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'नागरिकता संशोधन विधेयक पर वोट बैंक की राजनीति कर रही है BJP'

नागरिकता संशोधन के मामले में AASU ने बीजेपी पर बीजेपी दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है. ईटीवी भारत ने नागरिकता के मुद्दे पर AASU के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य से बात की. उन्होंने कहा कि बीजेपी सिर्फ वोटों की गिनती कर रही है.

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Published : May 8, 2019, 11:13 PM IST

Updated : May 9, 2019, 12:03 AM IST

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ काफी विरोध-प्रदर्शन भी देखे गए हैं. लोकसभा चुनाव-2019 के लिए 118 सीटों पर मतदान होना बाकी है. इसी बीच ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने बीजेपी पर नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है.

AASU के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि एक तरफ बीजेपी असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का समर्थन करने की बात करती है, तो दूसरी ओर CAB के पक्ष में भी बराबरी से बयान देती है.उन्होंने कहा कि यह पार्टी सिर्फ वोटों की गिनती कर रही है. बंगाल में बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी, असम में कितने वोट आऐंगे, इन्हें सिर्फ इसी से मतलब है.

समुज्जल भट्टाचार्य का बयान, देखें

गौरतलब है कि AASU इस विवादास्पद बिल के खिलाफ एक आंदोलन की अगुवाई कर रहा है. केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में विधेयक पारित किए जाने के बाद AASU और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS) सहित कई अन्य संगठनों ने विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की थी. AASU ने विधेयक के खिलाफ उनका समर्थन मांगा है.

समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा बीजेपी दोहरा मापदंड अपना रही है. एक तरफ बीजेपी ने कहा कि वे असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का समर्थन करते हैं, जो कि ऐतिहासिक असम एकॉर्ड समझौते पर आधारित है. दूसरी तरफ वे सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पेश करते हैं, जो कि ऐतिहासिक असम एकॉर्ड के खिलाफ है.

बता दें कि आंदोलनकारी संगठनों ने नागरिकता बिल के खिलाफ राजग (NDA) के सहयोगी दलों (शिवसेना सहित) के नेताओं को इस आंदोलन में शामिल होने को कहा था. बता दें कि शिवसेना ने मिजोरम के मुख्यमंत्री को नागरिकता संशोधन पर उनका साथ देने का आश्वासन दिया है.

ये भी पढ़ें: नागरिकता संशोधन बिल: JDU से मिले असम के नेता, केंद्र के रूख का विरोध करने की अपील

भट्टाचार्य ने कहा कि असम एकॉर्ड के मुताबिक 25 मार्च, 1971 के बाद असम में प्रवेश करने वाले लोगों को असम को निर्वासित करने की बात कही गई है. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के अनुसार 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके शरणार्थियों को नागरिकता देने की सिफारिश की है. ऐसे में असम, पूर्वोत्तर या कोई अन्य भारतीय राज्य बाहर से आने वाले विदेशियों के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं बन सकता.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि अदालत ने NRC समन्वयक प्रतीक हजेला को इस मामले में अपना विवेक इस्तेमाल करने को कहा है. उन्होंने कहा कि वे कोर्ट पर विश्वास रखते है और उन्हों पूरा भरोसा है कि जो अंतिम NRC बांग्लादेशी मुक्त होगा.

SC के फैसले पर समुज्जल भट्टाचार्य का बयान, देखें

इससे पहले आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि प्रक्रिया को 31 जुलाई या उससे पहले जरूर पूरा कर लिया जाना चाहिए. इस प्रक्रिया में एक दिन की भी देरी नहीं की जा सकती.

ये भी पढ़ें: असम के पूर्व मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया, जानें कारण

गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने हालिया चुनाव अभियान के दौरान कई बार नागरिकता विधेयक का जिक्र किया है. शाह ने कहा है कि भाजपा के सत्ता में लौटने पर संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराया जाएगा.

ये भी पढ़ें: नागरिकता संशोधन विधेयक: लोकसभा चुनाव में BJP के लिए नकारात्मक हो सकते हैं परिणाम !

शीर्ष अदालत ने आपत्ति करने वालों के उपस्थित नहीं होने की स्थिति में समन्वयक (को-ऑर्डिनेटर) को कानून के अनुसार प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति दी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से आम चुनाव के दौरान एनआरसी के काम को स्थगित करने का अनुरोध किया गया था. इस पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केंद्र और गृह मंत्रालय की आलोचना की थी.

बता दें कि जनवरी, 2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश किया गया था. इसका मकसद 1955 के नागरिकता कानून का संशोधन करना है. इसके तहत अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता दिए जाने की बात कही गई है. संशोधन के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाईयों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है.

ये भी पढ़ें: नागरिकता विधेयक के खिलाफ हुए असम के नेता, जानें क्या है कारण

इस दौरान असम के विधायक रकीबुल हुसैन ने भी नागरिकता बिल के विरोध का समर्थन किया था. ईटीवी भारत से बात करते हुए रकीबुल हुसैन कहा था कि बीजेपी बिल पास कराने के लिए समर्थन जुटाने के लिए हर संभव तरीके आजमा सकती है.

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ काफी विरोध-प्रदर्शन भी देखे गए हैं. लोकसभा चुनाव-2019 के लिए 118 सीटों पर मतदान होना बाकी है. इसी बीच ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने बीजेपी पर नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है.

AASU के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि एक तरफ बीजेपी असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का समर्थन करने की बात करती है, तो दूसरी ओर CAB के पक्ष में भी बराबरी से बयान देती है.उन्होंने कहा कि यह पार्टी सिर्फ वोटों की गिनती कर रही है. बंगाल में बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी, असम में कितने वोट आऐंगे, इन्हें सिर्फ इसी से मतलब है.

