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अल्मोड़ा: जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने उठाए यह कदम - Dialogue Program News

पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिकों ने नई तकनीक पर आधारित एग्री कैनन गन और बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस लॉन्च की है. फिलहाल वीपीकेएएस इस तकनीक को लेकर सरकार के पास प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रहा है, ताकि किसानों को यह नई तकनीक सब्सिडी के जरिए मुहैया कराई जा सके.

Vivekananda Hill Institute of Agricultural Research News
एग्री कैनन गन और बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस लांच करते वैज्ञानिक
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Published : Feb 11, 2020, 5:45 PM IST

अल्मोड़ा: पहाड़ी क्षेत्रों की खेती को जंगली जानवर भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिससे किसानों को निजात दिलाने के लिए मंगलवार को विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें किसानों के साथ वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. इस दौरान भारतीय अनुसंसाधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा करने के लिए आवश्यक जानकारी दी. साथ ही खेतों से जंगली जानवरों को भगाने के लिए एग्री कैनन गन और बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस लॉन्च की. इन उपकरणों से किसान अपनी खेती को जंगली जानवरों से बचाने में कुछ हद तक सफल हो पाएंगे.

वैज्ञानिक आरएस त्रिपाठी ने बताया कि नई तकनीक पर आधारित इस बंदूक में कैल्शियम कार्बाइट डाल कर ट्रिगर दबाने से धामकेदार आवाज आती है. जिससे बंदर डर कर भाग जाते हैं. किसानों को इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. साथ ही बॉयो एकोस्टिक नाम से एक डिवाइस भी लॉन्च की गई है. इस डिवाइस को खेतों में खंबे के सहारे लगाया जाता है. जब जानवर खेतों में घुसपैठ करते हैं तो यह डिवाइस कई तरह की आवाज करती है. जिससे जंगली जानवर खेतों से दूर भाग जाते हैं.

वैज्ञानिकों ने एग्री कैनन गन और बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस लॉन्च की.

इस डिवाइस को एंड्रॉयड मोबाइल से आपरेट किया जा सकता है. साथ ही इसे सौर ऊर्जा के माध्यम से भी चार्ज किया जा सकता है. एग्री कैनन बंदूक की कीमत करीब 4 हजार है. वहीं बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस की कीमत 25 हजार के करीब है.

ये भी पढ़ें: विकास नगर: आधुनिकता के दौर में जनजातीय काष्ठ कला विलुप्ति की कगार पर

वहीं विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके पटनायक ने बताया कि उत्तराखंड में जंगली जानवर फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में किसानों की समस्या को देखते हुए वो इस तकनीक का प्रस्ताव राज्य सरकार को देंगे. यदि सरकार इसमें दिलचस्पी दिखाती है तो यहां के किसानों को यह तकनीक सब्सिडी के जरिए मुहैया कराई जा सकती है.

अल्मोड़ा: पहाड़ी क्षेत्रों की खेती को जंगली जानवर भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिससे किसानों को निजात दिलाने के लिए मंगलवार को विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें किसानों के साथ वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. इस दौरान भारतीय अनुसंसाधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा करने के लिए आवश्यक जानकारी दी. साथ ही खेतों से जंगली जानवरों को भगाने के लिए एग्री कैनन गन और बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस लॉन्च की. इन उपकरणों से किसान अपनी खेती को जंगली जानवरों से बचाने में कुछ हद तक सफल हो पाएंगे.

वैज्ञानिक आरएस त्रिपाठी ने बताया कि नई तकनीक पर आधारित इस बंदूक में कैल्शियम कार्बाइट डाल कर ट्रिगर दबाने से धामकेदार आवाज आती है. जिससे बंदर डर कर भाग जाते हैं. किसानों को इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. साथ ही बॉयो एकोस्टिक नाम से एक डिवाइस भी लॉन्च की गई है. इस डिवाइस को खेतों में खंबे के सहारे लगाया जाता है. जब जानवर खेतों में घुसपैठ करते हैं तो यह डिवाइस कई तरह की आवाज करती है. जिससे जंगली जानवर खेतों से दूर भाग जाते हैं.

वैज्ञानिकों ने एग्री कैनन गन और बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस लॉन्च की.

इस डिवाइस को एंड्रॉयड मोबाइल से आपरेट किया जा सकता है. साथ ही इसे सौर ऊर्जा के माध्यम से भी चार्ज किया जा सकता है. एग्री कैनन बंदूक की कीमत करीब 4 हजार है. वहीं बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस की कीमत 25 हजार के करीब है.

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वहीं विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके पटनायक ने बताया कि उत्तराखंड में जंगली जानवर फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में किसानों की समस्या को देखते हुए वो इस तकनीक का प्रस्ताव राज्य सरकार को देंगे. यदि सरकार इसमें दिलचस्पी दिखाती है तो यहां के किसानों को यह तकनीक सब्सिडी के जरिए मुहैया कराई जा सकती है.

Intro:पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों की खेती को बंदर , सुअर समेत जंगली जानवरों द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान को लेकर आज विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंसाधन संस्थान में किसानों के साथ वैज्ञानिकों का संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान भारतीय अनुसंसाधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा के लिए आवश्यक जानकारी दी। इस मौके पर विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में जंगली जानवरों को भगाने के लिए तकनीक से आधारित एग्री कैनन बंदूक और बाॅयो-एकोस्टिक डिवाइस लांच की गई।
Body:बतादे कि पहाड़ी क्षेत्रों में बंदरों , सुअरों समेत कई प्रकार के जंगली जानवरों द्वारा खेती को नुकसान पहुंचाया जाता है। इसी के समाधान को लेकर लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक एग्री कैनन नाम से बंदूक तैयार की गई है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस बंदूक में थोड़ा सा कैल्शियम कार्बाइट डालने के बाद धामकेदार आवाज आती है, जिसकी आवाज से बंदर भाग जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह एग्री कैनन नाम की बंदूक से किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है यह सिर्फ आवाज के लिए ही प्रयुक्त होती है। उन्होंने बकायदा इसका प्रयोग कर किसानों को इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने बाॅयो एकोस्टिक नाम से डिवाइस लाॅच की जिसे खेतों में खम्बे के के सहारे लगाने पर खेतों में आने वाले जानवर इससे निकलने वाली तरह तरह की आवाजों से दूर भाग जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसको सौर्य ऊर्जा के माध्यम से चलाया जा सकता है। साथ ही इस डिवाइस को एंड्राॅयड मोबाइल के माध्यम से आपरेट किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि एग्री कैनन बंदूक की कीमत 4 हज़ार के आसपास है, वही बाॅयो-एकोस्टिक डिवाइस की कीमत 25 हज़ार है। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ ए के पटनायक ने बताया कि उत्तराखंड में फसलो को जंगली जानवर सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा रहे है। इसका प्रस्ताव वह राज्य सरकार को भी देंगे अगर सरकार दिलचस्पी दिखाती है तो यहाँ के किसानों को यह तकनीक सब्सिडी में मिल सकती है।

बाइट - डॉ ए के पटनायक , निदेशक विपीकेएएस
बाइट आर एस त्रिपाठी, वैज्ञानिक
बाइट दीपा देवी, किसान

Conclusion:
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