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अल्मोड़ा : ग्लोबल वार्मिंग को लेकर वैज्ञानिकों ने जताई चिंता, कहा- हो रहा बड़ा बदलाव

पर्वत दिवस के मद्देनजर अल्मोड़ा में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. हिमालय के लिए महत्वपूर्ण इस सेमिनार में पहुंचे एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा समय में हिमालय तेजी से पिघल रहा है.

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राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन .
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Published : Dec 10, 2019, 4:33 PM IST

अल्मोड़ा : आगामी 11 दिसंबर को पर्वत दिवस के मद्देनजर अल्मोड़ा में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इस सेमिनार का मुख्य मकसद पर्यावरण को लेकर हिमालय की भूमिका पर चर्चा है. चर्चा के लिए देश विदेश के एक्सपर्ट अल्मोड़ा पहुंचे हैं.

बता दें कि तीन दिनों तक चलने वाले सम्मेलन का आयोजन पं. गोविन्द बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण एंव विकास संस्थान कोसी कटारमल में किया जा रहा है. इस सम्मेलन में ‘‘बदलते विश्व परिवेश में हिमालयी मुद्दे एंव समाधान’’ विषय पर एक्सपर्ट अपनी राय दे रहें हैं. सम्मेलन में हिमालयी क्षेत्रों में काम कर रहे देश भर के 15 बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया है, जबकि 30 संस्थानों के एक्सपर्ट प्रतिनिधि सेमिनार में मौजूद रहे. वहीं देश भर और नेपाल से 120 हिमालय एक्सपर्ट सेमिनार में अपने विचार और शोध पर चर्चा कर रहें हैं.

राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन .

यह भी पढ़ें-रुद्रपुरः लापता बच्चे को पुलिस ने 24 घंटे के अंदर ढूंढ निकाला, पर 'राज' बरकरार

हिमालय के लिए महत्वपूर्ण इस सेमिनार में पहुंचे एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा समय में हिमालय तेजी से पिघल रहा है. ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में हिमालय के आसपास के इलाकों के साथ पूरे विश्वभर में खरबों लोगों को नुकसान उठाना पड़ेगा. वर्तमान समय में पूरे विश्व के साथ हिमालय का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में हिमालय में 2 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, जिसका असर पूरी दुनिया में दिखेगा. ऐसे हालात को रोकने के लिए हिमालय पर काम करना आवश्यक हो गया है.

अल्मोड़ा : आगामी 11 दिसंबर को पर्वत दिवस के मद्देनजर अल्मोड़ा में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इस सेमिनार का मुख्य मकसद पर्यावरण को लेकर हिमालय की भूमिका पर चर्चा है. चर्चा के लिए देश विदेश के एक्सपर्ट अल्मोड़ा पहुंचे हैं.

बता दें कि तीन दिनों तक चलने वाले सम्मेलन का आयोजन पं. गोविन्द बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण एंव विकास संस्थान कोसी कटारमल में किया जा रहा है. इस सम्मेलन में ‘‘बदलते विश्व परिवेश में हिमालयी मुद्दे एंव समाधान’’ विषय पर एक्सपर्ट अपनी राय दे रहें हैं. सम्मेलन में हिमालयी क्षेत्रों में काम कर रहे देश भर के 15 बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया है, जबकि 30 संस्थानों के एक्सपर्ट प्रतिनिधि सेमिनार में मौजूद रहे. वहीं देश भर और नेपाल से 120 हिमालय एक्सपर्ट सेमिनार में अपने विचार और शोध पर चर्चा कर रहें हैं.

राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन .

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हिमालय के लिए महत्वपूर्ण इस सेमिनार में पहुंचे एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा समय में हिमालय तेजी से पिघल रहा है. ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में हिमालय के आसपास के इलाकों के साथ पूरे विश्वभर में खरबों लोगों को नुकसान उठाना पड़ेगा. वर्तमान समय में पूरे विश्व के साथ हिमालय का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में हिमालय में 2 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, जिसका असर पूरी दुनिया में दिखेगा. ऐसे हालात को रोकने के लिए हिमालय पर काम करना आवश्यक हो गया है.

Intro:आगामी 11 दिसंबर को पर्वत दिवस को लेकर अल्मोड़ा में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी शुरुवात शुरू हो चुकी है। इस सेमिनार का मुख्य मकसद पर्यावरण को लेकर हिमालय की भूमिका पर चर्चा है। जिसको लेकर देश विदेश के एक्सपर्ट अल्मोड़ा पहुँचे हुए हैं।
तीन दिनों तक चलने वाले सम्मेलन का आयोजन पं. गोविन्द बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण एंव विकास संस्थान कोसी कटारमल में शुरू हो चुका है। इस सम्मेलन में ‘‘बदलते विश्व परिवेश में हिमालयी मुद्दे एंव समाधान’’ विषय पर एक्सपर्ट अपनी राय दे रहें हैं। सम्मेलन में हिमालयी क्षेत्रों में काम कर रहे देश भर के 15 बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया है। जबकि 30 संस्थानों के एक्सपर्ट प्रतिनिधि सेमीनार में मौजूद रहे। वहीं देश भर और नेपाल से 120 हिमालय एक्सपर्ट सेमीनार में अपने विचार और शोध पर चर्चा कर रहें हैं।
Body:हिमालय के लिए महत्वपूर्ण इस सेमीनार में पहुंचे एक्सपर्टो का कहना है कि मौजूदा समय में हिमालय तेजी से पिघल रहा है। ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में हिमालय के आसपास के इलाकों के साथ पूरे विश्वभर में खरबों लोगों को नुकसान उठाना पड़ेगा। वर्तमान समय में पूरे विश्व के साथ हिमालय का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में हिमालय में 2 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान में बढ़ोतरी हो रही है जिसका असर पूरी दुनिया मे दिखेगा। ऐसे हालात को रोकने के लिए हिमालय पर काम करना आवश्यक हो गया है।


बाईट - आर एस रावल, निदेशक गोविन्द बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण संस्थान।
बाईट - अरविंद नौटियाल - ज्वाइंट सैकेट्री वन पर्यावरण जलवायु परिवर्तन भारत सरकार।
बाईट - सेजल वोरा, WWF-IndiaConclusion:
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