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विशेष : कोविड-19 महामारी के दौर में तनाव से ऐसे करें मुकाबला

कोविड -19 महामारी को लेकर जन स्वास्थ्य के हिस्से के रूप में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी सोचा जाए. सरकार को कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए अपने प्रयासों में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी संदेश देना चाहिए. जन स्वास्थ्य अभियानों में शारीरिक दूरी बनाए रखने का प्रचार किया जाता है लेकिन इसमें सामाजिक रूप से जुड़े रहने के महत्व पर भी जोर देना चाहिए.

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Published : Aug 21, 2020, 9:05 AM IST

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कोविड-19 महामारी के दौर में तनाव से मुकाबला

पहली बार जब कोरोना वायरस बीमारी 2019 (कोविड-19) के बारे में सुना था और जिस तरह से पूरी दुनिया बदल गई तब से अब तक हम लोगों ने एक लंबा रास्ता तय कर लिया है. मास्क पहनना और शारीरिक दूरी बनाए रखना अब एक नई सामान्य बात है. टीके के अभाव में इस महामारी के फैलाव को कम रखने की सबसे महत्वपूर्ण रणनीति शारीरिक दूरी बनाए रखना है. दूरी रखना मानव के मूल स्वभाव के विपरीत है और यह दूसरों से जुड़ने के मानव मन के अंदर गहरे पैठी सहज प्रवृत्ति के भी खिलाफ है. अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से बहुत कम मिलने-जुलने, बाहर नहीं जाने और पारिवारिक लोगों के एक जगह नहीं जुटने का कारण बना कोविड-19 महामारी हम सभी लोगों को एक प्रमुख तनाव देने वाला बन गया है. खासकर जो इस वायरस से मुक्त हैं घर में साथ रहते हैं उन लोगों के लिए भी इस वायरस के संपर्क में आने के डर और चिंता से निपटना और परिवार के करीबी सदस्यों के बीमार पड़ने और आर्थिक परेशानियों की वजह से तनाव से बचे रहने का कोई विकल्प नहीं है.

मौजूदा महामारी की स्थिति के साथ तालमेल बैठाना बहुत सारे लोगों के लिए मुश्किल है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों के लिए जो क्वारंटाइन में हैं और दैनिक मजदूरी करने वाले और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कमजोर तबके के लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण हैं. यह नहीं भूलें कि स्वास्थ्य सेवा में लगे कर्मी आगे रहकर कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं.

इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि कोविड -19 महामारी को लेकर जन स्वास्थ्य के हिस्से के रूप में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी सोचा जाए. सरकार को कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए अपने प्रयासों में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी संदेश देना चाहिए. जन स्वास्थ्य अभियानों में शारीरिक दूरी बनाए रखने का प्रचार किया जाता है लेकिन इसमें सामाजिक रूप से जुड़े रहने के महत्व पर भी जोर देना चाहिए.

हम कोविड महामारी के तनाव का मुकाबला करने के लिए ये आसान कदम उठा सकते हैं.

दूसरों से जुड़ें
खुद को अलग-थलग करने और सामाजिक दूरी बनाने से आपके अंदर बोरियत होने और हताशा की भावना आ सकती है. इसलिए फोन पर परिवार और दोस्तों के साथ संपर्क कीजिए. उनसे खुशी वाली घटनाओं पर चर्चा कीजिए और इसमें उनकी सहायता मांगिए. इसके मुकाबले के लिए अकेले रहने और इंटरनेट पर बहुत अधिक समय गुजारने के खराब तरीकों से परहेज कीजिए.

रूटीन का पालन करें
दैनिक रूटीन का पालन करने से आपको शारीरिक और मानसिक दोनों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलेगी. सही समय पर खाना खाएं और सोएं, रोज व्यायाम करें, अपने शौक को फिर से शुरू करें और उन गतिविधियों में लगें, जिससे आपको आनंद मिलता हो. हमेशा पर्याप्त अवकाश लें.

तनाव देने वालों से दूर रहें
कोविड-19 से जुड़ी खबर को लगातार सुनना आपको विचलित कर सकता है. जो लोग कोविड-19 से ठीक हो रहे हैं, तनाव से मुक्त करने वाली इस तरह की सकारात्मक खबरों का संतुलन होना चाहिए.

