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अल्मोड़ा: चौखुटिया में अस्त्र-शस्त्र के साथ हुई पांडव लीला, देवभूमि से जुड़ी है खास मान्यता - Chowkhutia News

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है यहां कदम-कदम पर देवताओं का वास रहा है. जिसके प्रमाण यहां की सभ्यताओं और संस्कृति में मिलते हैं. देवभूमि को पांडवों की धरती भी कहा जाता है.

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चौखुटिया में पांडव लीला की धूम
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Published : Dec 25, 2019, 5:34 PM IST

Updated : Dec 25, 2019, 6:09 PM IST

चौखुटिया: अल्मोड़ा के चौखुटिया में मंगलवार को पांडव लीला की धूम रही. चमोली के टैटूड़ा माई थान से पहुंचे पांडव लीला के कलाकारों ने पहले ढोल दमाऊ की थाप पर शोभायात्रा निकाली. जिसके बाद अगनेरी मंदिर में पांडव लीला का आयोजन किया गया. जिसमें कलाकारों ने गोल घेरे में नाचते हुए द्रौपदी, बसंती, नागार्जुनी के पात्रों का मंचन किया.

चौखुटिया में पांडव लीला की धूम

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कदम-कदम पर देवताओं का वास रहा है. जिसके प्रमाण यहां की सभ्यताओं और संस्कृति में मिलते हैं. देवभूमि को पांडवों की धरती भी कहा जाता है. यहीं से स्वार्गारोहणी के लिए पांडवों ने प्रस्थान किया था. उत्तराखंड में पांडवों के पूजन की खास परंपरा है. चौखुटिया में इसी पंरपरा को जारी रखते हुए पांडव लीला खेली गई.

पढ़ें-केरल की मशहूर शेफ और मॉडल जगी जॉन अपने घर में मृत पाई गई

बताया जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने विध्वंसकारी अस्त्र और शस्त्रों को त्याग दिया था. इसके बाद उन्होंने सोचा कि आखिर इन अस्त्र और शस्त्रों को कहां छुपाया जाए? इसके लिए पांडवों को देवभूमि से बड़ा कोई स्थान नहीं मिला था. जिन स्थानों पर ये अस्त्र-शस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष तौर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है. चौखुटिया इन्हीं में से एक स्थान है जहां अस्त्र-शस्त्रों के साथ लोग पांडव नृत्य करते हैं.

चौखुटिया: अल्मोड़ा के चौखुटिया में मंगलवार को पांडव लीला की धूम रही. चमोली के टैटूड़ा माई थान से पहुंचे पांडव लीला के कलाकारों ने पहले ढोल दमाऊ की थाप पर शोभायात्रा निकाली. जिसके बाद अगनेरी मंदिर में पांडव लीला का आयोजन किया गया. जिसमें कलाकारों ने गोल घेरे में नाचते हुए द्रौपदी, बसंती, नागार्जुनी के पात्रों का मंचन किया.

चौखुटिया में पांडव लीला की धूम

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कदम-कदम पर देवताओं का वास रहा है. जिसके प्रमाण यहां की सभ्यताओं और संस्कृति में मिलते हैं. देवभूमि को पांडवों की धरती भी कहा जाता है. यहीं से स्वार्गारोहणी के लिए पांडवों ने प्रस्थान किया था. उत्तराखंड में पांडवों के पूजन की खास परंपरा है. चौखुटिया में इसी पंरपरा को जारी रखते हुए पांडव लीला खेली गई.

पढ़ें-केरल की मशहूर शेफ और मॉडल जगी जॉन अपने घर में मृत पाई गई

बताया जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने विध्वंसकारी अस्त्र और शस्त्रों को त्याग दिया था. इसके बाद उन्होंने सोचा कि आखिर इन अस्त्र और शस्त्रों को कहां छुपाया जाए? इसके लिए पांडवों को देवभूमि से बड़ा कोई स्थान नहीं मिला था. जिन स्थानों पर ये अस्त्र-शस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष तौर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है. चौखुटिया इन्हीं में से एक स्थान है जहां अस्त्र-शस्त्रों के साथ लोग पांडव नृत्य करते हैं.

Intro:चौखुटिया अल्मोड़ा चौखुटिया में मंगलवार को पांडव जिला की धूम रही। गढ़वाल अंतर्गत चमोली जिले के टैटूडा माई थान से पहुंचे पांडव लीला कलाकारों की टीम पहले ढोल दमाऊ बजाते हुए शोभायात्रा निकाली। बाद में अग्नेरी मंदिर परिसर में पांडव जिला का आयोजन किया गया। जिसमें कलाकारों ने गोल घेरे में नित्य किया बाद में द्रोपदी, बसंती, नागार्जुनी द्वारा बाण का कौशल दिखाया गया। इस क्रम में काली माता और नागार्जुन नित्य भीमसेन की सेना का नित्य अंत में अर्जुन कृष्ण नीति की प्रस्तुति के साथ पांडवों की स्वर्ग लोक सुधारने का मंचन किया गया।Body:चौखुटिया में पांडव लीला की धूम

पांडव लीला की दौरान परंपरागत गीत हे माता कुंता का पांचा पुत्र हया, ओ इंद्रा लै पांच वर्ष की तपस्या लगाई जैसे गीतों की प्रस्तुति दी। इस दौरान कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से कौरव पांडवों के 18 दिन तक चले युद्ध का वर्णन किया।Conclusion:चौखुटिया अल्मोड़ा चौखुटिया में मंगलवार को पांडव जिला की धूम रही। गढ़वाल अंतर्गत चमोली जिले के टैटूडा माई थान से पहुंचे पांडव लीला कलाकारों की टीम पहले ढोल दमाऊ बजाते हुए शोभायात्रा निकाली। बाद में अग्नेरी मंदिर परिसर में पांडव जिला का आयोजन किया गया। जिसमें कलाकारों ने गोल घेरे में नित्य किया बाद में द्रोपदी, बसंती, नागार्जुनी द्वारा बाण का कौशल दिखाया गया। इस क्रम में काली माता और नागार्जुन नित्य भीमसेन की सेना का नित्य अंत में अर्जुन कृष्ण नीति की प्रस्तुति के साथ पांडवों की स्वर्ग लोक सुधारने का मंचन किया गया।

मौजूद दर्शकों को अज्ञातवास के दौरान की घटनाओं आदि की भी जानकारी दी । अर्जुन की भूमिका में दलीप नेगी, द्रोपती की भूमिका में किरण देवी, मोहन सिंह कृष्ण, अभिषेक कुंती सावित्री भंडारी ,हनुमान वीरेंद्र सिंह, युधिस्टर दीपक देवली ,भवरीक सुरेंद्र सिंह, काली मैया धर्म सिंह, और नागार्जुन दिलीप सिंह सहित कुल 25 लोगों की टीम ने भागीदारी की। इस मौके पर पांडव जिला कमेटी के अध्यक्ष बलवंत नेगी और बलदेव सिंह ने पांडव लीला के सभी प्रश्नों के बारे में जानकारी दी।

इस मौके पर ब्लाक प्रमुख किरण बिष्ट, सुरेंद्र मनराल, जीवन नेगी, हीरा सिंह बिष्ट, मीना कांडपाल, केवल रावत कुलदीप बिष्ट आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।
Last Updated : Dec 25, 2019, 6:09 PM IST
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