अल्मोड़ा: कुमाऊं की संस्कृति की एक विशिष्ट पहचान ऐपण भी है. जिनसे देवभूमि की महिलाओं की पहचान भी जुड़ी हुई है. ऐपण कला को लोकप्रिय बनाने में स्थानीय महिलाओं व कलाकारों की अहम भूमिका रहती है. जिससे देवभूमि की महिलाएं विरासत के तौर पर संजोए हुए हैं.
दीपावली के अवसर पर कुमाऊं के घर-घर ऐपण से सजाए जाते हैं. घरों को आंगन से घर के मंदिर तक ऐपण देकर सजाया जाता है. दीपावली में बनाए जाने वाले ऐपण में मां लक्ष्मी के पैर घर के बाहर से अन्दर की ओर को बनाए जाते है. दो पैरों के बीच के खाली स्थान पर गोल आकृति बनायी जाती है जो धन का प्रतीक माना जाता है. पूजा कक्ष में भी लक्ष्मी की चौकी बनाई जाती है. माना जाता है कि इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर परिवार को धन-धान्य से पूर्ण करती हैं.
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हवन यज्ञादि करते समय यज्ञशाला, यज्ञवेदी, धरती को लाल रंग के गेरू या लाल मिट्टी से लीपा जाता था. यज्ञवेदी में हवन करने के लिए पहले आटा या चावल के रेखाओं और बिन्दुओं द्वारा यंत्रों की संरचना की जाती है. इसके बाद यंत्र के ऊपर लकड़ियों को रखकर आग और यंत्रों द्वारा हवन कर देवी-देवताओं का आवाह्न किया जाता था. यहीं विधा अब ऐपणों द्वारा दर्शाते हैं.
गेरू और बिस्वार से बनाए जाने वाले ऐपण की जगह अब लोग आधुनिक दौर में सिंथेटिक रंगो से भी ऐपण बनाने लगे है. लोगों का मानना है कि वो ऐपण कई दिनों तक घरों को सजाने का काम करते हैं. इन रंगो के प्रयोग से बनाए गए ऐपण केवल घर को सजाने मात्र का काम करते हैं.