानी के लिए तरस रहे 14 गांव.धरातल पर नहीं उतरी 23 करोड़ की प्रताप नगर पंपिंग योजना.
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Published : Sep 3, 2019, 7:42 PM IST

प्रतापनगर: भदूरा के लगभग 29 गांवों को पानी की सप्लाई देने के लिए साल 2016 में 23 करोड़ की लागत से प्रताप नगर पंपिंग योजना तैयार की गई. लेकिन इस योजना से अभी तक रैका और ओण पट्टी के लगभग 15 गांवों को ही लाभ मिल रहा है. बाकि के 14 गांव आज भी पानी की भारी दिक्कतों से जूझ रहे हैं.

धरातल पर नहीं उतरी 23 करोड़ की प्रताप नगर पंपिंग योजना.

बता दें कि करीब 33 साल पहले प्रतापनगर के लोगों ने इस पंपिंग योजना की मांग की थी. 2006 में सरकार द्वारा मांग पूरी होने पर प्रताप नगर पंपिंग योजना को स्वीकृति मिली थी. जिसके बाद 2008 में इसका कार्य प्रारंभ किया गया. जिसके बाद साल 2016 में 23 करोड़ की लागत से यह योजना पूरी हुई. लेकिन अभी तक क्षेत्र के करीब 14 गांव पानी की भारी दिक्कतों से जुझ रहे हैं. वहीं जिन गांवों में पानी पहुंच भी रहा है, वहां भी लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है.

वहीं जब मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जल निगम के एक्ससीएन से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि इस पंपिंग योजना में बकाया 70 प्रतिशत योजना जल संस्थान को हैंड ओवर कर दी है. अब पानी को लिफ्ट करना और पानी का डिस्ट्रीब्यूशन जल संस्थान का काम है.

वहीं जल संस्थान के एक्ससीएन ने बताया कि आधी अधूरी योजना और लाइन ठीक से ना बिछी होने के चलते पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है. साथ ही कहा कि जल निगम अभी भी लाइनों पर काम कर रहा है. लाइनें ठीक होते ही सभी गांवों में पानी की सप्लाई हो पाएगी.

प्रतापनगर: भदूरा के लगभग 29 गांवों को पानी की सप्लाई देने के लिए साल 2016 में 23 करोड़ की लागत से प्रताप नगर पंपिंग योजना तैयार की गई. लेकिन इस योजना से अभी तक रैका और ओण पट्टी के लगभग 15 गांवों को ही लाभ मिल रहा है. बाकि के 14 गांव आज भी पानी की भारी दिक्कतों से जूझ रहे हैं.

धरातल पर नहीं उतरी 23 करोड़ की प्रताप नगर पंपिंग योजना.

बता दें कि करीब 33 साल पहले प्रतापनगर के लोगों ने इस पंपिंग योजना की मांग की थी. 2006 में सरकार द्वारा मांग पूरी होने पर प्रताप नगर पंपिंग योजना को स्वीकृति मिली थी. जिसके बाद 2008 में इसका कार्य प्रारंभ किया गया. जिसके बाद साल 2016 में 23 करोड़ की लागत से यह योजना पूरी हुई. लेकिन अभी तक क्षेत्र के करीब 14 गांव पानी की भारी दिक्कतों से जुझ रहे हैं. वहीं जिन गांवों में पानी पहुंच भी रहा है, वहां भी लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है.

वहीं जब मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जल निगम के एक्ससीएन से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि इस पंपिंग योजना में बकाया 70 प्रतिशत योजना जल संस्थान को हैंड ओवर कर दी है. अब पानी को लिफ्ट करना और पानी का डिस्ट्रीब्यूशन जल संस्थान का काम है.

वहीं जल संस्थान के एक्ससीएन ने बताया कि आधी अधूरी योजना और लाइन ठीक से ना बिछी होने के चलते पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है. साथ ही कहा कि जल निगम अभी भी लाइनों पर काम कर रहा है. लाइनें ठीक होते ही सभी गांवों में पानी की सप्लाई हो पाएगी.

