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यूनिवर्सिटी में लगातार घट रही कुमाऊंनी भाषा के छात्रों की संख्या, अभीतक नहीं हो पाई स्थाई नियुक्ति

यूनिवर्सिटी में कुमाऊंनी भाषा पढ़ने वालों की संख्या घटकर महज 6 रह गई है. बड़ी बात तो ये है कि आज तक यहां विभाग में कुमाऊंनी भाषा पढ़ाने के लिए शिक्षकों के पद तक सृजित नहीं किए गए. वहीं, इस साल पाठ्यक्रम में केवल दो ही एडमिशन हुए हैं.

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घट रही कुमाऊंनी भाषा पढ़ने वाले छात्रों की संख्या
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Published : Dec 28, 2019, 8:22 PM IST

अल्मोड़ा: कुमाऊंनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से कुमाऊं विश्वविद्यालय के एसएसजे परिसर में 2014 में कुमाऊंनी भाषा विभाग खोला गया था. तब यहां 71 छात्र-छात्राएं एकल विषय के रूप में कुमाऊंनी भाषा पढ़ रहे थे. आज यहां स्थिति ये हो गई है कि इस बार कुमाऊंनी भाषा के लिए सिर्फ 2 ही छात्रों ने एडमिशन लिया है.अब यहां कुमाऊंनी भाषा पढ़ने वालों की संख्या घटकर महज 6 रह गई है. बड़ी बात तो ये है कि आज तक यहां विभाग में कुमाऊंनी भाषा पढ़ाने के लिए शिक्षकों के पद तक सृजित नहीं किए गए. जिसके कारण यहां छात्रों की संख्या लगातार घट रही है.

कुमाऊं यूनिवर्सिटी में घट रही छात्र संख्या.

एसएसजे परिसर में कुमाऊंनी भाषा विभाग खुलने के बाद शुरुआत दौर में कुमाऊंनी भाषा पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या अच्छी खासी थी. तब यहां नियमित शिक्षक न होने के बावजूद भी कक्षाएं चल रही थी. पिछले साल तक हिंदी विभाग के तीन प्रोफेसर कुमाऊंनी भाषा निशुल्क पढ़ा रहे थे. बाद में यहां एक संविदा शिक्षक की तैनाती की गई. मगर कुमाऊंनी भाषा के विषय के उचित प्रचार-प्रसार न होने कारण अब यहां छात्रों की संख्या लगातार घट रही है.

पढ़ें-रुड़की: कड़ाके की ठंड से बाजारों से ग्राहक नदारद, व्यापारियों में छाई मायूसी

एसएसजे परिसर के छात्रसंघ अध्यक्ष दीपक उप्रेती का कहना है कुमाऊंनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अलग से विभाग शुरू तो किया गया लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसके कारण इसकी हालत दिन प्रतिदिन खराब होती चली गई. दीपक बताते हैं कि कुमाऊंनी भाषा सिर्फ स्नातक स्तर पर ही लागू है. जिसके कारण कुमाऊंनी में स्तानक के बाद आगे परास्तानक करने वालों में असमंजस की स्थिति बन रहती है. दीपक उप्रेती ने बताय उन्होंने पिछले दिनों कुलपति को परास्नातक में भी कुमाऊंनी भाषा विषय शुरू करने के लिए एक ज्ञापन सौंपा है. जिससे कुमाऊंनी भाषा के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ सके.

अल्मोड़ा: कुमाऊंनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से कुमाऊं विश्वविद्यालय के एसएसजे परिसर में 2014 में कुमाऊंनी भाषा विभाग खोला गया था. तब यहां 71 छात्र-छात्राएं एकल विषय के रूप में कुमाऊंनी भाषा पढ़ रहे थे. आज यहां स्थिति ये हो गई है कि इस बार कुमाऊंनी भाषा के लिए सिर्फ 2 ही छात्रों ने एडमिशन लिया है.अब यहां कुमाऊंनी भाषा पढ़ने वालों की संख्या घटकर महज 6 रह गई है. बड़ी बात तो ये है कि आज तक यहां विभाग में कुमाऊंनी भाषा पढ़ाने के लिए शिक्षकों के पद तक सृजित नहीं किए गए. जिसके कारण यहां छात्रों की संख्या लगातार घट रही है.

कुमाऊं यूनिवर्सिटी में घट रही छात्र संख्या.