नकारात्मक सोच और भावना को संभालें
पहले इसकी जांच करें कि क्या आपके विचार सही हैं? सच हैं? सहायता करने वाले हैं? जरूरी हैं? दया वाले हैं? यदि वे विचार आपको अपनी समस्या का समाधान करने मे मदद नहीं करने वाले हैं और उसकी जगह आपके दुख और तनाव को और बढ़ाने वाले हैं, तो बेहतर है कि उन विचारों को बहुत अधिक महत्व नहीं दें. उन विचारों को चलते हुए यातायात या बादलों की तरह से जाने दें. बगैर आलोचनात्मक हुए उन विचारों को देखना नकारात्मक भावना और सोच को कम करने में सहायक होती है. यह याद रखें कि कोविड-19 महामारी हमारे नियंत्रण में नहीं है लेकिन हम अपने विचारों और चाल-चलन को नियंत्रित कर सकते हैं.

बच्चों और किशोरों को उनका मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करें
उनकी बातें सुनकर, उनकी परेशानियों को समझकर, उनकी शंकाओं का समाधान करके, उन्हें बार-बार भरोसा दिलाकर, उनकी समस्याओं के समाधान में सहायता करके बच्चों और किशोरों की मदद करें. उनको मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों का बहुत अधिक इस्तेमाल करने से रोकें. यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे गैजेट का एक सीमा तक ही इस्तेमाल करेंगे उनसे बातचीत कीजिए और उनके रोजमर्रा की दिनचर्या के तहत उनकी अन्य गतिविधियों के बारे में चर्चा करें.

योजना बनाएं
महामारी के समय बीमारी के संपर्क में आने को लेकर चिंतित होना आम बात है. इसलिए कोविड-19 के लक्षणों को जानना और समझना महत्वपूर्ण है. जहां आसानी के मिल सके उस जगह आपातकालीन संपर्क नंबर और महत्वपूर्ण फोन नंबर को रखें. एक सरल योजना बनाइए कि यदि आप या आपके परिवार के सदस्य बीमार पड़ जाते हैं तो आसपास में कौन से क्लीनिक या अस्पताल हैं जो उस कठिन समय में मदद करेंगे.

व्यग्रता कम करने का इंतजाम करें
पेट से श्वांस लेने जैसी तकनीक का व्यग्रता कम करने के लिए इस्तेमाल करें. आराम की स्थिति में बैठ जाएं. कंधों को ढीला छोड़ दें, आंखें बंद कर लें, आराम से श्वांस खीचें, हल्के और धीरे-धीरे चार तक गिनें, जैसे फुलाते हैं वैसे पेट को फुलाएं. श्वांस को दो गिनने तक रोक कर रखें और अपने मुंह के जरिए छह गिनने तक उसे निकालें. श्वांस लेने का इस तरह से दस मिनट अभ्यास करें.

कोविड-19 वजह से इस तरह के उपजे तनाव का मुकाबला करने के लिए ऊपर बताए गए व्यक्तिगत स्तर के अभ्यास के अलावा समुदाय के रूप में इसका मुकाबला करना भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महामारी कब तक समाप्त होगी स्पष्ट रूप से इसका अंत नहीं दिख रहा है. मौजूदा महामारी से निपटने और बेहतर तैयारी के साथ इसका मुकाबला करने के लिए सामुदायिक स्तर पर रणनीति बनाना महत्वपूर्ण है. इस तरह की किसी भी पहल के लिए समुदायों, मरीजों, उनके परिजनों और अन्य हितधारकों, साझेदारों और क्षेत्रों के संपर्क में रहना जरूरी है.

समुदायिक मेल-मिलाप को मजबूत करने के लिए कुछ कदम इस तरह हैं
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ प्रभावी ढंग से एकीकरण किया जाए ताकि व्यक्तिगत तौर पर जो परिवार कोविड-19 से सीधे प्रभावित हैं उन्हें एक स्तरीय परामर्श मुहैया कराया जा सके. जिनकी नौकरी खत्म हो गई है, स्वास्थ्य सेवा और जरूरी सेवाओं में काम करने वाले, बुजुर्ग, वे लोग जो दिव्यांगता के शिकार हैं और उन खास लोगों से जो लंबे समय से क्वारंटाइन में पड़े हुए हैं ऐसे लोगों से संपर्क करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे.

डिजिटल स्वास्थ्य में नवाचारों का अन्वेषण करें, ताकि संस्कृति विशेष के बीच मेलजोल की रणनीतियां विकसित हों ताकि जो मानसिक स्वास्थ्य और बुनियादी जरूरतों को लेकर सर्वाधिक खतरे में हैं उनके लिए सीधे रोकथाम और नौदानिक संसाधन के अधिकतम रास्ते तलाशे जा सकें.

समुदाय आधारित संगठनों को समाजिक गतिशीलता और संचार रणनीतियों के माध्यम से आत्मीयता को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करें और लोगों को जानने दें कि कब और कहां मदद की जरूरत है.

जैसा कि नजर आ रहा है कि कोविड-19 का समाज पर लंबे समय तक मनोवैज्ञानिक प्रभाव रहने वाला है. समुदाय आधारित आत्मीयता बढ़ाने के प्रयासों को सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए और इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और कार्रवाई की जरूरत होगी.

