ETV Bharat / state

शमशेर सिंह बिष्ट को किया याद, देश, संविधान और पर्यावरण पर कही ये बात

डॉ. शमशेर बिष्ट की प्रथम पुण्यतिथि के मौके पर अल्मोड़ा में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान देशभर के जाने माने दिग्गज समाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे.

शमशेर सिंह की स्मृति कार्यक्रम
author img

By

Published : Sep 22, 2019, 6:42 PM IST

अल्मोड़ा: उत्तराखंड के प्रमुख जन आंदोलनकारी, विचारक और पत्रकार स्व. डॉ. शमशेर बिष्ट की आज प्रथम पुण्यतिथि है. इस मौके पर देशभर के जाने माने दिग्गज समाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी शमशेर सिंह बिष्ट की स्मृति में आयोजित सम्मेलन में पहुंचे. इस दौरान शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्ष और आंदोलन पर चर्चा की गई. साथ ही कार्यक्रम में पहुंचे वक्ताओं ने देश, समाज और मानव सभ्यता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर भावी रणनीति बनाई.

शमशेर सिंह की स्मृति कार्यक्रम.

अल्मोड़ा के रैमजे इंटर कॉलेज में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया. दोपहर बाद शहर के एक निजी होटल में उनकी स्मृति पर संगोष्ठी आयोजित की गई. जहां आज के दौर की चुनौतियों और उनके खतरे से निपटने के लिए भावी रणनीति भी तय की गई.

पढ़ें: जानें गांधी जी का रामगढ़ कनेक्शन

इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्ष और उनके आंदोलन को याद किया. साथ ही कहा कि आज संविधान खतरे में है, देश खतरे में है और साथ ही पर्यावरण का खतरा इतना बढ़ गया है कि पूरी सभ्यता खतरे के मुहाने पर आ खड़ी हुई है, जिनसे निपटना एक चुनौती है.

वहीं, इतिहासकार डॉ. शेखर पाठक ने कहा कि शमशेर सिंह बिष्ट समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ एक झंडे के नीचे खड़े होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार किया. उन्होंने कहा कि स्व. डॉ. बिष्ट पर गांधी, मार्क्स, अम्बेडकर, लोहिया, जयप्रकाश नारायण सबका समान असर था. यानी वह सबके विचारों के समान करीबी रहे.

इसके अलावा उनके स्मृति कार्यक्रम में हिमालय को लकेर चर्चा की गई. साथ ही शासन, राज्य और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के मुद्दों पर भी चर्चा की गई और भावी रणनीति तय की गई.

अल्मोड़ा: उत्तराखंड के प्रमुख जन आंदोलनकारी, विचारक और पत्रकार स्व. डॉ. शमशेर बिष्ट की आज प्रथम पुण्यतिथि है. इस मौके पर देशभर के जाने माने दिग्गज समाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी शमशेर सिंह बिष्ट की स्मृति में आयोजित सम्मेलन में पहुंचे. इस दौरान शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्ष और आंदोलन पर चर्चा की गई. साथ ही कार्यक्रम में पहुंचे वक्ताओं ने देश, समाज और मानव सभ्यता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर भावी रणनीति बनाई.

शमशेर सिंह की स्मृति कार्यक्रम.

अल्मोड़ा के रैमजे इंटर कॉलेज में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया. दोपहर बाद शहर के एक निजी होटल में उनकी स्मृति पर संगोष्ठी आयोजित की गई. जहां आज के दौर की चुनौतियों और उनके खतरे से निपटने के लिए भावी रणनीति भी तय की गई.

पढ़ें: जानें गांधी जी का रामगढ़ कनेक्शन

इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्ष और उनके आंदोलन को याद किया. साथ ही कहा कि आज संविधान खतरे में है, देश खतरे में है और साथ ही पर्यावरण का खतरा इतना बढ़ गया है कि पूरी सभ्यता खतरे के मुहाने पर आ खड़ी हुई है, जिनसे निपटना एक चुनौती है.

