अल्मोड़ा: उत्तराखंड के प्रमुख जन आंदोलनकारी, विचारक और पत्रकार स्व. डॉ. शमशेर बिष्ट की आज प्रथम पुण्यतिथि है. इस मौके पर देशभर के जाने माने दिग्गज समाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी शमशेर सिंह बिष्ट की स्मृति में आयोजित सम्मेलन में पहुंचे. इस दौरान शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्ष और आंदोलन पर चर्चा की गई. साथ ही कार्यक्रम में पहुंचे वक्ताओं ने देश, समाज और मानव सभ्यता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर भावी रणनीति बनाई.
अल्मोड़ा के रैमजे इंटर कॉलेज में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया. दोपहर बाद शहर के एक निजी होटल में उनकी स्मृति पर संगोष्ठी आयोजित की गई. जहां आज के दौर की चुनौतियों और उनके खतरे से निपटने के लिए भावी रणनीति भी तय की गई.
पढ़ें: जानें गांधी जी का रामगढ़ कनेक्शन
इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्ष और उनके आंदोलन को याद किया. साथ ही कहा कि आज संविधान खतरे में है, देश खतरे में है और साथ ही पर्यावरण का खतरा इतना बढ़ गया है कि पूरी सभ्यता खतरे के मुहाने पर आ खड़ी हुई है, जिनसे निपटना एक चुनौती है.
वहीं, इतिहासकार डॉ. शेखर पाठक ने कहा कि शमशेर सिंह बिष्ट समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ एक झंडे के नीचे खड़े होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार किया. उन्होंने कहा कि स्व. डॉ. बिष्ट पर गांधी, मार्क्स, अम्बेडकर, लोहिया, जयप्रकाश नारायण सबका समान असर था. यानी वह सबके विचारों के समान करीबी रहे.
इसके अलावा उनके स्मृति कार्यक्रम में हिमालय को लकेर चर्चा की गई. साथ ही शासन, राज्य और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के मुद्दों पर भी चर्चा की गई और भावी रणनीति तय की गई.