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लॉकडाउन की मार: KMOU बस संचालकों ने सरकार से मांगी आर्थिक सहायता

लॉकडाउन के कारण पर्वतीय मार्गों में यातायात की जीवन रेखा कही जाने वाली केएमओयू के पहिये पिछले ढाई महीनों से थमे हुए हैं. इस कारण केएमओयू बस संचालक अपने कर्मचारियों को दो महीने से वेतन नहीं दे पा रहे हैं. अब बस संचालकों ने सरकार से मदद मांगी है.

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Published : Jun 2, 2020, 4:44 PM IST

Uttarakhand
KMOU बस संचालक

सोमेश्वर: कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के पर्वतीय मार्गों में यातायात की जीवन रेखा कही जाने वाली केएमओयू के पहिये पिछले ढाई महीनों से रुके हुए हैं. लॉकडाउन के कारण कर्ज के बोझ तले दबे संचालकों ने सरकार से टैक्स माफ करने और बीमा की अवधि को आगे बढ़ाने की गुहार लगाई है.

उत्तराखंड में कुमायूं मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड (केएमओयू) को कुमाऊं मंडल के पर्वतीय मार्गों की यात्रा के लिए जीवन रेखा माना जाता है. यह कंपनी कुमाऊं मंडल के समूचे मोटर मार्ग समेत गढ़वाल मंडल के चुनिंदा पर्वतीय मोटर मार्गों में यात्री वाहनों का संचालन करती है. साल 1939 में स्थापित कंपनी कोविड-19 के चलते लागू राष्ट्रव्यापी पूर्णबंदी के कारण शून्य आमदनी होने से अपने कर्मचारियों को दो माह से वेतन भुगतान नहीं कर पा रही है. सार्वजनिक परिवहन सेवा बंद हो जाने के कारण कंपनी में पंजीकृत वाहन संचालक भी शून्य आमदनी के चलते देनदारियों के बोझ तले दब चुके हैं. इसमें चालक-परिचालकों का वेतन, टैक्स, वाहन बीमा, फिटनेस, परमिट, प्रदूषण प्रमाण पत्र तथा बैंक की मासिक किश्त शामिल हैं.

पढ़ें: मंत्री सतपाल महाराज के पांच रिश्तेदार फिर एम्स में हुए भर्ती, कल हुए थे डिस्चार्ज

वहीं, संस्था के प्रभारी ललित मेहता का कहना है कि पहली बार कंपनी को ऐसे चिंताजनक हालातों से गुजरना पड़ रहा है. केएमओयू के हल्द्वानी, बागेश्वर, चंपावत, रामनगर, रानीखेत, अल्मोड़ा तथा पिथौरागढ़ में बस स्टेशन हैं. कंपनी में पंजीकृत लगभग 250 वाहन संचालक प्रत्येक यात्रा फेरा में हुई कुल बुकिंग का साढ़े सात फीसदी कमीशन के तौर पर कंपनी में जमा करते हैं. कमीशन के तौर पर जमा होने वाली यह रकम ही कंपनी की आय का स्रोत है. इससे कर्मचारियों का वेतन, कर्मचारी भविष्य निधि, अंशदान समेत अन्य खर्च वहन किए जाते हैं. लॉकडाउन के कारण लगभग 165 कर्मचारियों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है.

सोमेश्वर: कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के पर्वतीय मार्गों में यातायात की जीवन रेखा कही जाने वाली केएमओयू के पहिये पिछले ढाई महीनों से रुके हुए हैं. लॉकडाउन के कारण कर्ज के बोझ तले दबे संचालकों ने सरकार से टैक्स माफ करने और बीमा की अवधि को आगे बढ़ाने की गुहार लगाई है.

उत्तराखंड में कुमायूं मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड (केएमओयू) को कुमाऊं मंडल के पर्वतीय मार्गों की यात्रा के लिए जीवन रेखा माना जाता है. यह कंपनी कुमाऊं मंडल के समूचे मोटर मार्ग समेत गढ़वाल मंडल के चुनिंदा पर्वतीय मोटर मार्गों में यात्री वाहनों का संचालन करती है. साल 1939 में स्थापित कंपनी कोविड-19 के चलते लागू राष्ट्रव्यापी पूर्णबंदी के कारण शून्य आमदनी होने से अपने कर्मचारियों को दो माह से वेतन भुगतान नहीं कर पा रही है. सार्वजनिक परिवहन सेवा बंद हो जाने के कारण कंपनी में पंजीकृत वाहन संचालक भी शून्य आमदनी के चलते देनदारियों के बोझ तले दब चुके हैं. इसमें चालक-परिचालकों का वेतन, टैक्स, वाहन बीमा, फिटनेस, परमिट, प्रदूषण प्रमाण पत्र तथा बैंक की मासिक किश्त शामिल हैं.

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वहीं, संस्था के प्रभारी ललित मेहता का कहना है कि पहली बार कंपनी को ऐसे चिंताजनक हालातों से गुजरना पड़ रहा है. केएमओयू के हल्द्वानी, बागेश्वर, चंपावत, रामनगर, रानीखेत, अल्मोड़ा तथा पिथौरागढ़ में बस स्टेशन हैं. कंपनी में पंजीकृत लगभग 250 वाहन संचालक प्रत्येक यात्रा फेरा में हुई कुल बुकिंग का साढ़े सात फीसदी कमीशन के तौर पर कंपनी में जमा करते हैं. कमीशन के तौर पर जमा होने वाली यह रकम ही कंपनी की आय का स्रोत है. इससे कर्मचारियों का वेतन, कर्मचारी भविष्य निधि, अंशदान समेत अन्य खर्च वहन किए जाते हैं. लॉकडाउन के कारण लगभग 165 कर्मचारियों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है.

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