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इस बार गणपति बप्पा का नया अवतार, ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं से रुकेगा जल प्रदूषण

2 सितंबर के लिए इस साल भगवान गणेश नए अवतार में बाजारों में सुशोभित हो रहे हैं. कारण है जल प्रदूषण. दरअसल, गणेश विसर्जन के दौरान पीओपी व विभिन्न रंगों से सजी मूर्तियों से जल प्रदूषण होता आया है. इसलिए बाजारों में बप्पा की ईको फ्रेंडली प्रतिमा काफी धूम मचा रही है.

बप्पा बने इको फ्रेंडली.
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Published : Aug 30, 2019, 5:46 PM IST

रूद्रपुर: गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन गणेश भक्त अपने घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करेंगे. इसके बाद 10 दिनों तक धूम-धाम से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी. वहीं, अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन कर इस पर्व का समापन किया जाएगा.

बता दें कि रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश के जन्मोत्सव मनाने को लेकर देश के कई राज्यों में बाजार बप्पा की खूबसूरत मूर्तियों से गुलजार हैं. वहीं, जिला मुख्यालय रूद्रपुर का बाजार भी गणेश की प्रतिमाओं से पटा हुआ है. वहीं हर साल पीओपी व विभिन्न रंगों से सजी मूर्तियों से होने वाले जल प्रदूषण को रोकने का खास ख्याल रखा गया है. इस साल भगवान गणेश की ईको फ्रेंडली मूर्ति बाजार में श्रद्धालुओं को खूब लुभा रही है.

बप्पा बने इको फ्रेंडली.

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी के भाई गंगा आरती में हुए शामिल, बोले- तीर्थनगरी से बेहतर आध्यात्मिक स्थान कोई नहीं

दरअसल, पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए इस साल कारीगरों द्वारा विशेष प्रकार की प्रतिमा तैयार की गई है, जो सौ फीसदी मिट्टी से बनी है. मिट्टी से बनी गणेश भगवान की मूर्ति बाजारों में लगातार डिमांड में है. दुकानदार भी श्रद्धालुओं को ईको फ्रेंडली मूर्ति लेने की अपील कर रहे हैं. वहीं, गणेश चतुर्थी के इस पर्व पर आइए जानते हैं कि आखिर किस तरह तैयार की गई भगवान गणेश की प्रतिमा.

बता दें कि मिट्टी से बनी हुई इन मूर्तियों की खास बात यह है कि इसमें किसी भी तरह का कैमिकल रंग नहीं चढ़ाया गया है. विसर्जन के समय सिर्फ 15 मिटन में ही प्रतिमा पानी में आसानी से घुल सकेगी. इसके साथ ही दुकानदारों से बात करने पर उन्होंने बताया कि 50 रुपये से लेकर 3 हजार रुपए तक भगवान गणेश प्रतिमा बाजारों में उपलब्ध है. दुकानदारों की मानें तो ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स को महत्व दे रहे हैं. साथ ही कहा कि पर्व नजदीक आने पर मूर्तियों की बिक्री और बढ़ेगी.

रूद्रपुर: गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन गणेश भक्त अपने घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करेंगे. इसके बाद 10 दिनों तक धूम-धाम से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी. वहीं, अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन कर इस पर्व का समापन किया जाएगा.

बता दें कि रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश के जन्मोत्सव मनाने को लेकर देश के कई राज्यों में बाजार बप्पा की खूबसूरत मूर्तियों से गुलजार हैं. वहीं, जिला मुख्यालय रूद्रपुर का बाजार भी गणेश की प्रतिमाओं से पटा हुआ है. वहीं हर साल पीओपी व विभिन्न रंगों से सजी मूर्तियों से होने वाले जल प्रदूषण को रोकने का खास ख्याल रखा गया है. इस साल भगवान गणेश की ईको फ्रेंडली मूर्ति बाजार में श्रद्धालुओं को खूब लुभा रही है.

बप्पा बने इको फ्रेंडली.

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दरअसल, पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए इस साल कारीगरों द्वारा विशेष प्रकार की प्रतिमा तैयार की गई है, जो सौ फीसदी मिट्टी से बनी है. मिट्टी से बनी गणेश भगवान की मूर्ति बाजारों में लगातार डिमांड में है. दुकानदार भी श्रद्धालुओं को ईको फ्रेंडली मूर्ति लेने की अपील कर रहे हैं. वहीं, गणेश चतुर्थी के इस पर्व पर आइए जानते हैं कि आखिर किस तरह तैयार की गई भगवान गणेश की प्रतिमा.