(डॉ. शिल्पी सदानाड, डॉ. नंद किशोर कन्नूरी, सामाजिक और व्यवहार विज्ञान विभाग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, हैदराबाद)

(नोट- ये लेखकों के निजी विचार हैं)

पहली बार जब कोरोना वायरस बीमारी 2019 (कोविड-19) के बारे में सुना था और जिस तरह से पूरी दुनिया बदल गई तब से अब तक हम लोगों ने एक लंबा रास्ता तय कर लिया है. मास्क पहनना और शारीरिक दूरी बनाए रखना अब एक नई सामान्य बात है. टीके के अभाव में इस महामारी के फैलाव को कम रखने की सबसे महत्वपूर्ण रणनीति शारीरिक दूरी बनाए रखना है. दूरी रखना मानव के मूल स्वभाव के विपरीत है और यह दूसरों से जुड़ने के मानव मन के अंदर गहरे पैठी सहज प्रवृत्ति के भी खिलाफ है. अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से बहुत कम मिलने-जुलने, बाहर नहीं जाने और पारिवारिक लोगों के एक जगह नहीं जुटने का कारण बना कोविड-19 महामारी हम सभी लोगों को एक प्रमुख तनाव देने वाला बन गया है. खासकर जो इस वायरस से मुक्त हैं घर में साथ रहते हैं उन लोगों के लिए भी इस वायरस के संपर्क में आने के डर और चिंता से निपटना और परिवार के करीबी सदस्यों के बीमार पड़ने और आर्थिक परेशानियों की वजह से तनाव से बचे रहने का कोई विकल्प नहीं है.

मौजूदा महामारी की स्थिति के साथ तालमेल बैठाना बहुत सारे लोगों के लिए मुश्किल है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों के लिए जो क्वारंटाइन में हैं और दैनिक मजदूरी करने वाले और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कमजोर तबके के लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण हैं. यह नहीं भूलें कि स्वास्थ्य सेवा में लगे कर्मी आगे रहकर कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं.

इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि कोविड -19 महामारी को लेकर जन स्वास्थ्य के हिस्से के रूप में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी सोचा जाए. सरकार को कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए अपने प्रयासों में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी संदेश देना चाहिए. जन स्वास्थ्य अभियानों में शारीरिक दूरी बनाए रखने का प्रचार किया जाता है लेकिन इसमें सामाजिक रूप से जुड़े रहने के महत्व पर भी जोर देना चाहिए.

हम कोविड महामारी के तनाव का मुकाबला करने के लिए ये आसान कदम उठा सकते हैं.

दूसरों से जुड़ें
खुद को अलग-थलग करने और सामाजिक दूरी बनाने से आपके अंदर बोरियत होने और हताशा की भावना आ सकती है. इसलिए फोन पर परिवार और दोस्तों के साथ संपर्क कीजिए. उनसे खुशी वाली घटनाओं पर चर्चा कीजिए और इसमें उनकी सहायता मांगिए. इसके मुकाबले के लिए अकेले रहने और इंटरनेट पर बहुत अधिक समय गुजारने के खराब तरीकों से परहेज कीजिए.

रूटीन का पालन करें
दैनिक रूटीन का पालन करने से आपको शारीरिक और मानसिक दोनों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलेगी. सही समय पर खाना खाएं और सोएं, रोज व्यायाम करें, अपने शौक को फिर से शुरू करें और उन गतिविधियों में लगें, जिससे आपको आनंद मिलता हो. हमेशा पर्याप्त अवकाश लें.

तनाव देने वालों से दूर रहें
कोविड-19 से जुड़ी खबर को लगातार सुनना आपको विचलित कर सकता है. जो लोग कोविड-19 से ठीक हो रहे हैं, तनाव से मुक्त करने वाली इस तरह की सकारात्मक खबरों का संतुलन होना चाहिए.

नकारात्मक सोच और भावना को संभालें
पहले इसकी जांच करें कि क्या आपके विचार सही हैं? सच हैं? सहायता करने वाले हैं? जरूरी हैं? दया वाले हैं? यदि वे विचार आपको अपनी समस्या का समाधान करने मे मदद नहीं करने वाले हैं और उसकी जगह आपके दुख और तनाव को और बढ़ाने वाले हैं, तो बेहतर है कि उन विचारों को बहुत अधिक महत्व नहीं दें. उन विचारों को चलते हुए यातायात या बादलों की तरह से जाने दें. बगैर आलोचनात्मक हुए उन विचारों को देखना नकारात्मक भावना और सोच को कम करने में सहायक होती है. यह याद रखें कि कोविड-19 महामारी हमारे नियंत्रण में नहीं है लेकिन हम अपने विचारों और चाल-चलन को नियंत्रित कर सकते हैं.

