ETV Bharat / state

'वन्यजीव मानव संघर्षों को रोकने के लिए व्यापक नीति तैयार करने की जरुरत' - Foundation Day

अल्मोड़ा स्थित गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान के स्थापना दिवस समारोह को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वी जयंती के रूप में मनाया गया. जिसमें इंसानों और वन्यजीव के बीच बढ़ रहे संघर्ष पर वैज्ञानिकों ने चर्चा की.

हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान का स्थापना दिवस गोविंद बल्लभ पंत की 132 वी जयंती के रूप में मनाया गया.
author img

By

Published : Sep 11, 2019, 6:43 PM IST

अल्मोड़ा: गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान के स्थापना दिवस समारोह को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132 वी जयंती के रूप में मनाया गया. इस दौरान जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ. आर एस रावल ने बताया कि संस्थान द्वारा विगत 30 वर्षों में किए गए शोध कार्यों के चलते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है. संस्थान द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने का सफल प्रयास किया गया है.

हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान का स्थापना दिवस गोविंद बल्लभ पंत की 132 वी जयंती के रूप में मनाया गया.

निदेशक डॉ. आर एस रावल ने बताया कि संस्थान ने चीड़ वृक्ष के पिरूल से विभिन्न उत्पादों का निर्माण करने का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

ये भी पढ़े: UNHRC में भारत की दो टूक- जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला, PAK कर रहा रनिंग कॉमेंट्री

वहीं इस अवसर पर भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन सुकुमार ने बताया कि विकास से जुड़ी गतिविधियों के कारण प्राकृतिक वनों में हो रहे लगातार विखंडन से वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक खाद्य संसाधनों की कमी हो रही है. कई राज्यों में वन भूमि, खनिजों के लिए खनन, ईंधन, चारा और खपत के लिए बायोमास के संग्रह की वजह से जानवरों के लिए चारा और उनके विचरण स्थल पर संकट गहराता जा रहा है. जिस पर रोक लगाने के लिए उन्होंने बताया कि वन्यजीव मानव संघर्षों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक नीति तैयार करने की जरुरत है.

समारोह में सांसद अजय टम्टा, उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ एमपीएस बिष्ट ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने इंसानों और वन्यजीव के बीच बढ़ रहे संघर्ष पर अपना उद्धबोधन दिया.

अल्मोड़ा: गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान के स्थापना दिवस समारोह को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132 वी जयंती के रूप में मनाया गया. इस दौरान जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ. आर एस रावल ने बताया कि संस्थान द्वारा विगत 30 वर्षों में किए गए शोध कार्यों के चलते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है. संस्थान द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने का सफल प्रयास किया गया है.

हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान का स्थापना दिवस गोविंद बल्लभ पंत की 132 वी जयंती के रूप में मनाया गया.

निदेशक डॉ. आर एस रावल ने बताया कि संस्थान ने चीड़ वृक्ष के पिरूल से विभिन्न उत्पादों का निर्माण करने का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

ये भी पढ़े: UNHRC में भारत की दो टूक- जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला, PAK कर रहा रनिंग कॉमेंट्री

वहीं इस अवसर पर भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन सुकुमार ने बताया कि विकास से जुड़ी गतिविधियों के कारण प्राकृतिक वनों में हो रहे लगातार विखंडन से वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक खाद्य संसाधनों की कमी हो रही है. कई राज्यों में वन भूमि, खनिजों के लिए खनन, ईंधन, चारा और खपत के लिए बायोमास के संग्रह की वजह से जानवरों के लिए चारा और उनके विचरण स्थल पर संकट गहराता जा रहा है. जिस पर रोक लगाने के लिए उन्होंने बताया कि वन्यजीव मानव संघर्षों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक नीति तैयार करने की जरुरत है.

समारोह में सांसद अजय टम्टा, उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ एमपीएस बिष्ट ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने इंसानों और वन्यजीव के बीच बढ़ रहे संघर्ष पर अपना उद्धबोधन दिया.

Intro:अल्मोड़ा के कोसी में स्थित गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के स्थापना दिवस समारोह को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत 132 वी जयंती के रूप में मनाया गया। इस मौके पर समारोह में अध्यक्ष के रूप में सांसद अजय टम्टा एवं मुख्य अतिथि भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन कुमार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ एमपीएस बिष्ट ने शिरकत किया।इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने मानव वन्यजीव संघर्षों के बीच बढ़ते संकट पर अपना उद्धबोधन दिया।
Body:इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ आर एस रावल ने कहा कि संस्थान ने विगत 30 वर्षों में शोध कार्यों के बदौलत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है। संस्थान द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण एवं जीविकोपार्जन से जोड़ने का सफल प्रयास किया है। संस्थान ने चीड़ के पिरूल इत्यादि से विभिन्न उत्पादों का निर्माण करने का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वही इस अवसर पर भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन सुकुमार द्वारा 'मानव वन्यजीव संघर्षों के बीच दोराहे पर संरक्षण' विषय पर व्याख्यान में उन्होंने मानव वन्यजीव संघर्ष के लिए जिम्मेदार कारक, वन विखंडन की भूमिका को हाथी मानव संघर्ष के उदाहरण के साथ रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि विकास से जुड़ी गतिविधियों के कारण प्राकृतिक वनों में हो रहे लगातार विखंडन से वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक खाद्य संसाधनों की कमी हो रही है। कई राज्यों में वन भूमि, खनिजों के लिए खनन या ईंधन, चारा और खपत के लिए बायोमास के संग्रह की वजह से जानवरों के लिए चारा एवं उनके विचरण स्थल पर गहरा संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वन्यजीव मानव संघर्षों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक नीति का ढांचा तैयार करने का समय है ।

बाइट - डॉ आर एस रावल, निदेशक, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थानConclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.