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SDG की कार्यशाला में तैयार किया गया विकास का रोडमैप, 17 बिन्दुओं का होगा विजन डॉक्यूमेंट

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Published : Jan 17, 2020, 1:45 PM IST

जिले के सर्वांगीण विकास हेतु सतत विकास लक्ष्य की कार्यशाला में 15 वर्ष का 17 बिन्दुओं का विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया गया.

SDG की कार्यशाला
SDG की कार्यशाला

अल्मोड़ाः विकास भवन सभागार में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने अधिकारियों से कहा कि एसडीजी के 17 बिन्दुओं के अनुपालन में वर्ष 2030 तक 15 वर्ष का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करें. इस विजन डॉक्यूमेंट के माध्यम से जिलों की भौगोलिक परिस्थितियों का आकलन करते हुए राज्य व जिला योजनाओं को पंचायतों से जोड़कर ग्राम पंचायतों का सतत विकास किया जाना है.

जिलाधिकारी ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य का राज्य सेक्टर व जिला योजना को सीधे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से जोड़ना है. जिसमें शिक्षा व चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाना, रोजगार के नये अवसर पैदा करना, रोजगार के नये क्षेत्रों को विकसित करना, इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देना है.

जिसके लिए 29 विषयों पर ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान संख्या, निदेशालय के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के विकास में केवल आर्थिक वृद्धि पर फोकस नहीं किया जाएगा, बल्कि निष्पक्ष और अधिक समतामूलक, अधिक संरक्षित व संपन्न समाज पर फोकस किया जायेगा.

इस अवसर पर नियोजन विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. मनोज कुमार पंत ने कार्यशाला में 17 बिन्दुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की आवश्यकता के साथ वहां की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, महिला,पुरूष, बच्चे, एससी, एसटी, विकलांग, यूथ, कृषि, सिंचाई सुविधाएं, पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य, एजूकेशन, रोजगार की स्थिति आदि का गहन आकलन कर रोडमैप तैयार किया जायेगा.

जिससे योजना बनाने में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि उद्यान, वन, पर्यावरण आदि हेतु जीआईएस मैप की सुविधा ली जायेगी और भौगोलिक स्थिति को चिन्हित किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि सतत विकास योजना का उद्देश्य रोजगार के साधनों का चिन्हीकरण, गरीबी खत्म करना, पर्यावरण की रक्षा, आर्थिक असमानता कम करना, नवाचार कार्यक्रम, टिकाऊ रोजगार और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना है.

यह भी पढ़ेंः फूड प्रोसेसिंग के लिए तैयार होगी गाइडलाइन, मिलेगा ये फायदा

योजना में राज्य, जिला व गांवों के कई लक्ष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और पीछे कोई नहीं छूटे के सिद्धांत व योजना गहन अध्ययन के बाद तैयार की जा रही है. उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा, बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा, जीवन स्तर में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना, सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना, महिलाओं को सशक्त बनाना, सभी के लिए साफ पानी और स्वच्छता और उसका टिकाऊ प्रबंधन, सस्ती ऊर्जा, समावेशी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ उत्पादक रोजगार और हर हाथ को काम, मजबूत बुनियादी ढांचा बनाना, समावेशी और टिकाऊ औद्योगिकरण प्रोत्साहन, टिकाऊ सामुदायिक विकास, उत्पादन और उपभोग पैटर्न को टिकाऊ बनाना है.

उन्होंने कहा कि गांवों के विकास के लिए प्रत्येक स्कीम की मैपिंग करनी जरूरी होगी और स्कीम पर फोकस करना होगा. सतत विकास लक्ष्य में प्रगति की कुंजी क्वालिटी बेस डाटा होगा तो प्लानिंग भी सही होगी. उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया सतत विकास लक्ष्यों के मूल में हैं.

अल्मोड़ाः विकास भवन सभागार में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने अधिकारियों से कहा कि एसडीजी के 17 बिन्दुओं के अनुपालन में वर्ष 2030 तक 15 वर्ष का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करें. इस विजन डॉक्यूमेंट के माध्यम से जिलों की भौगोलिक परिस्थितियों का आकलन करते हुए राज्य व जिला योजनाओं को पंचायतों से जोड़कर ग्राम पंचायतों का सतत विकास किया जाना है.

जिलाधिकारी ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य का राज्य सेक्टर व जिला योजना को सीधे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से जोड़ना है. जिसमें शिक्षा व चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाना, रोजगार के नये अवसर पैदा करना, रोजगार के नये क्षेत्रों को विकसित करना, इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देना है.

जिसके लिए 29 विषयों पर ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान संख्या, निदेशालय के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के विकास में केवल आर्थिक वृद्धि पर फोकस नहीं किया जाएगा, बल्कि निष्पक्ष और अधिक समतामूलक, अधिक संरक्षित व संपन्न समाज पर फोकस किया जायेगा.

इस अवसर पर नियोजन विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. मनोज कुमार पंत ने कार्यशाला में 17 बिन्दुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की आवश्यकता के साथ वहां की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, महिला,पुरूष, बच्चे, एससी, एसटी, विकलांग, यूथ, कृषि, सिंचाई सुविधाएं, पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य, एजूकेशन, रोजगार की स्थिति आदि का गहन आकलन कर रोडमैप तैयार किया जायेगा.

