सोमेश्वरः आसमानी आफत में सोमेश्वर क्षेत्र में 4 आवासीय मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं. चनौदा में एक मकान भरभराकर गिर गया. गनीमत रही कि मकान गिरने से पहले ही परिवार बाहर निकल गया था. जिससे बड़ा हादसा टल गया. तहसील प्रशासन ने क्षतिग्रस्त मकानों का मौका मुआयना कर क्षतिपूर्ति के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है.
दरअसल, चनौदा में अनीशा बेगम का मकान रात में अचानक भरभरा कर गिरने लगा. जिसकी भनक लगते ही परिवार के 5 सदस्य घर से भागकर बाहर निकले. इतनी देर में अनीशा बेगम का मकान छत समेत नीचे गिर गया. पीड़ित परिवार ने पड़ोसी के घर में शरण ली है. बेघर हो चुकी आपदा पीड़ित अनीशा बेगम आदि ने शासन प्रशासन से आर्थिक सहायता और जल्द मकान बनाने की गुहार लगाई है. इधर, रस्यारा गांव में मनोज कुमार के मकान का एक हिस्सा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है.
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तहसीलदार अक्षय भट्ट ने बताया कि बयाला-खालसा गांव में अंबा राम का आवास और मेहरा गांव में चंदन सिंह का मकान भी दैवीय आपदा में क्षतिग्रस्त हो गया है. उन्हें पंचायत घर आदि में शिफ्ट किया गया है. तहसीलदार भट्ट का कहना है कि सभी आपदा पीड़ित परिवारों की सूची तैयार कर ली गई है. राजस्व विभाग के कर्मचारियों और उन्होंने खुद मौका मुआयना कर लिया है. नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट तैयार की जा रहा है. क्षति के अनुसार जल्द आर्थिक मुआवजा दिया जाएगा. वहीं, डिगरा जिला पंचायत सदस्य के प्रतिनिधि भूपाल मेहरा ने भी आपदा पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें मुआवजा दिए जाने की मांग की.
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अल्मोड़ा में पेट्रोल-डीजल की किल्लतः अल्मोड़ा में बीते दिनों हुई भारी बारिश जहां एक ओर कई लोगों को जख्म दे गई तो वहीं, अब यातायात व्यवस्था सुचारू नहीं होने से पेट्रोल-डीजल की सप्लाई ठप हो गई है. जिससे जिले में पेट्रोल-डीजल की किल्लत होने लगी है. जिले के ज्यादातर पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल खत्म हो चुका है. ऐसे में बाहरी राज्यों से पहाड़ घूमने आए सैलानियों को वाहनों के लिए ईंधन नहीं मिल पा रहा है. जिससे वे खासे परेशान हैं.
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जिला पूर्ति अधिकारी दिव्या पांडे के मुताबिक जिले में 22 पेट्रोल पंप हैं. जिसमें कुछ ही पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल का स्टॉक है. जबकि, ज्यादातर पंपों में पेट्रोल-डीजल खत्म हो चुका है. वहीं, अल्मोड़ा-हल्द्वानी एनएच भी बीते दिनों हुई बारिश में क्षतिग्रस्त हो गया है. यह मार्ग पहाड़ को जोड़ने वाले मुख्य मार्गों में से एक है. जिसके बंद होने के बाद पर्वतीय जिलों में व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं. इधर, लोगों का आरोप है कि प्रशासन के वाहनों के लिए पेट्रोल-डीजल की व्यवस्था हो रही है, लेकिन आम लोगों को कहीं भी पेट्रोल-डीजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
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