नई दिल्ली: पूर्वोत्तर भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ काफी विरोध-प्रदर्शन भी देखे गए हैं. लोकसभा चुनाव-2019 के लिए 118 सीटों पर मतदान होना बाकी है. इसी बीच ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने बीजेपी पर नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है.
AASU के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि एक तरफ बीजेपी असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का समर्थन करने की बात करती है, तो दूसरी ओर CAB के पक्ष में भी बराबरी से बयान देती है.उन्होंने कहा कि यह पार्टी सिर्फ वोटों की गिनती कर रही है. बंगाल में बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी, असम में कितने वोट आऐंगे, इन्हें सिर्फ इसी से मतलब है.
गौरतलब है कि AASU इस विवादास्पद बिल के खिलाफ एक आंदोलन की अगुवाई कर रहा है. केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में विधेयक पारित किए जाने के बाद AASU और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS) सहित कई अन्य संगठनों ने विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की थी. AASU ने विधेयक के खिलाफ उनका समर्थन मांगा है.
समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा बीजेपी दोहरा मापदंड अपना रही है. एक तरफ बीजेपी ने कहा कि वे असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का समर्थन करते हैं, जो कि ऐतिहासिक असम एकॉर्ड समझौते पर आधारित है. दूसरी तरफ वे सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पेश करते हैं, जो कि ऐतिहासिक असम एकॉर्ड के खिलाफ है.
बता दें कि आंदोलनकारी संगठनों ने नागरिकता बिल के खिलाफ राजग (NDA) के सहयोगी दलों (शिवसेना सहित) के नेताओं को इस आंदोलन में शामिल होने को कहा था. बता दें कि शिवसेना ने मिजोरम के मुख्यमंत्री को नागरिकता संशोधन पर उनका साथ देने का आश्वासन दिया है.
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भट्टाचार्य ने कहा कि असम एकॉर्ड के मुताबिक 25 मार्च, 1971 के बाद असम में प्रवेश करने वाले लोगों को असम को निर्वासित करने की बात कही गई है. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के अनुसार 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके शरणार्थियों को नागरिकता देने की सिफारिश की है. ऐसे में असम, पूर्वोत्तर या कोई अन्य भारतीय राज्य बाहर से आने वाले विदेशियों के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं बन सकता.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि अदालत ने NRC समन्वयक प्रतीक हजेला को इस मामले में अपना विवेक इस्तेमाल करने को कहा है. उन्होंने कहा कि वे कोर्ट पर विश्वास रखते है और उन्हों पूरा भरोसा है कि जो अंतिम NRC बांग्लादेशी मुक्त होगा.
इससे पहले आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि प्रक्रिया को 31 जुलाई या उससे पहले जरूर पूरा कर लिया जाना चाहिए. इस प्रक्रिया में एक दिन की भी देरी नहीं की जा सकती.
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गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने हालिया चुनाव अभियान के दौरान कई बार नागरिकता विधेयक का जिक्र किया है. शाह ने कहा है कि भाजपा के सत्ता में लौटने पर संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराया जाएगा.
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शीर्ष अदालत ने आपत्ति करने वालों के उपस्थित नहीं होने की स्थिति में समन्वयक (को-ऑर्डिनेटर) को कानून के अनुसार प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति दी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से आम चुनाव के दौरान एनआरसी के काम को स्थगित करने का अनुरोध किया गया था. इस पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केंद्र और गृह मंत्रालय की आलोचना की थी.
बता दें कि जनवरी, 2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश किया गया था. इसका मकसद 1955 के नागरिकता कानून का संशोधन करना है. इसके तहत अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता दिए जाने की बात कही गई है. संशोधन के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाईयों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है.
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इस दौरान असम के विधायक रकीबुल हुसैन ने भी नागरिकता बिल के विरोध का समर्थन किया था. ईटीवी भारत से बात करते हुए रकीबुल हुसैन कहा था कि बीजेपी बिल पास कराने के लिए समर्थन जुटाने के लिए हर संभव तरीके आजमा सकती है.