जिससे योजना बनाने में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि उद्यान, वन, पर्यावरण आदि हेतु जीआईएस मैप की सुविधा ली जायेगी और भौगोलिक स्थिति को चिन्हित किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि सतत विकास योजना का उद्देश्य रोजगार के साधनों का चिन्हीकरण, गरीबी खत्म करना, पर्यावरण की रक्षा, आर्थिक असमानता कम करना, नवाचार कार्यक्रम, टिकाऊ रोजगार और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना है.

यह भी पढ़ेंः फूड प्रोसेसिंग के लिए तैयार होगी गाइडलाइन, मिलेगा ये फायदा

योजना में राज्य, जिला व गांवों के कई लक्ष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और पीछे कोई नहीं छूटे के सिद्धांत व योजना गहन अध्ययन के बाद तैयार की जा रही है. उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा, बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा, जीवन स्तर में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना, सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना, महिलाओं को सशक्त बनाना, सभी के लिए साफ पानी और स्वच्छता और उसका टिकाऊ प्रबंधन, सस्ती ऊर्जा, समावेशी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ उत्पादक रोजगार और हर हाथ को काम, मजबूत बुनियादी ढांचा बनाना, समावेशी और टिकाऊ औद्योगिकरण प्रोत्साहन, टिकाऊ सामुदायिक विकास, उत्पादन और उपभोग पैटर्न को टिकाऊ बनाना है.

उन्होंने कहा कि गांवों के विकास के लिए प्रत्येक स्कीम की मैपिंग करनी जरूरी होगी और स्कीम पर फोकस करना होगा. सतत विकास लक्ष्य में प्रगति की कुंजी क्वालिटी बेस डाटा होगा तो प्लानिंग भी सही होगी. उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया सतत विकास लक्ष्यों के मूल में हैं.

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विकास भवन सभागार में सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने अधिकारियों से कहा कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के 17 बिन्दुओं के अनुपालन में वर्ष 2030 तक 15 वर्ष का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करें। इस विजन डॉक्यूमेंट के माध्यम से जिलों की भौगोलिक परिस्थितियों का आंकलन करते हुए राज्य व जिला योजनाओं को पंचायतों से जोड़कर ग्राम पंचायतों का सतत् विकास किया जाना है।
Body:जिलाधिकारी ने कहा कि सतत् विकास लक्ष्य का राज्य सेक्टर व जिला योजना को सीधे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से जोड़ना है। जिसमें शिक्षा व चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाना, रोजगार के नये अवसर पैदा करना, रोजगार के नये क्षेत्रों को विकसित करना, इकोनोमिक ग्रोथ को बढ़ावा देना है । जिससे लिए 29 विषयों पर ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान संख्या ,निदेशालय के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के विकास में केवल आर्थिक वृद्धि पर फोकस नहीं किया जायेगा बल्कि निष्पक्ष और अधिक समतामूलक, अधिक संरक्षित व संपन्न समाज पर फोकस किया जायेगा।
इस अवसरा पर नियोजन विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. मनोज कुमार पन्त ने कार्यशाला में 17 बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की आवश्यकता के साथ वहां की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, महिला,पुरूष, बच्चे, एससी, एसटी, विकलांग, यूथ, कृषि, सिंचाई सुविधाएं, पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य, एजूकेशन, रोजगार की स्थिति आदि का गहन आंकलन कर रोड़मैप तैयार किया जायेगा। जिससे योजना बनाने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि उद्यान, वन, पर्यावरण आदि हेतु जीआईएस मैप की सुविधा ली जायेगी और भौगोलिक स्थिति को चिन्हित किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि सतत् विकास योजना का उद्देश्य रोजगार के साधनों का चिन्हीकरण, गरीबी खत्म करना, पर्यावरण की रक्षा, आर्थिक असमानता कम करना, नवाचार कार्यक्रम, टिकाऊ रोजगार और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि योजना में राज्य, जिला व गांवों के कई लक्ष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और “पीछे कोई नहीं छूटे“ के सिद्धांत व योजना गहन अध्ययन के बाद तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा, बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा, जीवन स्तर में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना, सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना, महिलाओं को सशक्त बनाना, सभी के लिए साफ पानी और स्वच्छता और उसका टिकाऊ प्रबंधन, सस्ती ऊर्जा, निरन्त, समावेशी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ उत्पादक रोजगार और हर हाथ को काम, मजबूत बुनियादी ढांचा बनाना, समावेशी और टिकाऊ औद्योगिकरण प्रोत्साहन, टिकाऊ सामुदायिक विकास, उत्पादन और उपभोग पैटर्न को टिकाऊ बनाना है।
उन्होंने कहा कि गांवों के विकास के लिए प्रत्येक स्कीम की मैपिंग करनी जरूरी होगी और स्कीम पर फोकस करना होगा। उन्होंने कहा कि सतत् विकास लक्ष्य में प्रगति की कुंजी क्वालिटी बेस डाटा होगा तो प्लानिंग भी सही होगी। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया सतत् विकास लक्ष्यों के मूल में हैं। Conclusion:
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