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उत्तराखंड में यहां स्थित है कुबेर का एकमात्र मंदिर, चांदी का सिक्का ले जाने से नहीं होती धन की कमी

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Published : Aug 14, 2019, 11:52 AM IST

Updated : Aug 14, 2019, 2:22 PM IST

अपनी गरीबी से परेशान होकर लोग भगवान कुबेर के दर्शन करने दूर-दूर से अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर धाम आते हैं. जहां से वे एक चांदी का सिक्का लेकर जाते हैं और मान्यता है इसके बाद उनके घरों में धन-संपत्ति की कभी कमी नहीं रहती.

प्राचीन कुबेर मंदिर, जागेश्वर

अल्मोड़ा: देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड अपने मंदिरों के लिए जाना जाता है. प्रदेश में कुबेर का एकमात्र मंदिर अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में स्थित है. जिसका महत्व धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है. मान्यता है कि इस मंदिर में आकर पूजा-पाठ करने और एक चांदी का सिक्का यहां से ले जाने पर जिंदगी में कभी भी धन की कमी नहीं होती.

प्राचीन कुबेर मंदिर, जागेश्वर

अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध जागेश्वर मंदिर के 125 मंदिरों के समूह में धन देवता कुबेर भी विराजमान हैं. कुबेर का यह मंदिर उत्तराखंड में एकमात्र, जबकि देश का छठां कुबेर मंदिर है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि मूर्तिरूप में स्थापित यह मंदिर सबसे प्राचीन कुबेर का मंदिर है, यहां पर उन्हें शिव के रूप में भी पूजा जाता है.

पढे़ं- ड्यूटी ज्वाइन करने निकला गढ़वाल राइफल का जवान लापता, फोटो लेकर जगह-जगह खोज रही बहन

पुजारी बताते हैं कि जिसकी भी आर्थिक स्थिती कमजोर होती है, उसे इस मंदिर से एक चांदी के सिक्के को मंत्रोच्चार करके पीले कपड़े में लपेटकर दिया जाता है. जिसके बाद उस सिक्के को धन रखने वाली जगह में रखने से धन में वृद्धि होती है और कभी उसे जिंदगी में गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता.

वहीं धनतेरस के दिन यहां आकर कुबेर देवता की पूजा पाठ से शुभ फल मिलता है. मंदिर के पुजारियों के अनुसार यहां सालभर देश-विदेश से भक्त भगवान कुबेर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और चांदी के सिक्के को ले जाते हैं.

इस मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इसका जीर्णोंद्धार भी जागेश्वर मंदिर समूह के अन्य मंदिरों की तरह ही 7वीं सदी से 14वीं सदी के बीच कत्यूरी राजवंश के दौरान ही हुआ था.

अल्मोड़ा: देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड अपने मंदिरों के लिए जाना जाता है. प्रदेश में कुबेर का एकमात्र मंदिर अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में स्थित है. जिसका महत्व धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है. मान्यता है कि इस मंदिर में आकर पूजा-पाठ करने और एक चांदी का सिक्का यहां से ले जाने पर जिंदगी में कभी भी धन की कमी नहीं होती.

प्राचीन कुबेर मंदिर, जागेश्वर

अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध जागेश्वर मंदिर के 125 मंदिरों के समूह में धन देवता कुबेर भी विराजमान हैं. कुबेर का यह मंदिर उत्तराखंड में एकमात्र, जबकि देश का छठां कुबेर मंदिर है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि मूर्तिरूप में स्थापित यह मंदिर सबसे प्राचीन कुबेर का मंदिर है, यहां पर उन्हें शिव के रूप में भी पूजा जाता है.

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पुजारी बताते हैं कि जिसकी भी आर्थिक स्थिती कमजोर होती है, उसे इस मंदिर से एक चांदी के सिक्के को मंत्रोच्चार करके पीले कपड़े में लपेटकर दिया जाता है. जिसके बाद उस सिक्के को धन रखने वाली जगह में रखने से धन में वृद्धि होती है और कभी उसे जिंदगी में गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता.

वहीं धनतेरस के दिन यहां आकर कुबेर देवता की पूजा पाठ से शुभ फल मिलता है. मंदिर के पुजारियों के अनुसार यहां सालभर देश-विदेश से भक्त भगवान कुबेर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और चांदी के सिक्के को ले जाते हैं.

इस मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इसका जीर्णोंद्धार भी जागेश्वर मंदिर समूह के अन्य मंदिरों की तरह ही 7वीं सदी से 14वीं सदी के बीच कत्यूरी राजवंश के दौरान ही हुआ था.

Intro:स्पेशल स्टोरी
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देवभूमि के नाम से जाने जाने वाले उत्तराखंड में अनेको प्रकार देवताओं के मंदिर विराजमान है। जिनका अपना अलग अलग महत्व है। इन्ही में से एक मंदिर है भगवान कुबेर का जिन्हें धन के देवता के रूप में पूजा जाता है। उत्तराखंड में एकमात्र कुबेर का मंदिर अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में स्थित है। जिसका बड़ा महत्व माना जाता है। माना जाता है कि यहाँ आकर पूजा पाठ करने और एक सिक्का यहाँ से ले जाने पर जिंदगी में कभी भी धन की कमी नही होती है।



Body:अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध जागेश्वर मंदिर समूह के 125 मंदिर समूह में से एक धन के देवता कुबेर का मंदिर विराजमान है। कुबेर का यह मंदिर उत्तराखंड में एकमात्र मंदिर है जबकि देश का छठा कुबेर का मंदिर है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि मूर्तिरूप में स्थापित यह मंदिर सबसे प्राचीन कुबेर का मंदिर है यहाँ पर उन्हें शिव के रूप में ही पूजा जाता है। उनका कहना है कि जिसकी भी आर्थिक स्थिती कमजोर होती है या उसके पास धन की कमी होती है उसे इस मंदिर से एक चांदी का सिक्के को मंत्रोच्चार करके पीले कपड़े में लपेटकर दिया जाता है। उस सिक्के को वैसे ही धन रखने वाली जगह में रखने से धन के भंडार भर जाते हैं। कभी भी उसे जिंदगी में गरीबी का सामना नही करना पड़ता है। वही धनतेरस के दिन यहा आकर कुबेर देवता की पूजा पाठ से भी फल मिलता है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार यहाँ सालभर देशभर के अनेक राज्यो से भक्त भगवान कुबेर के दर्शन करने पहुचते है और प्रतिष्ठित करके चांदी के सिक्के को ले जाते हैं।
इस मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इसका जीर्णोद्धार भी जागेश्वर मंदिर समूह के अन्य अन्य मंदिरों की तरह 7वी सदी से 14 वी सदी के बीच कत्यूरी राजवंश के दौरान ही हुआ।

बाइट-नवीन चंद्र भट्ट , पुजारी कुबेर मंदिर
बाइट- भगवान भट्ट, प्रबंधन जागेश्वर मंदिर
बाइट , गिरीश , श्रद्धालु


Conclusion:
Last Updated : Aug 14, 2019, 2:22 PM IST
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