एसएसजे परिसर में कुमाऊंनी भाषा विभाग खुलने के बाद शुरुआत दौर में कुमाऊंनी भाषा पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या अच्छी खासी थी. तब यहां नियमित शिक्षक न होने के बावजूद भी कक्षाएं चल रही थी. पिछले साल तक हिंदी विभाग के तीन प्रोफेसर कुमाऊंनी भाषा निशुल्क पढ़ा रहे थे. बाद में यहां एक संविदा शिक्षक की तैनाती की गई. मगर कुमाऊंनी भाषा के विषय के उचित प्रचार-प्रसार न होने कारण अब यहां छात्रों की संख्या लगातार घट रही है.

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एसएसजे परिसर के छात्रसंघ अध्यक्ष दीपक उप्रेती का कहना है कुमाऊंनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अलग से विभाग शुरू तो किया गया लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसके कारण इसकी हालत दिन प्रतिदिन खराब होती चली गई. दीपक बताते हैं कि कुमाऊंनी भाषा सिर्फ स्नातक स्तर पर ही लागू है. जिसके कारण कुमाऊंनी में स्तानक के बाद आगे परास्तानक करने वालों में असमंजस की स्थिति बन रहती है. दीपक उप्रेती ने बताय उन्होंने पिछले दिनों कुलपति को परास्नातक में भी कुमाऊंनी भाषा विषय शुरू करने के लिए एक ज्ञापन सौंपा है. जिससे कुमाऊंनी भाषा के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ सके.

Intro:कुमाऊनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से कुमाऊं विश्वविद्यालय एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में 2014 में कुमाऊनी भाषा विभाग खोला गया था तब 71 छात्र-छात्राएं एकल विषय के रूप में कुमाऊनी भाषा पढ़ रहे थे लेकिन आज स्थिति यह हो गई है कि इस बार कुमाउनी भाषा के लिए सिर्फ 2 छात्रों ने एडमिशन लिया है। वही अब कुमाऊनी भाषा पढ़ने वालों की संख्या घटकर महज 6 रह गई है। विभाग में आज तक भाषा पढ़ाने के लिए शिक्षकों के पद भी सृजित नहीं किए गए। जिस कारण छात्रों की संख्या लगातार घट रही है।
Body:एसएसजे परिसर में कुमाउनी भाषा विभाग खुलने के बाद शुरुआत में कुमाऊनी भाषा पढ़ने वाले छात्र छात्राओं की संख्या अच्छी खासी थी नियमित शिक्षक नहीं होने के बावजूद विभाग में पिछले साल तक हिंदी विभाग के तीन प्रोफेसर कुमाऊनी भाषा निशुल्क पढ़ा रहे थे। बाद में एक संविदा शिक्षक को यहां तैनात किया गया लेकिन प्रचार प्रसार और विवि की ओर से भाषा के उत्थान को लेकर समुचित प्रयास नहीं किए जाने के बाद स्थिति अब काफी बदतर हो गई है ।हालात यह है कि कुमाऊनी भाषा विषय में इस वर्ष केवल 2 छात्रों ने ही प्रवेश लिया। देखा जाए तो सरकार ने कुमाऊनी भाषा विभाग खोलने के बाद उसके प्रचार प्रसार पर ज्यादा ध्यान नही दिया। जिससे कुमाऊनी भाषा को आगे बढ़ाने और कुमाऊनी भाषा सीखने वाले छात्रों के भविष्य पर संशय बना हुआ है। एसएसजे परिसर के छात्रसंघ अध्यक्ष दीपक उप्रेती का कहना है कि कुमाउनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अलग से विभाग तो शुरू किया लेकिन इसकी हालात दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है इस वर्ष यहाँ 71 प्रवेश में से सिर्फ 2 ही छात्रों ने ही प्रवेश लिया है। इसके पीछे कारण दीपक उप्रेती बताते हैं कि कुमाउनी भाषा सिर्फ स्नातक स्तर पर ही लागू है जिस कारण कुमाउनी में स्तानक के बाद आगे परास्तानक करने वालों में असमंजस की स्थिति बनी है। उन्होंने बताया कि उन्होंने पिछले दिनों कुलपति को परास्नातक में भी कुमाउनी भाषा विषय शुरू करने के लिए एक ज्ञापन भी सौंपा है। जिससे कुमाउनी भाषा के प्रति छात्रों में रुझान बढ़ेगा और भाषा को भी बढ़ावा मिलेगा।
कुमाऊनी भाषा विभाग के संयोजक प्रोफ़ेसर जगत सिंह बिष्ट ने बताया कि बताया कि ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के बाद छात्रो का कुमाऊनी भाषा के बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है। पूर्व में शिक्षक कुमाऊनी भाषा लेने के लिए छात्रों को प्रेरित किया करते थे। इसलिए भी छात्र संख्या घट रही है।

बाइट दीपक उप्रेती , छात्र संघ अध्यक्षConclusion:
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