Intro: सफेद हाथी साबित होती दिखाई दे रही है प्रतापनगर पंपिंग योजनाBody:सफेद हाथी साबित होता दिखाई दे रही है प्रतापनगर पंपिंग योजना ।
33 साल का लंबा इंतजार ।
23 करोड़ खर्च ।
फिर भी लोगों के हलक प्यासे ।
जी हां हम बात कर रहे हैं टिहरी गढ़वाल की प्रतापनगर पंपिंग योजना की जिसके लिए प्रताप नगर के लोगों ने लगभग 33 साल पहले मांग की थी और 33 साल पहले से लगातार मांग करते करते छेत्र वासियों की 2006 में मांग पूरी हो पाई 2006 में प्रताप नगर पंपिंग योजना को स्वीकृति मिली दो हजार सात आठ में इसका कार्य प्रारंभ किया गया कार्य बीच में बंद हुआ और प्रारंभ हुआ कई बार यह सिलसिला चलता रहा इसके चलते चलते योजना 2015 16 में लगभग लगभग पूरी हो पाई और प्रताप नगर पंपिंग योजना का पानी प्रताप नगर पहुंच पाया लेकिन प्रतापनगर पंपिंग योजना से रैका औँण और भदूरा के लगभग 29 गांवों को लाभान्वित होना था जो नहीं हो पा रहे हैं अभी तक इस योजना से रैका और ओण पट्टी के लगभग 11 से 15 गांव ही लाभान्वित हो पा रहे हैं वहां पर भी ठीक से पानी का डिस्ट्रीब्यूसन ना होने के कारण लोगों को लंबी-लंबी लाइनें लगानी पड़ती है इसके साथ-साथ प्रताप नगर विधानसभा के केंद्र बिंदु लंबगांव बाजार को इस योजना से जोड़ा जाना था जो जून के महीने में जोड़ा गया लेकिन लाइन ठीक से ना बिछी होने के कारण पानी लमगांव तक नहीं पहुंच पाया जिसके कारण लमगांव नगरवासी आज भी पीने के पानी को तरस रहे हैं जल संस्थान व जल निगम व के बीच में पिसती दिखाई दे रही है प्रतापनगर पंपिंग योजना दोनों के बीच में ताल मेल से ना होने के कारण एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने का काम कर रहे हैं जल निगम के एक्शन से फोन पर बात करने पर उन्होंने कहा कि पंपिंग योजना का लगभग 60 से 70% योजना हमने जल संस्थान को हेंड कर दी है अब पानी को लिफ्ट करना और पानी का डिस्ट्रीब्यूशन जल संस्थान का काम है फिर हमने जल संस्थान के एक्शन से बात की तो उन्होंने कहा कि आधी अधूरी योजना वा लाइन ठीक से ना बिछी होने के कारण पानी प्रॉपर पहुंच नहीं पा रहा है जिससे यह समस्या आ रही है और पानी कहीं भी प्रॉपर नहीं पहुंच पा रहा है इस पर जल निगम द्वारा अभी भी लाइनों पर काम किया जा रहा है यह लाइनें जब ठीक हो जाएंगी तो प्रॉपर पानी पहुंच पाएगा जिससे यह साबित होता है कि 2 विभागों विभागों के बीच यह स्कीम पिसती दिखाई दे रही है और यह योजना सफेद हाथी साबित होती दिखाई दे रही है क्योंकि 33 साल का लंबा इंतजार व 23 करोड खर्च करने के बाद भी लोगों के हलक प्यासे हैं लोग पीने के पानी को आज भी तरस रहे हैंConclusion:सफेद हाथी साबित होती दिखाई दे रही है प्रतापनगर पंपिंग योजना 33 साल का लंबा इंतजार 23 करोड खर्च फिर भी पीने के पानी को तरस रहे हैं नगर वासी।
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