चौखुटिया: अल्मोड़ा के चौखुटिया में मंगलवार को पांडव लीला की धूम रही. चमोली के टैटूड़ा माई थान से पहुंचे पांडव लीला के कलाकारों ने पहले ढोल दमाऊ की थाप पर शोभायात्रा निकाली. जिसके बाद अगनेरी मंदिर में पांडव लीला का आयोजन किया गया. जिसमें कलाकारों ने गोल घेरे में नाचते हुए द्रौपदी, बसंती, नागार्जुनी के पात्रों का मंचन किया.
उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कदम-कदम पर देवताओं का वास रहा है. जिसके प्रमाण यहां की सभ्यताओं और संस्कृति में मिलते हैं. देवभूमि को पांडवों की धरती भी कहा जाता है. यहीं से स्वार्गारोहणी के लिए पांडवों ने प्रस्थान किया था. उत्तराखंड में पांडवों के पूजन की खास परंपरा है. चौखुटिया में इसी पंरपरा को जारी रखते हुए पांडव लीला खेली गई.
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बताया जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने विध्वंसकारी अस्त्र और शस्त्रों को त्याग दिया था. इसके बाद उन्होंने सोचा कि आखिर इन अस्त्र और शस्त्रों को कहां छुपाया जाए? इसके लिए पांडवों को देवभूमि से बड़ा कोई स्थान नहीं मिला था. जिन स्थानों पर ये अस्त्र-शस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष तौर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है. चौखुटिया इन्हीं में से एक स्थान है जहां अस्त्र-शस्त्रों के साथ लोग पांडव नृत्य करते हैं.