अल्मोड़ा: गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण और सतत विकास संस्थान के स्थापना दिवस समारोह को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132 वी जयंती के रूप में मनाया गया. इस दौरान जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ. आर एस रावल ने बताया कि संस्थान द्वारा विगत 30 वर्षों में किए गए शोध कार्यों के चलते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है. संस्थान द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने का सफल प्रयास किया गया है.
निदेशक डॉ. आर एस रावल ने बताया कि संस्थान ने चीड़ वृक्ष के पिरूल से विभिन्न उत्पादों का निर्माण करने का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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वहीं इस अवसर पर भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन सुकुमार ने बताया कि विकास से जुड़ी गतिविधियों के कारण प्राकृतिक वनों में हो रहे लगातार विखंडन से वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक खाद्य संसाधनों की कमी हो रही है. कई राज्यों में वन भूमि, खनिजों के लिए खनन, ईंधन, चारा और खपत के लिए बायोमास के संग्रह की वजह से जानवरों के लिए चारा और उनके विचरण स्थल पर संकट गहराता जा रहा है. जिस पर रोक लगाने के लिए उन्होंने बताया कि वन्यजीव मानव संघर्षों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक नीति तैयार करने की जरुरत है.
समारोह में सांसद अजय टम्टा, उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ एमपीएस बिष्ट ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने इंसानों और वन्यजीव के बीच बढ़ रहे संघर्ष पर अपना उद्धबोधन दिया.