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देहरादून शिफ्ट हो सकता है चौबटिया उद्यान निदेशालय, लोगों ने दी आंदोलन की चेतावनी

चौबटिया उद्यान को स्थानांतरित करने की खबरें सामने आ रही हैं. जिसके बाद से रानीखेत के लोगों में खास रोष व्याप्त है. वहीं लोग आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं.

देहरादून में सिफ्ट हो सकता है चैबटिया उद्यान निदेशालय.
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Published : Aug 16, 2019, 12:07 PM IST

रानीखेत: चौबटिया उद्यान निदेशालय को देहरादून स्थानांतरित किये जाने की सुगबुगाहट से लोगों में रोष व्याप्त है. इसी क्रम में देवभूमि क्रांति मंच के अध्यक्ष रवींद्र जोशी और उत्तराखंड क्रांति दल नगर अध्यक्ष राजेंद्र रौतेला ने निदेशालय को स्थानांतरित करने का विरोध किया है. साथ ही उन्होंने निदेशालय अन्य जगह स्थानांतरित किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

बता दें कि चौबटिया की जलवायु को उद्यान स्थापना के लिए उपयुक्त पाया गया था. जिसके चलते चौबटिया में 100 हेक्टेयर से अधिक भूभाग में उद्यान स्थापित किया गया था. जहां जलवायु के अनुरूप विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए थे.

Chabatia Horticulture Directorate may be shifted to Dehradun.
देहरादून में सिफ्ट हो सकता है चैबटिया उद्यान निदेशालय.

उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद उद्यान को आर्थिकी का जरिया बनाने की बातें की गईं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. विभाग में पुनर्गठन के बाद निदेशालय में विभिन्न पद समाप्त कर इन्हें देहरादून सृजित कर दिया गया. आज भी निदेशालय के महत्वपूर्ण कार्य देहरादून से ही होते हैं. सरकार कृषि और उद्यान विभाग का एकीकरण कर कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग बनाने का निर्णय ले चुकी है. जिसके चलते सरकार निदेशालय भवन को रिसर्च एवं ट्रेनिंग के रूप में उपयोग करना चाहती है. जिसका स्थानीय लोग और दल विरोध कर रहे हैं. साथ ही चौबटिया उद्यान निदेशालय को देहरादून स्थानांतरित किये जाने पर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं.

ये भी पढ़े: कश्मीर मुद्दे पर UNSC में आज बंद कमरे में बैठक

जानकारी के अनुसार उद्यान निदेशालय को देहरादून स्थानांतरित किया जा रहा है. जिसके बाद चौबटिया में केवल रिसर्च एवं ट्रेनिंग सेंटर चलाया जाएगा.

रानीखेत: चौबटिया उद्यान निदेशालय को देहरादून स्थानांतरित किये जाने की सुगबुगाहट से लोगों में रोष व्याप्त है. इसी क्रम में देवभूमि क्रांति मंच के अध्यक्ष रवींद्र जोशी और उत्तराखंड क्रांति दल नगर अध्यक्ष राजेंद्र रौतेला ने निदेशालय को स्थानांतरित करने का विरोध किया है. साथ ही उन्होंने निदेशालय अन्य जगह स्थानांतरित किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

बता दें कि चौबटिया की जलवायु को उद्यान स्थापना के लिए उपयुक्त पाया गया था. जिसके चलते चौबटिया में 100 हेक्टेयर से अधिक भूभाग में उद्यान स्थापित किया गया था. जहां जलवायु के अनुरूप विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए थे.

Chabatia Horticulture Directorate may be shifted to Dehradun.
देहरादून में सिफ्ट हो सकता है चैबटिया उद्यान निदेशालय.

उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद उद्यान को आर्थिकी का जरिया बनाने की बातें की गईं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. विभाग में पुनर्गठन के बाद निदेशालय में विभिन्न पद समाप्त कर इन्हें देहरादून सृजित कर दिया गया. आज भी निदेशालय के महत्वपूर्ण कार्य देहरादून से ही होते हैं. सरकार कृषि और उद्यान विभाग का एकीकरण कर कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग बनाने का निर्णय ले चुकी है. जिसके चलते सरकार निदेशालय भवन को रिसर्च एवं ट्रेनिंग के रूप में उपयोग करना चाहती है. जिसका स्थानीय लोग और दल विरोध कर रहे हैं. साथ ही चौबटिया उद्यान निदेशालय को देहरादून स्थानांतरित किये जाने पर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं.

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जानकारी के अनुसार उद्यान निदेशालय को देहरादून स्थानांतरित किया जा रहा है. जिसके बाद चौबटिया में केवल रिसर्च एवं ट्रेनिंग सेंटर चलाया जाएगा.

Intro:
चैबटिया उद्यान निदेशालय को स्थानांतरित करने की सुगबुगाहट से लोगों में रोष
उद्यान निदेशालय बन जायेगा रिसर्च सेंटर
कृषि एवं उद्यान विभाग के एकीकरण से होगा बदलाव
संजय जोशी
रानीखेत। चैबटिया उद्यान निदेशालय को देहरादून स्थानांतरित किये जाने की सुगबुगाहट से लोगों में रोष है। चर्चा है कि चैबटिया में केवल रिसर्च एवं ट्रेनिंग सेंटर ही रखा जा रहा है। चैबटिया की जलवायु को उद्यान स्थापना के लिए उपयुक्त पाया गया । एक सौ हेक्टेअर से अधिक भूभाग, में चैबटिया उद्यान स्थापित किया गया। विभिन्न प्रजातियों के पौधे यहां की जलवायु के अनुरूप लगाये गये। पूर्व मुख्यमंत्री स्व गोविंद बल्लभ पंत ने पर्वतीय क्षेत्रों के विकास में उद्यानीकरण की महत्ता को समझते हुए चैबटिया गार्डन में निदेशालय स्थापित कराया तथा उद्यान को निदेशालय के अधीन कर दिया। इसके साथ ही यहां अनुसंधान एव शोध इकाई का गठन किया गया। 1953 में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय स्थापित किया गया। कई उद्यान इसके अधीन थे। जिसमें उत्तम प्रजाति के फलों के पौध तैयार किया जाते रहे तथा सब्जियों का उत्पादन किया गया। जिससे उत्तराखंड फल एवं सब्जियों के लिए जाना जाता था। चैबटिया गार्डन से प्रभावित पूर्व सीएम वाई एस परमार ने हिमांचल प्रदेश में उद्यानी करण को बढ़ावा दिया जिससे वहंा क्रांति आई। चैबटिया गार्डन से हिमांचल प्रदेश के लिए सेब के पौध खरीदे गये। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने पर्वतीय भागों में बसे लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने में फल उत्पादन को हितकारी बताया था। नया प्रदेश बनने के बाद किसी भी सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया ।

Body:पूर्व सरकार ने उद्यानों को लीज में दे दिया लेकिन कुछ समय बाद इन्हे वापस ले लिया। उत्तराखंड को अस्तित्व में आने के बाद औद्यानिकी को आर्थिकी का जरिया बनाने की बाते की गई लेकिन ऐसा नही हो सका।विभाग में पुनर्गठन में निदेशालय में विभिन्न पद समाप्त कर इन्हें देहरादून सृजित कर दिया गया। आज भी निदेशालय के महत्वपूर्ण कार्य देहरादून से ही होते हैं। निदेशालय मात्र नाम का रह गया है। सरकार कृषि और उद्यान विभाग का एकीकरण कर कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग बनाने का निर्णय ले चुकी है। निदेशालय भवन को रिसर्च एवं ट्रेनिंग के रूप में उपयोग करना चाह रही है। देव भूमि क्रांति मंच के अध्यक्ष रवींद्र जोशी तथा उत्तराखंड क्रांति दल नगर अध्यक्ष राजेंद्र रौतेला ने निदेशालय को स्थानांतरित करने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यदि निदेशालय अन्यत्र स्थानांतरित किया गया तो आन्दोलन किया जायेगा |Conclusion:
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