बता दें कि मिट्टी से बनी हुई इन मूर्तियों की खास बात यह है कि इसमें किसी भी तरह का कैमिकल रंग नहीं चढ़ाया गया है. विसर्जन के समय सिर्फ 15 मिटन में ही प्रतिमा पानी में आसानी से घुल सकेगी. इसके साथ ही दुकानदारों से बात करने पर उन्होंने बताया कि 50 रुपये से लेकर 3 हजार रुपए तक भगवान गणेश प्रतिमा बाजारों में उपलब्ध है. दुकानदारों की मानें तो ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स को महत्व दे रहे हैं. साथ ही कहा कि पर्व नजदीक आने पर मूर्तियों की बिक्री और बढ़ेगी.

Intro:summry - गणेश विसर्जन के दौरान पीओपी ओर खतरनाक रंगों से सजी मूर्ति से होने वाले जल प्रदूषण को रोकने के लिए इस वर्ष बप्पा नए अवतार में बाज़ारो में सुशोभित हो रहे है। बाजारो में बप्पा की ईको फ्रेंडली प्रतिमा धूम मचा रही है। जो कि श्रद्धालुओ को खूब पसंद भी आ रही है।

एंकर - भगवान गणेश के जन्म महोत्सव को मनाने को लेकर जहा देश के कई राज्यो के बाजार भगवान गणेश की मूर्तियों से गुलजार है वही उधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रूद्रपुर का बाजार भी भगवान की प्रतिमाओं से पटा पड़ा हुआ है। इस वर्ष भगवान गणेश की इको फ्रेंडली मूर्ति बाजार में धूम मचा रही है। आलम ये है कि पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सौ फीसदी मिट्टी से बनी मूर्ति की लगातार डिमांड बढ़ रही है। दुकानदार भी श्रद्धालुओं को ईको फ्रेंडली मूर्ति लेने की अपील कर रहे है।


Body:वीओ - रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान गणेश का जन्म महोत्सव देश के कई राज्यों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है इसी के चलते उधम सिंह नगर के बाजार भगवान गणेश की प्रतिमाओं से गुलजार हो रहे है। इस वर्ष गणेश भगवान की ईको फ्रेंडली मूर्ति बाजारो में धूम मचा रही है। दरशल बाज़रो में बिकने वाली गणेश भगवान की मूर्ति पीओपी, मिट्टी ओर खतरनाक रंगों से तैयार की जाती है जिससे पानी मे प्रदूषण फैलाने का डर बना हुआ रहता है। इस वर्ष कारीगरों द्वारा विशेष प्रकार की गणेश भगवान की प्रतिमा तैयार की है जो सौ फीसदी मिट्टी से बनी हुई है प्रतिमा की खास बात यह है कि इस मे किसी भी तरह का कैमिकल रंग नही चढ़ाया गया है। विसर्जन के समय सिर्फ 15 मिटन में ही प्रतिमा पानी में आसानी से घुल सकेगी। इको फ्रेंडली मूर्ति बाज़रो में श्रद्धालुओं को खूब भा रही है। आलम ये है कि दुकानदार एडवांस इको फ्रेंडली मूर्ति की बुकिंग कर रहे है। रूद्रपुर बाजार के दुकानदार के अनुसार सौ फीसदी मिट्टी की भगवान गणेश की मूर्ति की ज्यादा डिमांड आ रही है। उनके द्वारा अब तक 15 प्रतिमा ईको फ्रेंडली मूर्ति की बिक्री की जा चूकी है वह स्वयं भी लोगो को ईको फ्रेंडली मूर्ति लेने के लिए जागरूक कर रहे है ताकि पानी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।

बाइट - हरीश सुखीजा, दुकानदार।

वीओ - 2 सितंबर के लिए बाज़ार भगवान गणेश की मूर्तियों से सजने लगे है। चारो ओर भगवान गणेश की प्रतिमाओं से पटा हुआ है। बाज़रो में 50 रुपये से लेकर 3 हजार रुपये तक भगवान गणेश भगवान की प्रतिमा उपलब्ध हो रही है। दुकानदारों की माने तो रोजाना 2 से 5 श्रद्धालु गणेश भगवान की प्रतिमा को खरीदने पहुच रहे है। जैसे जैसे भगवान गणेश का जन्म महोत्सव नज़दीक आएगा वैसे वैसे प्रतिमाओं की बिक्री ओर अधिक होगी।

बाइट - हरीश पंवार, दुकानदार





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