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भक्ति पर कोरोना भारी: रामनवमी पर रामशिला मंदिर से नदारद रहे श्रद्धालु - अल्मोड़ा का ऐतिहासिक रामशिला मंदिर

कोरोना के प्रकोप का असर रामनवमी पर्व पर मंदिरों में भी देखने को मिला. अल्मोड़ा के ऐतिहासिक रामशिला मंदिर में रामनवमी पर श्रद्धालुओं की संख्या बेहद ही कम नजर आई.

almora
अल्मोड़ा
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Published : Apr 21, 2021, 3:55 PM IST

अल्मोड़ाः देश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण रामनवमी के पर्व पर भी मंदिर सूने पड़े रहे. मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम नजर आई. अल्मोड़ा का ऐतिहासिक रामशिला मंदिर वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है. यहां भगवान राम की पत्थर की चरण पादुकाएं बनी हुई हैं, जिसकी भक्त निरंतर पूजा करते हैं. मंदिर में हर साल रामनवमी पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. लेकिन इस बार कोरोना प्रकोप के कारण श्रद्धालुओं की संख्या बेहद ही कम रही.

रामनवमी पर अल्मोड़ा के रामशिला मंदिर से नदारद रहे श्रद्धालु

ये भी पढ़ेंः बदरीनाथ धाम में गिरी बर्फ की फुहारें, बारिश से फिर लौटी ठंड

बता दें कि इस ऐतिहासिक रामशिला मंदिर की कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्र चंद ने 1588 में स्थापना की थी. तब से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर में पर्यटकों का आना लगा रहता है.

यह मंदिर समूह नौ ग्रह मंदिरों का समूह है. नागर शैली में बना मंदिर मध्यकालीन वास्तु का उत्कृष्ट नमूना है. मंदिर की दीवारों पर देव प्रतिमा उकेरी गई हैं. मंदिर समूह के केंद्रीय कक्ष में पत्थर पर चरण पादुकाएं हैं. लोग इनकी पूजा करते हैं. रामनवमी पर मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए हर साल सैकड़ों श्रद्धालुओं पहुंचते हैं. यहां पर दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन इस बार कोरोना के कारण मंदिर में भक्तों की भीड़ गायब रही.

अल्मोड़ाः देश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण रामनवमी के पर्व पर भी मंदिर सूने पड़े रहे. मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम नजर आई. अल्मोड़ा का ऐतिहासिक रामशिला मंदिर वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है. यहां भगवान राम की पत्थर की चरण पादुकाएं बनी हुई हैं, जिसकी भक्त निरंतर पूजा करते हैं. मंदिर में हर साल रामनवमी पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. लेकिन इस बार कोरोना प्रकोप के कारण श्रद्धालुओं की संख्या बेहद ही कम रही.

रामनवमी पर अल्मोड़ा के रामशिला मंदिर से नदारद रहे श्रद्धालु

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बता दें कि इस ऐतिहासिक रामशिला मंदिर की कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्र चंद ने 1588 में स्थापना की थी. तब से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर में पर्यटकों का आना लगा रहता है.

यह मंदिर समूह नौ ग्रह मंदिरों का समूह है. नागर शैली में बना मंदिर मध्यकालीन वास्तु का उत्कृष्ट नमूना है. मंदिर की दीवारों पर देव प्रतिमा उकेरी गई हैं. मंदिर समूह के केंद्रीय कक्ष में पत्थर पर चरण पादुकाएं हैं. लोग इनकी पूजा करते हैं. रामनवमी पर मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए हर साल सैकड़ों श्रद्धालुओं पहुंचते हैं. यहां पर दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन इस बार कोरोना के कारण मंदिर में भक्तों की भीड़ गायब रही.

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