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सीटू और इंटक का प्रदर्शन, कहा- श्रम कानून में बदलाव से श्रमिकों को नुकसान - उत्तराखंड न्यूज

सीटू और इंटक ने साफ किया है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे.

अल्मोड़ा
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Published : Aug 9, 2020, 8:01 PM IST

अल्मोड़ा: श्रम कानून में बदलाव समेत अन्य मुद्दों को लेकर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) और अखिल भारतीय किसान सभा ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. रविवार को अल्मोड़ा में उत्तराखंड किसान सभा और इंटक से जुड़े पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया है. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार को मजदूर, किसान विरोधी करार दिया है. साथ ही उन्होंने देश बेचना बंद करो, भारत को कॉरपोरेट से बचाओं के नारे भी लगाए.

सीटू के जिला सचिव राजेंद्र जोशी और इंटक के जिलाध्यक्ष दीपक मेहता ने कहा कि बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार कोरोना से निपटने के बजाय जनता को लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों में फंसाकर सरकारी क्षेत्रों के निजीकरण करने में लगी हुई है. सभी सेक्टरों में ठेका प्रथा को लागू किया जा रहा है.

सीटू और इंटक का विरोध प्रदर्शन.

पढ़ें- HC ने दिए पुलिसकर्मियों के खिलाफ CBI जांच के आदेश, फर्जी केस में फंसाने का है आरोप

उन्होंने कहा कि श्रम कानून में बदलाव करके श्रमिकों के हितों को नुकसान पहुंचाया गया है. श्रमिकों का ड्यूटी टाइम आठ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है. श्रमिकों को गुलाम बनाया जा रहा है. यही नहीं आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा देकर आम आदमी को लूटने का काम किया जा रहा है.

इंटक और सीटू की मांग है कि सबको नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था, प्रत्येक गैर-आयकर परिवार को छह माह तक 7500 रुपए दिए जाए. इसके अलावा जरूरतमंद परिवार को 6 माह तक नि:शुल्क राशन देने के साथ मनरेगा में 600 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से साल में 202 दिन का काम दिया जाए. यदि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो वे भविष्य में उग्र आंदोलन करेंगे.

अल्मोड़ा: श्रम कानून में बदलाव समेत अन्य मुद्दों को लेकर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) और अखिल भारतीय किसान सभा ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. रविवार को अल्मोड़ा में उत्तराखंड किसान सभा और इंटक से जुड़े पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया है. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार को मजदूर, किसान विरोधी करार दिया है. साथ ही उन्होंने देश बेचना बंद करो, भारत को कॉरपोरेट से बचाओं के नारे भी लगाए.

सीटू के जिला सचिव राजेंद्र जोशी और इंटक के जिलाध्यक्ष दीपक मेहता ने कहा कि बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार कोरोना से निपटने के बजाय जनता को लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों में फंसाकर सरकारी क्षेत्रों के निजीकरण करने में लगी हुई है. सभी सेक्टरों में ठेका प्रथा को लागू किया जा रहा है.

सीटू और इंटक का विरोध प्रदर्शन.

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उन्होंने कहा कि श्रम कानून में बदलाव करके श्रमिकों के हितों को नुकसान पहुंचाया गया है. श्रमिकों का ड्यूटी टाइम आठ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है. श्रमिकों को गुलाम बनाया जा रहा है. यही नहीं आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा देकर आम आदमी को लूटने का काम किया जा रहा है.

इंटक और सीटू की मांग है कि सबको नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था, प्रत्येक गैर-आयकर परिवार को छह माह तक 7500 रुपए दिए जाए. इसके अलावा जरूरतमंद परिवार को 6 माह तक नि:शुल्क राशन देने के साथ मनरेगा में 600 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से साल में 202 दिन का काम दिया जाए. यदि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो वे भविष्य में उग्र आंदोलन करेंगे.

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