अल्मोड़ा: कुमाऊंनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से कुमाऊं विश्वविद्यालय के एसएसजे परिसर में 2014 में कुमाऊंनी भाषा विभाग खोला गया था. तब यहां 71 छात्र-छात्राएं एकल विषय के रूप में कुमाऊंनी भाषा पढ़ रहे थे. आज यहां स्थिति ये हो गई है कि इस बार कुमाऊंनी भाषा के लिए सिर्फ 2 ही छात्रों ने एडमिशन लिया है.अब यहां कुमाऊंनी भाषा पढ़ने वालों की संख्या घटकर महज 6 रह गई है. बड़ी बात तो ये है कि आज तक यहां विभाग में कुमाऊंनी भाषा पढ़ाने के लिए शिक्षकों के पद तक सृजित नहीं किए गए. जिसके कारण यहां छात्रों की संख्या लगातार घट रही है.
एसएसजे परिसर में कुमाऊंनी भाषा विभाग खुलने के बाद शुरुआत दौर में कुमाऊंनी भाषा पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या अच्छी खासी थी. तब यहां नियमित शिक्षक न होने के बावजूद भी कक्षाएं चल रही थी. पिछले साल तक हिंदी विभाग के तीन प्रोफेसर कुमाऊंनी भाषा निशुल्क पढ़ा रहे थे. बाद में यहां एक संविदा शिक्षक की तैनाती की गई. मगर कुमाऊंनी भाषा के विषय के उचित प्रचार-प्रसार न होने कारण अब यहां छात्रों की संख्या लगातार घट रही है.
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एसएसजे परिसर के छात्रसंघ अध्यक्ष दीपक उप्रेती का कहना है कुमाऊंनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अलग से विभाग शुरू तो किया गया लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसके कारण इसकी हालत दिन प्रतिदिन खराब होती चली गई. दीपक बताते हैं कि कुमाऊंनी भाषा सिर्फ स्नातक स्तर पर ही लागू है. जिसके कारण कुमाऊंनी में स्तानक के बाद आगे परास्तानक करने वालों में असमंजस की स्थिति बन रहती है. दीपक उप्रेती ने बताय उन्होंने पिछले दिनों कुलपति को परास्नातक में भी कुमाऊंनी भाषा विषय शुरू करने के लिए एक ज्ञापन सौंपा है. जिससे कुमाऊंनी भाषा के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ सके.