अल्मोड़ा: दो दिवसीय दौरे पर अल्मोड़ा पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ऐपण कलाकारों से रूबरू हुए. सर्किट हाउस में ऐपण के स्टाॅल्स का मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निरीक्षण किया. इस दौरान ऐपण कलाकारों ने सीएम त्रिवेन्द्र के नाम से ऐपण निर्मित नेम प्लेट मुख्यमंत्री को भेंट की. ऐपण कला को बढ़ावा देने और कलाकारों को रोजगार देने के लिए सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने जिला मुख्यालयों में आला अधिकारियों के नेम प्लेट ऐपण कला से निर्मित लगाने की घोषणा की.
सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि ऐपण को बढ़ावा देने के लिए वह खुद देहरादून पहुंचकर ऐपण कला से निर्मित नेम प्लेट अपने कार्यालय में लगाएंगे. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड की ऐपण कला से आज हमारी बहन-बेटियां जुड़ी हुई हैं.
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ऐपण से उत्तराखंड को एक नई पहचान मिल सके और यह रोजगार का जरिया बने इसकी वह शुरुआत करने जा रहे हैं. उन्हें भी ऐपण से डिजाइन की हुई एक नेम प्लेट मिली है जिसकी शुरुआत वह देहरादून अपने कार्यालय से करेंगे. वे इसे अपने कार्यालय में लगाएंगे.
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सीएम ने कहा ऐपण को बढ़ावा देने के लिए सभी सरकारी कार्यालयों में ऐपण से डिजाइन की हुई नेम प्लेट लगाई जाएंगी. इस संबंध में जिलाधिकारी से भी उनकी बात हुई.
क्या है ऐपण
रियासतकाल से चल रही आ रही उत्तराखंड की लोक कला को ऐपण कहा जाता है. ऐपण कला कुमाऊं व गढ़वाल की गौरवमयी परंपरा रही है. धार्मिक अनुष्ठानों, विशेष त्योहारों, शादी समारोह समेत खास मौकों पर घर-घर में पिसे हुए चावल का घोल, गेरू (लाल मिट्टी) से आंगन, देहरी व दीवारों को ऐपण कला से सजाया जाता था. उत्तराखंड में ऐपण का अपना एक अहम स्थान है. लोक कलाओं को सहेजने में कुमाऊंवासी किसी से कम नहीं हैं. यही वजह है कि यहां के लोगों ने सदियों पुरानी लोक कलाओं को आज भी जिंदा रखा है.
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ऐपण को कुमाऊं में प्रत्येक शुभ कार्य के दौरान पूरी धार्मिक आस्था के साथ बनाया जाता है. त्यौहारों के वक्त इसे घर की देहली, मंदिर, घर के आंगन में बनाने का विषेश महत्व है. ऐपण यानि अल्पना एक ऐसी लोक कला, जिसका इस्तेमाल कुमाऊं में सदियों से जारी है. यहां ऐपण कलात्मक अभिव्यक्ति का भी प्रतीक है. इस लोक कला को अलग-अलग धार्मिक अवसरों के मुताबिक बनाया किया जाता है. शादी, जनेऊ, नामकरण और त्यौहारों के अवसर पर हर घर इसी लोक कला से सजाया जाता है.