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भारत के खिलाफ शी जिनपिंग का आक्रामक कदम 'विफल'

भारत चीन के बीच स्थिति तनावपूर्ण है. इसकी शुरुआत दोनों देशों के सैनिकों के बीच आक्रामक झड़प से हुई. चीन के इसी आक्रामक रवैये को लेकर अमेरिका की एक प्रमुख पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि चीनी राष्ट्रपति ने भारत में घुसपैठ की कोशिश कर अपने भविष्य को जोखिम में डाल दिया है.

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Published : Sep 14, 2020, 6:20 AM IST

Updated : Sep 14, 2020, 10:16 AM IST

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भारत के खिलाफ शी जिनपिंग का आक्रामक कदम 'अप्रत्याशित रूप से विफल' रहा : रिपोर्ट

वॉशिंगटन : भारत के खिलाफ चीनी सेना के आक्रामक कदमों के पीछे राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जिम्मेदार ठहराते हुए अमेरिका की एक प्रमुख पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि चीनी राष्ट्रपति ने भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसपैठ का प्रयास करके अपने भविष्य को जोखिम में डाल दिया है क्योंकि यह भारतीय सेना की कड़ी जवाबी कार्रवाई के बाद अप्रत्याशित रूप से विफल रहा.

पत्रिका 'न्यूजवीक' ने एक अपने एक लेख में कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी में सुधार आंदोलन और दुश्मनों के उत्पीड़न में पहले से ही उलझे 67 वर्षीय शी भारतीय सीमा पर चीन की नाकामी के बाद कोई अन्य क्रूर कदम उठाएंगे.

इसने कहा, 'यह शी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है, भारत के खिलाफ आक्रामकता वाले कदमों के वही कर्ताधर्ता हैं और उनकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अप्रत्याशित रूप से नाकाम साबित हुई है. भारतीय सीमा पर चीनी सेना की विफलताओं के अपने परिणाम होंगे.'

पत्रिका ने चेताया कि सबसे अहम बात यह है कि विफलता के कारण चीन के शासक शी जिनपिंग भारत के खिलाफ कोई अन्य आक्रामक कदम उठाने को प्रोत्साहित हो सकते हैं, जोकि अपनी पार्टी की केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष भी हैं और पीएलए के भी प्रमुख हैं.

न्यूजवीक में कहा गया कि 67 वर्षीय शी की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी बदलाव के दौर से गुजर रही है. ऐसे में भारतीय सीमा पर चीन की सेना की विफलता जिनपिंग के लिए भारी पड़ सकती है. पीएलए का विफल होना जिनपिंग के लिए दुष्परिणाम साबित हो सकता है.

पत्रिका में कहा गया कि दुर्भाग्य से भारत के खिलाफ आक्रामक कदमों के कर्ताधर्ता खुद जनपिंग हैं. पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर पीएलए ने घुसपैठ की, तो जवाब में नजदीकी पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों ने कब्जा जमाया.

पढ़ें : चीन से संबंध मजबूत करने में जुटा यूरोपीय संघ, अगले सप्ताह वार्ता

लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प पर पत्रिका ने लिखा, 15 जून को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए. इसमें चीनी पक्ष को भी नुकसान हुआ. लेकिन उसका विवरण अभी तक नहीं दिया गया.

पत्रिका ने कहा कि गलवान घाटी में कम से कम 43 चीनी सैनिकों की मौत हुई. यह संख्या 60 से भी ज्यादा हो सकती है.

भारतीय सैनिकों ने जिस बहादुरी से चीनी सेना को जवाब दिया, उसकी चीन को कभी उम्मीद नहीं थी. यही कारण है कि चीन खुद को हुए नुकसान के बारे में कुछ बोल नहीं पाया.

राष्ट्रपति जिनपिंग चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष हैं, ऐसे में पीएलए में हुई इन गतिविधियों के लिए वह जिम्मेदार हैं.

वॉशिंगटन : भारत के खिलाफ चीनी सेना के आक्रामक कदमों के पीछे राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जिम्मेदार ठहराते हुए अमेरिका की एक प्रमुख पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि चीनी राष्ट्रपति ने भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसपैठ का प्रयास करके अपने भविष्य को जोखिम में डाल दिया है क्योंकि यह भारतीय सेना की कड़ी जवाबी कार्रवाई के बाद अप्रत्याशित रूप से विफल रहा.

पत्रिका 'न्यूजवीक' ने एक अपने एक लेख में कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी में सुधार आंदोलन और दुश्मनों के उत्पीड़न में पहले से ही उलझे 67 वर्षीय शी भारतीय सीमा पर चीन की नाकामी के बाद कोई अन्य क्रूर कदम उठाएंगे.

इसने कहा, 'यह शी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है, भारत के खिलाफ आक्रामकता वाले कदमों के वही कर्ताधर्ता हैं और उनकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अप्रत्याशित रूप से नाकाम साबित हुई है. भारतीय सीमा पर चीनी सेना की विफलताओं के अपने परिणाम होंगे.'

पत्रिका ने चेताया कि सबसे अहम बात यह है कि विफलता के कारण चीन के शासक शी जिनपिंग भारत के खिलाफ कोई अन्य आक्रामक कदम उठाने को प्रोत्साहित हो सकते हैं, जोकि अपनी पार्टी की केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष भी हैं और पीएलए के भी प्रमुख हैं.

न्यूजवीक में कहा गया कि 67 वर्षीय शी की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी बदलाव के दौर से गुजर रही है. ऐसे में भारतीय सीमा पर चीन की सेना की विफलता जिनपिंग के लिए भारी पड़ सकती है. पीएलए का विफल होना जिनपिंग के लिए दुष्परिणाम साबित हो सकता है.

पत्रिका में कहा गया कि दुर्भाग्य से भारत के खिलाफ आक्रामक कदमों के कर्ताधर्ता खुद जनपिंग हैं. पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर पीएलए ने घुसपैठ की, तो जवाब में नजदीकी पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों ने कब्जा जमाया.

पढ़ें : चीन से संबंध मजबूत करने में जुटा यूरोपीय संघ, अगले सप्ताह वार्ता

लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प पर पत्रिका ने लिखा, 15 जून को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए. इसमें चीनी पक्ष को भी नुकसान हुआ. लेकिन उसका विवरण अभी तक नहीं दिया गया.

पत्रिका ने कहा कि गलवान घाटी में कम से कम 43 चीनी सैनिकों की मौत हुई. यह संख्या 60 से भी ज्यादा हो सकती है.

भारतीय सैनिकों ने जिस बहादुरी से चीनी सेना को जवाब दिया, उसकी चीन को कभी उम्मीद नहीं थी. यही कारण है कि चीन खुद को हुए नुकसान के बारे में कुछ बोल नहीं पाया.

राष्ट्रपति जिनपिंग चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष हैं, ऐसे में पीएलए में हुई इन गतिविधियों के लिए वह जिम्मेदार हैं.

Last Updated : Sep 14, 2020, 10:16 AM IST
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