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अल्मोड़ा में आज भी सुरक्षित है गांधी जी का लोटा, की जाती है पूजा

अल्मोड़ा में गांधी जी का नीलाम किया गया लोटा आज भी सुरक्षित है. उस दौर में 11 रुपये में यह लोटा अब दिवंगत हो चुके जवाहर शाह ने खरीदा था. फिलहाल यह लोटा गांधी और स्वतंत्रता आंदोलन की यादों से जुड़ा हुआ है.

गांधी जी का लोटा आज भी है सुरक्षित
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Published : Aug 1, 2019, 9:30 PM IST

Updated : Aug 1, 2019, 11:44 PM IST

अल्मोड़ा: बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश की आजादी के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने बर्तन तक नीलाम कर दिए थे. सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में आज भी गांधीजी का वह लोटा मौजूद है, जिसको उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक जनसभा में नीलाम किया था. जिसको उस समय अल्मोड़ा के कैलाश होटल मालिक जवाहर शाह ने गांधी जी से खरीदा था.

गांधी जी का लोटा आज भी है सुरक्षित

दिवंगत जवाहर शाह के बेटे सावल शाह का कहना है कि उनके पिता उन्हें बताते थे कि स्वतंत्रता आंदोलन के लिए पैसों की कमी के कारण गांधी जी देश भर में घूम-घूमकर लोगों को जागरूक करते हुए चंदा भी इकट्ठा कर रहे थे. साथ ही देश की आजादी के लिए अपने सामान को नीलाम कर पैसा जुटा रहे थे. उसी दौरान वह अल्मोड़ा दौरे पर आए थे, जहां उन्होंने अपने लोटे की नीलामी की थी.

पढे़ं- कांजी हाउस मामलाः सीएम त्रिवेंद्र ने ETV भारत की खबर पर लगाई मुहर, माना महीने भर में 102 गोवंश की हुई मौत

वह बताते हैं कि यह लोटा चांदी का है, इसको उस दौर में उनके पिताजी ने गांधी जी को आजादी के आंदोलन में सहयोग करने के लिए असल कीमत से कई गुना ज्यादा दाम लगभग 11 रुपये की कीमत में खरीदा था. यह लोटा आज भी उनके पास सुरक्षित है.

वहीं इतिहासकार वी डी एस नेगी का कहना है कि गांधीजी 1929 में अल्मोड़ा के दौरे पर आए थे. यहां आकर उन्होंने कई जनसभाओं को संबोधित किया. इसी दौरान यह लोटा भी उन्होंने जवाहर शाह को दिया होगा. उन्होंने कहा उस समय स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग के लिए यहां से काफी मात्रा में चंदा इकट्ठा करके गांधी जी को दिया गया था.

वे बताते हैं कि साल 1929 में नैनीताल में महिलाओं ने आजादी के आंदोलन में अपना सहयोग देते हुए गांधी जी को अपने गहने तक भेंट कर दिए थे. दिवंगत जवाहर शाह की बहू गीता शाह बताती हैं कि उनको इस बात का गर्व है कि गांधी जी का लोटा उनके पास है. वे कहती हैं कि उनके ससुर इस लोटे को मंदिर में रखा करते थे. साथ ही उनसे भी इस लोटे को सुरक्षित रखने को कहते थे.

अल्मोड़ा: बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश की आजादी के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने बर्तन तक नीलाम कर दिए थे. सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में आज भी गांधीजी का वह लोटा मौजूद है, जिसको उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक जनसभा में नीलाम किया था. जिसको उस समय अल्मोड़ा के कैलाश होटल मालिक जवाहर शाह ने गांधी जी से खरीदा था.

गांधी जी का लोटा आज भी है सुरक्षित

दिवंगत जवाहर शाह के बेटे सावल शाह का कहना है कि उनके पिता उन्हें बताते थे कि स्वतंत्रता आंदोलन के लिए पैसों की कमी के कारण गांधी जी देश भर में घूम-घूमकर लोगों को जागरूक करते हुए चंदा भी इकट्ठा कर रहे थे. साथ ही देश की आजादी के लिए अपने सामान को नीलाम कर पैसा जुटा रहे थे. उसी दौरान वह अल्मोड़ा दौरे पर आए थे, जहां उन्होंने अपने लोटे की नीलामी की थी.

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वह बताते हैं कि यह लोटा चांदी का है, इसको उस दौर में उनके पिताजी ने गांधी जी को आजादी के आंदोलन में सहयोग करने के लिए असल कीमत से कई गुना ज्यादा दाम लगभग 11 रुपये की कीमत में खरीदा था. यह लोटा आज भी उनके पास सुरक्षित है.

