अल्मोड़ा: पहाड़ी क्षेत्रों की खेती को जंगली जानवर भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिससे किसानों को निजात दिलाने के लिए मंगलवार को विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें किसानों के साथ वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. इस दौरान भारतीय अनुसंसाधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा करने के लिए आवश्यक जानकारी दी. साथ ही खेतों से जंगली जानवरों को भगाने के लिए एग्री कैनन गन और बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस लॉन्च की. इन उपकरणों से किसान अपनी खेती को जंगली जानवरों से बचाने में कुछ हद तक सफल हो पाएंगे.
वैज्ञानिक आरएस त्रिपाठी ने बताया कि नई तकनीक पर आधारित इस बंदूक में कैल्शियम कार्बाइट डाल कर ट्रिगर दबाने से धामकेदार आवाज आती है. जिससे बंदर डर कर भाग जाते हैं. किसानों को इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. साथ ही बॉयो एकोस्टिक नाम से एक डिवाइस भी लॉन्च की गई है. इस डिवाइस को खेतों में खंबे के सहारे लगाया जाता है. जब जानवर खेतों में घुसपैठ करते हैं तो यह डिवाइस कई तरह की आवाज करती है. जिससे जंगली जानवर खेतों से दूर भाग जाते हैं.
इस डिवाइस को एंड्रॉयड मोबाइल से आपरेट किया जा सकता है. साथ ही इसे सौर ऊर्जा के माध्यम से भी चार्ज किया जा सकता है. एग्री कैनन बंदूक की कीमत करीब 4 हजार है. वहीं बॉयो-एकोस्टिक डिवाइस की कीमत 25 हजार के करीब है.
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वहीं विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके पटनायक ने बताया कि उत्तराखंड में जंगली जानवर फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में किसानों की समस्या को देखते हुए वो इस तकनीक का प्रस्ताव राज्य सरकार को देंगे. यदि सरकार इसमें दिलचस्पी दिखाती है तो यहां के किसानों को यह तकनीक सब्सिडी के जरिए मुहैया कराई जा सकती है.