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अल्मोड़ा में मिली कत्यूरी शासनकाल की सुरंग, संरक्षण में जुटा पुरातत्व विभाग - एड़ीकोट गांव गुफा

अल्मोड़ा के स्याल्दे ब्लॉक के एड़ीकोट गांव के जंगलों में क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग को एक सुरंग मिली है. यह सुरंग आधा किलोमीटर लंबी है. जो एड़ीकोट से शुरू होकर आगे खतरौन नदी तक बनी है. विभाग की मानें तो यह गुफा कत्यूरी शासनकाल में सुरक्षा के दृष्टि से बनाई गई थी.

गुफा
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Published : Aug 28, 2019, 4:51 PM IST

अल्मोड़ाः क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग को सर्वे के दौरान स्याल्दे ब्लॉक के एड़ीकोट गांव में एक प्राचीन सुरंग मिली है. ये सुरंग करीब आधा किलोमीटर लंबी है. माना जा रहा है कि यह गुफा कत्यूरी शासनकाल में सुरक्षा के दृष्टि से बनाई गई थी.

स्याल्दे ब्लॉक के एड़ीकोट गांव के जंगलों में मिला प्राचीन सुरंग.

बता दें कि, पुरातत्व विभाग की एक टीम इन दिनों भिकियासैंण तहसील के कई गांवों में प्राचीन धरोहरों को खोजने के लिए सर्वे अभियान चला रही है. इसी कड़ी में पुरातत्व विभाग को स्याल्दे ब्लॉक के एड़ीकोट गांव के जंगलों में एक सुरंग मिली है. यह सुरंग आधा किलोमीटर लंबी है. जो एड़ीकोट से शुरू होकर आगे खतरौन नदी तक बनी है.

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी चंद्र सिंह चौहान के मुताबिक अल्मोड़ा का स्याल्दे क्षेत्र कत्यूरी शासन के दौरान महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है. इस क्षेत्र में कत्यूरी शासन के बनाए गए प्राचीन मंदिर आज भी मौजूद हैं. ऐसे में ये सुरंग भी उनके ही शासनकाल में बनी हो सकती है.

ये भी पढ़ेंः पापियों के पाप धोता है ये झरना, शरीर पर एक बूंद पड़ने मात्र से ही इंसान हो जाता है निरोगी

उन्होंने बताया कि जिस तरीके से यह सुरंग नदी के किनारे तक बनी है और जहां से यह शुरू हो रही उसके ऊपर एक किला भी है. इससे अंदाज लगाया जा सकता है, कि तत्कालीन राजा ने सुरक्षा के दृष्टि से बनाई होगी. उनके सैनिक इस सुरंग के रास्ते नदी से पानी भी लाते होंगे.

साथ ही कहा कि इस सुरंग को संरक्षित करने और इसे पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए जल्द ही भारत सरकार और राज्य पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा.

अल्मोड़ाः क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग को सर्वे के दौरान स्याल्दे ब्लॉक के एड़ीकोट गांव में एक प्राचीन सुरंग मिली है. ये सुरंग करीब आधा किलोमीटर लंबी है. माना जा रहा है कि यह गुफा कत्यूरी शासनकाल में सुरक्षा के दृष्टि से बनाई गई थी.

स्याल्दे ब्लॉक के एड़ीकोट गांव के जंगलों में मिला प्राचीन सुरंग.

बता दें कि, पुरातत्व विभाग की एक टीम इन दिनों भिकियासैंण तहसील के कई गांवों में प्राचीन धरोहरों को खोजने के लिए सर्वे अभियान चला रही है. इसी कड़ी में पुरातत्व विभाग को स्याल्दे ब्लॉक के एड़ीकोट गांव के जंगलों में एक सुरंग मिली है. यह सुरंग आधा किलोमीटर लंबी है. जो एड़ीकोट से शुरू होकर आगे खतरौन नदी तक बनी है.

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी चंद्र सिंह चौहान के मुताबिक अल्मोड़ा का स्याल्दे क्षेत्र कत्यूरी शासन के दौरान महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है. इस क्षेत्र में कत्यूरी शासन के बनाए गए प्राचीन मंदिर आज भी मौजूद हैं. ऐसे में ये सुरंग भी उनके ही शासनकाल में बनी हो सकती है.

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उन्होंने बताया कि जिस तरीके से यह सुरंग नदी के किनारे तक बनी है और जहां से यह शुरू हो रही उसके ऊपर एक किला भी है. इससे अंदाज लगाया जा सकता है, कि तत्कालीन राजा ने सुरक्षा के दृष्टि से बनाई होगी. उनके सैनिक इस सुरंग के रास्ते नदी से पानी भी लाते होंगे.

साथ ही कहा कि इस सुरंग को संरक्षित करने और इसे पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए जल्द ही भारत सरकार और राज्य पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा.

Intro:क्षेत्रीय पुरात्तव विभाग भिकियासैंण तहसील के गांवों में सर्वे का कार्य कर रहा था इसी दौरान उन्हें स्याल्दे ब्लाक के एड़ीकोट गांव में आधा किलोमीटर लंबी एक प्राचीन सुरंग की खोज हुई है। माना जा रहा है कि यह गुफा कत्यूरी शासनकाल में सुरक्षा के दृष्टि से बनाई गई थी। अल्मोड़ा का स्याल्दे क्षेत्र कत्यूरी शासन के दौरान महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। इस क्षेत्र में कत्यूरी शासन के बनाये प्राचीन मंदिर आज भी विधमान हैं।
Body:पुरात्तव विभाग के एक टीम द्वारा इन दिनों भिकियासैंण तहसील के कई गांव में प्राचीन धरोहरों को खोजने के लिए सर्वे अभियान चलाया गया है। इसी दौरान पुरात्तव विभाग को स्याल्दे ब्लॉक के एड़ीकोट गांव के जंगलों में एक सुरंग मिली। यह सुरंग आधा किलोमीटर लंबी है जो एड़ीकोट से शुरू होकर आगे खतरौन नदी तक बनी है। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी चंद्र सिंह चौहान के अनुसार यह क्षेत्र वैसे भी कत्यूरी शासन के दौरान महत्वपूर्ण रहा है। इसलिए यह सुरंग भी उनके ही शासनकाल में बनी होगी। उन्होंने बताया कि जिस तरीके से यह सुरंग नदी के किनारे तक बनी है और जहाँ से यह शुरू हो रही उसके ऊपर एक किला है इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि यह राजा ने सुरक्षा के दृष्टि से बनाई होगी शायद उनके सैनिक इस सुरंग के रास्ते नदी से पानी लाते होंगे।
पुरातत्व विभाग इस सुरंग को सरंक्षित करने के लिए और साथ ही इसको पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए जल्द ही भारत सरकार और राज्य पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भेजेगा।

बाइट चंद्र सिंह चौहान, पुरातत्व अधिकारी
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