वहीं इतिहासकार वी डी एस नेगी का कहना है कि गांधीजी 1929 में अल्मोड़ा के दौरे पर आए थे. यहां आकर उन्होंने कई जनसभाओं को संबोधित किया. इसी दौरान यह लोटा भी उन्होंने जवाहर शाह को दिया होगा. उन्होंने कहा उस समय स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग के लिए यहां से काफी मात्रा में चंदा इकट्ठा करके गांधी जी को दिया गया था.

वे बताते हैं कि साल 1929 में नैनीताल में महिलाओं ने आजादी के आंदोलन में अपना सहयोग देते हुए गांधी जी को अपने गहने तक भेंट कर दिए थे. दिवंगत जवाहर शाह की बहू गीता शाह बताती हैं कि उनको इस बात का गर्व है कि गांधी जी का लोटा उनके पास है. वे कहती हैं कि उनके ससुर इस लोटे को मंदिर में रखा करते थे. साथ ही उनसे भी इस लोटे को सुरक्षित रखने को कहते थे.

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देश को आजादी दिलाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को भला कौन नही जानता। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश को आजाद करने के लिए अपना तन मन धन सब कुछ दांव पर लगा दिया । लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी ने अपने बर्तनों की तक नीलामी कर दी। जी हां सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में आज भी गांधीजी का लोटा मौजूद है ।जिसको उन्होंने अल्मोड़ा में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक जनसभा में नीलाम किया था ।जिसको उस समय अल्मोड़ा में कैलाश होटल के स्वामी स्वर्गीय जवाहर शाह ने उसकी असल कीमत से कई गुना ज्यादा पैसा देकर गांधीजी से खरीदा था।


Body:स्वर्गीय जवाहर शाह के सुपुत्र सावल शाह का कहना है कि उनके पिता जी बताते थे कि स्वतंत्रता आंदोलन के लिए पैसों की कमी कारण गांधी जी देश भर में घूम-घूम कर लोगो को जागरूक करने के साथ ही चंदा भी इकट्ठा कर रहे थे ।साथ ही देश की आजादी के लिए अपने सामान को नीलाम कर पैसा इकट्ठा कर रहे थे ,उसी समय वह अल्मोड़ा दौरे पर आए जहां उन्होंने एक महिलाओं की जनसभा की थी। जिसमें उन्होंने अपने इस लोटे को नीलामी किया था। वह बताते हैं कि यह लोटा चांदी का है, इसको उस दौर में उनके पिताजी ने गांधी जी को आजादी के आंदोलन में सहयोग करने के लिए तत्कालीन दामो से कई गुना ज्यादा दाम लगभग 11रुपये की कीमत में लिया था। यह लोटा आज भी उनके पास सुरक्षित है ।स्वर्गीय जवाहर शाह का 2 साल पहले 2017 में निधन हो चुका है उनके पुत्र सावल शाह बताते हैं कि उनके पिता ने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से बीकॉम किया उसके बाद वह कांग्रेस से जुड़ गए। सावल शाह के पास गांधी जी का वह लोटा आज भी सुरक्षित है।

वहीं इतिहासकार वी डी एस नेगी का कहना है कि स्वर्गीय जवाहर शाह को गांधी जी ने यह लोटा दिया था। गांधीजी 1929 में अल्मोड़ा दौरे पर आए थे यहां आकर उन्हें कई जनसभाओं को संबोधित किया था ,शायद यह लोटा भी उसी समय उन्होंने जवाहर शाह को दिया होगा। उन्होंने कहा उस समय स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग के लिए यहां से काफी मात्रा में चंदा इकट्ठा करने करके गांधी जी को दिया गया था। वह बताते हैं कि गांधी जी उस समय 1929 में जून के माह में सबसे पहले नैनीताल आये वहाँ उन्होंने कई जनसभाएं की उनके विचारों से प्रेरित होकर वहाँ की महिलाओं ने आजादी के आंदोलन में अपना सहयोग करते हुए गांधी जी की झोली में अपने गहने खोलकर भेंट कर दिए थे और वहाँ 1100 रुपये का उनको चंदा दिया गया। उसके बाद गांधी जी अल्मोड़ा आये यहाँ भी उन्होंने कई जनसभाओं को संबोधित किया और लोगो ने अपनी अपनी तरह से गांधी जी को सहयोग किया।
स्वर्गीय जवाहर शाह की बहू गीता शाह बताती है कि उनको इस बात का गर्व है कि गांधी जी का लोटा उनके पास है। वह बताती है कि उनके ससुर इस लोटे को मंदिर में रखा करते थे। और हमसे इस लोटे को आगे भी सुरक्षित रखने को कहा करते थे।

बाइट- सावल शाह, स्वर्गीय जवाहर शाह के पुत्र
बाइट, गीता शाह,स्वर्गीय जवाहर शाह की बहु
बाइट वी डी एस नेगी, इतिहासकार



Conclusion:
Last Updated : Aug 1, 2019, 11:44 PM IST
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