सोमेश्वर: अल्मोड़ा के सोमेश्वर में जून के महीने में हुई अतिवृष्टि के कारण दर्जनों सिंचाई गूलों के हेड ध्वस्त हो गए थे, जिससे सिंचाई व्यवस्था प्रभावित हो गई थी. पूरे 4 महीने बीत जाने के बाद भी सिंचाई विभाग इसे दुरुस्त नहीं करा सका है. वहीं, काश्तकारों का आरोप है कि धान की फसल सिंचाई के बगैर खराब हो चुकी है और अब गेहूं की खेती के ऊपर सूखे का खतरा मंडरा रहा है.
सांई नदी से बनी सिंचाई विभाग की खाड़ी सुनार, लखनाड़ी और गोलने गांव की मुख्य सिंचाई नहर का हेड, पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. उधर फील्ड गूल मलबे से पटी पड़ी है. विभागीय हीलाहवाली के चलते किसानों की धान की फसल सिंचाई न होने की वजह से प्रभावित हो गई है. वहीं, अब काश्तकार अब गेहूं की बुआई के करने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन सिंचाई व्यवस्था क्षतिग्रस्त होने की वजह से किसानों को अब गेहूं की फसल चौपट होने की चिंता सता रही है.
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जून माह में हुई अतिवृष्टि के कारण सांई और अन्य सहायक नदियों के अलावा खाड़ी सुनार की धारीखेत नहर, गोलने प्रथम और लखनाड़ी सिंचाई गूलों के हेड भी ध्वस्त हो गए थे. खाड़ी सुनार की धारीखेत नहर से 3 गांवों के किसानों की खेत सींचे जाते हैं. सिंचाई गूल का हेड क्षतिग्रस्त होने के साथ ही इसमें मलबा भी भरा हुआ है. ऐसे में अब किसानों सिंचाई के लिए खेतों तक पानी पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सिंचाई विभाग की अनदेखी से किसानों की सैकड़ों नाली कृषि भूमि, बंजर होने के कगार पर पहुंच गई है.
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सामाजिक कार्यकर्ता और काश्तकार दिलीप सिंह रौतेला का कहना है कि किसानों की आलू, प्याज, लहसुन और गेहूं की फसलें सिंचाई के बगैर चौपट हो गई थी. काश्तकार गेहूं की बुआई के लिए खेतों को तैयार कर रहे हैं, जिसे सींचने की आवश्यकता है. लेकिन क्षतिग्रस्त सिंचाई गूलों से सिंचाई करना असंभव है. इसलिए उन्हें सूखे खेतों में गेहूं बोना पड़ रहा है. वहीं, उन्होंने सिंचाई विभाग को चेतावनी दी है कि शीघ्र सिंचाई गूलों का निर्माण कराया जाय. अन्यथा वो विभाग के खिलाफ आंदोलन करने को विवश होंगे.