वहीं, इतिहासकार डॉ. शेखर पाठक ने कहा कि शमशेर सिंह बिष्ट समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ एक झंडे के नीचे खड़े होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार किया. उन्होंने कहा कि स्व. डॉ. बिष्ट पर गांधी, मार्क्स, अम्बेडकर, लोहिया, जयप्रकाश नारायण सबका समान असर था. यानी वह सबके विचारों के समान करीबी रहे.

इसके अलावा उनके स्मृति कार्यक्रम में हिमालय को लकेर चर्चा की गई. साथ ही शासन, राज्य और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के मुद्दों पर भी चर्चा की गई और भावी रणनीति तय की गई.

Intro:उत्तराखण्ड के प्रमुख जन आन्दोलकारी, विचारक व पत्रकार स्व. डा. शमशेर बिष्ट की प्रथम पुण्यतिथि पर अल्मोड़ा में देशभर के जाने माने दिग्गज समाजिक कार्यकर्ता , आन्दोलकारी जुटे। शमशेर सिंह बिष्ट की स्मृति में आयोजित सम्मेलन में उनके संघर्ष  और आन्दोलन पर तो चर्चा की ही गई साथ के आज के गंम्भीर सवालों और चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। इस मौके पर वक्ताओं ने आज देश समाज, मानव सभ्यता को खतरे में बताया।



Body:अल्मोड़ा के रैमजे इंटर काॅलेज में दोपहर तक चले इस सम्मेलन में देशभर के सैंकड़ों दिग्गजों ने शिरकत कर डा. शमशेर सिंह बिष्ट को याद किया। दोपहर बाद शहर के एक निजी होटल में उनकी स्मृति पर संगोष्टी आयोजित की गई जिसपर आज के दौर की चुनौतियों और उनके खतरे से निपटने के लिए भावी रणनीति भी तय की गई।
इस मौके पर जाने माने सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि डा. शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्ष और उनके आन्दोलन चाहे वह पर्यावरण के मुद्दे पर हो या उत्तराखण्ड में शराब समेत प्राकृतिक संसाधनों के लूट के खिलाफ हो उनपर विस्तार से चर्चा की गई। इसके अलावा आज के दौर की समस्याओं और चुनौतियांे पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि आज संविधान खतरे में है, देश खतरे में है साथ ही पर्यावरण का खतरा इतना बढ़ गया है कि पूरी सभ्यता खतरे के मुहाने पर आ खड़ी हुई है। जिनसे निपटना एक चुनौती है।
  वहीं इस मौके पर जाने माने इतिहासकार डा. शेखर पाठक ने कहा कि डा. शमशेर सिंह बिष्ट ने चाहे सामाजिक आन्दोलन हो या फिर राजनैतिक आन्दोलन दोनों माध्यमों से समाज के हर वर्ग के लोगों को एक झण्डे के नीचे खड़े होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा कि स्व. डा. बिष्ट पर गांधी, मार्क्स, अम्बेडकर , लोहिया, जयप्रकाश नारायण सबका समान असर था। यानी वह सबके विचारों के समान करीबी रहे। इसी कारण वह राजनैतिक, सामाजिक आन्दोलनों में यह तय नहीं कर पाए कि वह किस ओर जायें वह सबको साधकर चलते थे इसी कारण समाज में उनकी स्वीकार्यता बढ़ी। इसके अलावा उनकी स्मृति पर आज के जो सवाल हैं चाहे वह हमारे हिमालय के सवाल हो जिस पर हमारा समाज जुड़ा हुआ है चाहे सत्ता से जुड़ा सवाल हो जिससे हमारा प्रजातंत्र जुड़ा है या फिर उत्तराखण्ड का सवाल हमारी संस्कृति का सवाल या फिर यहां के प्राकृतिक संसाधनों की लूट का सवाल इन सभी मुद्दों पर आज चुनौतियां बहुत हैं। इन सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा कर भावी रणनीति तय की गई।

बाइट- प्रशांत भूषण, वकील सुप्रीम कोर्ट
बाइट- शेखर पाठक, इतिहासकार



Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.