बच्चों और किशोरों को उनका मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करें
उनकी बातें सुनकर, उनकी परेशानियों को समझकर, उनकी शंकाओं का समाधान करके, उन्हें बार-बार भरोसा दिलाकर, उनकी समस्याओं के समाधान में सहायता करके बच्चों और किशोरों की मदद करें. उनको मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों का बहुत अधिक इस्तेमाल करने से रोकें. यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे गैजेट का एक सीमा तक ही इस्तेमाल करेंगे उनसे बातचीत कीजिए और उनके रोजमर्रा की दिनचर्या के तहत उनकी अन्य गतिविधियों के बारे में चर्चा करें.

योजना बनाएं
महामारी के समय बीमारी के संपर्क में आने को लेकर चिंतित होना आम बात है. इसलिए कोविड-19 के लक्षणों को जानना और समझना महत्वपूर्ण है. जहां आसानी के मिल सके उस जगह आपातकालीन संपर्क नंबर और महत्वपूर्ण फोन नंबर को रखें. एक सरल योजना बनाइए कि यदि आप या आपके परिवार के सदस्य बीमार पड़ जाते हैं तो आसपास में कौन से क्लीनिक या अस्पताल हैं जो उस कठिन समय में मदद करेंगे.

व्यग्रता कम करने का इंतजाम करें
पेट से श्वांस लेने जैसी तकनीक का व्यग्रता कम करने के लिए इस्तेमाल करें. आराम की स्थिति में बैठ जाएं. कंधों को ढीला छोड़ दें, आंखें बंद कर लें, आराम से श्वांस खीचें, हल्के और धीरे-धीरे चार तक गिनें, जैसे फुलाते हैं वैसे पेट को फुलाएं. श्वांस को दो गिनने तक रोक कर रखें और अपने मुंह के जरिए छह गिनने तक उसे निकालें. श्वांस लेने का इस तरह से दस मिनट अभ्यास करें.

कोविड-19 वजह से इस तरह के उपजे तनाव का मुकाबला करने के लिए ऊपर बताए गए व्यक्तिगत स्तर के अभ्यास के अलावा समुदाय के रूप में इसका मुकाबला करना भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महामारी कब तक समाप्त होगी स्पष्ट रूप से इसका अंत नहीं दिख रहा है. मौजूदा महामारी से निपटने और बेहतर तैयारी के साथ इसका मुकाबला करने के लिए सामुदायिक स्तर पर रणनीति बनाना महत्वपूर्ण है. इस तरह की किसी भी पहल के लिए समुदायों, मरीजों, उनके परिजनों और अन्य हितधारकों, साझेदारों और क्षेत्रों के संपर्क में रहना जरूरी है.

समुदायिक मेल-मिलाप को मजबूत करने के लिए कुछ कदम इस तरह हैं
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ प्रभावी ढंग से एकीकरण किया जाए ताकि व्यक्तिगत तौर पर जो परिवार कोविड-19 से सीधे प्रभावित हैं उन्हें एक स्तरीय परामर्श मुहैया कराया जा सके. जिनकी नौकरी खत्म हो गई है, स्वास्थ्य सेवा और जरूरी सेवाओं में काम करने वाले, बुजुर्ग, वे लोग जो दिव्यांगता के शिकार हैं और उन खास लोगों से जो लंबे समय से क्वारंटाइन में पड़े हुए हैं ऐसे लोगों से संपर्क करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे.

डिजिटल स्वास्थ्य में नवाचारों का अन्वेषण करें, ताकि संस्कृति विशेष के बीच मेलजोल की रणनीतियां विकसित हों ताकि जो मानसिक स्वास्थ्य और बुनियादी जरूरतों को लेकर सर्वाधिक खतरे में हैं उनके लिए सीधे रोकथाम और नौदानिक संसाधन के अधिकतम रास्ते तलाशे जा सकें.

समुदाय आधारित संगठनों को समाजिक गतिशीलता और संचार रणनीतियों के माध्यम से आत्मीयता को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करें और लोगों को जानने दें कि कब और कहां मदद की जरूरत है.

जैसा कि नजर आ रहा है कि कोविड-19 का समाज पर लंबे समय तक मनोवैज्ञानिक प्रभाव रहने वाला है. समुदाय आधारित आत्मीयता बढ़ाने के प्रयासों को सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए और इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और कार्रवाई की जरूरत होगी.

(डॉ. शिल्पी सदानाड, डॉ. नंद किशोर कन्नूरी, सामाजिक और व्यवहार विज्ञान विभाग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, हैदराबाद)

(नोट- ये लेखकों के निजी विचार हैं)

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