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जीबी पंत कॉलेज में मनाया गया स्थापना दिवस, कई विशेषज्ञ हुए शामिल

गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान में स्थापना दिवस मनाया गया. भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन कुमार ने मुख्य अतिथि और उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की.

जीबी पंत कॉलेज में मनाया गया स्थापना दिवस.
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Published : Sep 11, 2019, 10:19 PM IST

अल्मोड़ा: भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती के मौके पर कोसी स्थित गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान में स्थापना दिवस मनाया गया. इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने मानव वन्यजीव संघर्षों के बीच बढ़ते संकट पर अपना उद्धबोधन दिया. वहीं, समारोह के अध्यक्ष के रूप में सांसद अजय टम्टा ने शिरकत की. साथ ही भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन कुमार ने मुख्य अतिथि और उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की.

इस कार्यक्रम में मौजूद संस्थान के निदेशक डॉ. आरएस रावल ने कहा कि इस संस्थान ने पिछले 30 सालों में शोध कार्यों के बदौलत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है. साथ ही कहा कि संस्थान द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण एवं जीविकोपार्जन से जोड़ने का सफल प्रयास किया गया है. संस्थान ने चीड़ के पिरूल इत्यादि से विभिन्न उत्पादों का निर्माण करने का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

जीबी पंत कॉलेज में मनाया गया स्थापना दिवस.

पढ़ें: सर्राफा व्यापारी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, पुलिस जांच में जुटी

वहीं, भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन कुमार ने मानव वन्यजीव संघर्षों को रेखांकित किया.

अल्मोड़ा: भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती के मौके पर कोसी स्थित गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान में स्थापना दिवस मनाया गया. इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने मानव वन्यजीव संघर्षों के बीच बढ़ते संकट पर अपना उद्धबोधन दिया. वहीं, समारोह के अध्यक्ष के रूप में सांसद अजय टम्टा ने शिरकत की. साथ ही भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन कुमार ने मुख्य अतिथि और उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की.

इस कार्यक्रम में मौजूद संस्थान के निदेशक डॉ. आरएस रावल ने कहा कि इस संस्थान ने पिछले 30 सालों में शोध कार्यों के बदौलत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है. साथ ही कहा कि संस्थान द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण एवं जीविकोपार्जन से जोड़ने का सफल प्रयास किया गया है. संस्थान ने चीड़ के पिरूल इत्यादि से विभिन्न उत्पादों का निर्माण करने का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

जीबी पंत कॉलेज में मनाया गया स्थापना दिवस.

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वहीं, भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन कुमार ने मानव वन्यजीव संघर्षों को रेखांकित किया.

Intro:अल्मोड़ा के कोसी में स्थित गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के स्थापना दिवस समारोह को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत 132 वी जयंती के रूप में मनाया गया। इस मौके पर समारोह में अध्यक्ष के रूप में सांसद अजय टम्टा एवं मुख्य अतिथि भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन कुमार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ एमपीएस बिष्ट ने शिरकत किया।इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने मानव वन्यजीव संघर्षों के बीच बढ़ते संकट पर अपना उद्धबोधन दिया।
Body:इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ आर एस रावल ने कहा कि संस्थान ने विगत 30 वर्षों में शोध कार्यों के बदौलत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है। संस्थान द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण एवं जीविकोपार्जन से जोड़ने का सफल प्रयास किया है। संस्थान ने चीड़ के पिरूल इत्यादि से विभिन्न उत्पादों का निर्माण करने का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वही इस अवसर पर भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन सुकुमार द्वारा 'मानव वन्यजीव संघर्षों के बीच दोराहे पर संरक्षण' विषय पर व्याख्यान में उन्होंने मानव वन्यजीव संघर्ष के लिए जिम्मेदार कारक, वन विखंडन की भूमिका को हाथी मानव संघर्ष के उदाहरण के साथ रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि विकास से जुड़ी गतिविधियों के कारण प्राकृतिक वनों में हो रहे लगातार विखंडन से वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक खाद्य संसाधनों की कमी हो रही है। कई राज्यों में वन भूमि, खनिजों के लिए खनन या ईंधन, चारा और खपत के लिए बायोमास के संग्रह की वजह से जानवरों के लिए चारा एवं उनके विचरण स्थल पर गहरा संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वन्यजीव मानव संघर्षों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक नीति का ढांचा तैयार करने का समय है ।

बाइट - डॉ आर एस रावल, निदेशक, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थानConclusion:
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