समुज्जल भट्टाचार्य का बयान, देखें

गौरतलब है कि AASU इस विवादास्पद बिल के खिलाफ एक आंदोलन की अगुवाई कर रहा है. केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में विधेयक पारित किए जाने के बाद AASU और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS) सहित कई अन्य संगठनों ने विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की थी. AASU ने विधेयक के खिलाफ उनका समर्थन मांगा है.

समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा बीजेपी दोहरा मापदंड अपना रही है. एक तरफ बीजेपी ने कहा कि वे असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का समर्थन करते हैं, जो कि ऐतिहासिक असम एकॉर्ड समझौते पर आधारित है. दूसरी तरफ वे सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पेश करते हैं, जो कि ऐतिहासिक असम एकॉर्ड के खिलाफ है.

बता दें कि आंदोलनकारी संगठनों ने नागरिकता बिल के खिलाफ राजग (NDA) के सहयोगी दलों (शिवसेना सहित) के नेताओं को इस आंदोलन में शामिल होने को कहा था. बता दें कि शिवसेना ने मिजोरम के मुख्यमंत्री को नागरिकता संशोधन पर उनका साथ देने का आश्वासन दिया है.

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भट्टाचार्य ने कहा कि असम एकॉर्ड के मुताबिक 25 मार्च, 1971 के बाद असम में प्रवेश करने वाले लोगों को असम को निर्वासित करने की बात कही गई है. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के अनुसार 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके शरणार्थियों को नागरिकता देने की सिफारिश की है. ऐसे में असम, पूर्वोत्तर या कोई अन्य भारतीय राज्य बाहर से आने वाले विदेशियों के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं बन सकता.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि अदालत ने NRC समन्वयक प्रतीक हजेला को इस मामले में अपना विवेक इस्तेमाल करने को कहा है. उन्होंने कहा कि वे कोर्ट पर विश्वास रखते है और उन्हों पूरा भरोसा है कि जो अंतिम NRC बांग्लादेशी मुक्त होगा.

SC के फैसले पर समुज्जल भट्टाचार्य का बयान, देखें

इससे पहले आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि प्रक्रिया को 31 जुलाई या उससे पहले जरूर पूरा कर लिया जाना चाहिए. इस प्रक्रिया में एक दिन की भी देरी नहीं की जा सकती.

ये भी पढ़ें: असम के पूर्व मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया, जानें कारण

गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने हालिया चुनाव अभियान के दौरान कई बार नागरिकता विधेयक का जिक्र किया है. शाह ने कहा है कि भाजपा के सत्ता में लौटने पर संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराया जाएगा.

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शीर्ष अदालत ने आपत्ति करने वालों के उपस्थित नहीं होने की स्थिति में समन्वयक (को-ऑर्डिनेटर) को कानून के अनुसार प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति दी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से आम चुनाव के दौरान एनआरसी के काम को स्थगित करने का अनुरोध किया गया था. इस पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केंद्र और गृह मंत्रालय की आलोचना की थी.

बता दें कि जनवरी, 2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश किया गया था. इसका मकसद 1955 के नागरिकता कानून का संशोधन करना है. इसके तहत अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता दिए जाने की बात कही गई है. संशोधन के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाईयों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है.

ये भी पढ़ें: नागरिकता विधेयक के खिलाफ हुए असम के नेता, जानें क्या है कारण

इस दौरान असम के विधायक रकीबुल हुसैन ने भी नागरिकता बिल के विरोध का समर्थन किया था. ईटीवी भारत से बात करते हुए रकीबुल हुसैन कहा था कि बीजेपी बिल पास कराने के लिए समर्थन जुटाने के लिए हर संभव तरीके आजमा सकती है.

Intro:New Delhi: With just two phases of polling left for the ensuing Lok Sabha election, influential All Assam Students Union (AASU) on Wednesday claimed that Bharatiya Janata Party (BJP) is playing "vote bank politics" with the contentious Citizenship Amendment Bill (CAB) issue.


Body:"This party is counting on votes. How many votes it will get in Bengal, how many votes it will get in Assam and so on...this bill is totally a communal bill because citizenship in India can't be determined on the basis of religion," said AASU chief advisor Samujjal Bhattacharya in an exclusive interview to ETV Bharat.

The AASU has been spearheading a movement against the controversial bill. After the central government passed the bill in the Lok Sabha, AASU and several other organisations including Krishak Mukti Sangram Samity (KMSS) have met leaders of the opposition and sought their support to oppose the bill.

The agitating organisations also called on leaders of the NDA allies including Shiv Sena to rope them in against the contentious bill.

"BJP is adopting a double standard. At one hand BJP said they support the National Register of Citizen (NRC) in Assam, which is based on the historic Assam Accord and on the otherhand they are brining the CAB, which is against the historic Assam Accord," said Bhattacharya.

He said that according to the Assam Accord people entering Assam after March 25, 1971 should be deported "but CAB said people entered till 2014 should get the Citizenship...Assam and Northeast or any other states of India could not be a dumping grounds of foreigners."



Conclusion:BJP president Amit Shah in his recent election campaign across India has reiterated that if BJP comes to power, his Governmnet will pass the CAB in the Parliament.

The Citizenship amendment bill was passed in the Lok Sabha in January this year seeking amendment the Citizenship Act, 1955 to provide Citizenship to illegal migrants from Afghanistan, Bangladesh and Pakistan and who are Hindu, Sikh, Buddhist, Jain, Parsi or Christian.

END.
Last Updated : May 9, 2019, 12:03 AM IST
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