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माह-ए-रमजान: तीसरा अशरा शुरू, एतिकाफ में बैठे रोजेदार - ashra

माह-ए-रमजान के तीसरे अशरे के साथ ही एतिकाफ भी शुरू हो गया है. जोकि ईद का चांद निकलने तक जारी रहेगा.

रमजान का तीसरा अशरा शुरू.
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Published : May 29, 2019, 12:43 PM IST

रुड़की: माह-ए-रमजान का तीसरा अशरा शुरू हो चुका है. इबादत के मद्देनजर बेहद अहम तीसरे अशरे में मस्जिदों में एतिकाफ भी शुरू हो गया है. एतिकाफ में एक या एक से ज्यादा लोग 10 दिन के लिए मस्जिद में बैठकर खुदा इबादत करते हैं. रोजेदार 20 रमजान को ही एतिकाफ की नीयत से मस्जिद में गुरूब-ए-आफताब (सूर्यास्त) से पहले दाखिल हो जाते हैं. एतिकाफ में बैठे रोजेदार ईद का चांद नजर आने या फिर 30 रमजान को गुरूब-ए-आफताब के बाद मस्जिद के बाहर निकलते हैं.

रमजान का तीसरा अशरा शुरू.

बता दें कि रमजान के महीने में तीन अशरे होते हैं. हर 10 दिन में एक अशरा पूरा होता है. पहला अशरा रहमत का होता और दूसरा मगफिरत का होता है. वहीं, तीसरा अशरा इबादत के लिहाज से बेहद अहम होता है. इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार तीसरे अशरा में जो भी रोजेदार आखिरी दस दिन एतिकाफ करता है तो फजीलत और सवाब के एतबार से उसका यह अमल दो हज और दो उमरा के बराबर माना जाता है.

पढ़ें: अज्ञात कारणों से दुकान में लगी आग, लाखों का माल खाक

इस्लामिक धर्मगुरुओं की माने तो हदीस में कहा गया है कि रमजान में पैगम्बर मोहम्मद साहब भी एतिकाफ में बैठा करते थे. इस्लामिक मान्यता के मुताबिक एतिकाफ में बैठकर इबादत करने वालों पर अल्लाह की खास रहमत होती है और खुदा उसे सभी गुनाहों से मुक्त कर देता है.

मौजूदा वक्त में मोबाइल सबकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. ऐसे में मुस्लिम धर्मगुरु कहते हैं कि एतिकाफ में बैठने वाले शख्स को मोबाइल से भी खुद को दूर रखना होता है. पूरा वक्त इबादत में ही गुजारना होता है.

वहीं, आखिरी अशरे में ही 21, 23, 25, 27 और 29वीं रात को शबे कद्र होती है. शबे कद्र में रोजदार पूरी रात इबादत करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस रात इबादत करने का बदला हजार रात की इबादत करने से भी ज्यादा है.

रुड़की: माह-ए-रमजान का तीसरा अशरा शुरू हो चुका है. इबादत के मद्देनजर बेहद अहम तीसरे अशरे में मस्जिदों में एतिकाफ भी शुरू हो गया है. एतिकाफ में एक या एक से ज्यादा लोग 10 दिन के लिए मस्जिद में बैठकर खुदा इबादत करते हैं. रोजेदार 20 रमजान को ही एतिकाफ की नीयत से मस्जिद में गुरूब-ए-आफताब (सूर्यास्त) से पहले दाखिल हो जाते हैं. एतिकाफ में बैठे रोजेदार ईद का चांद नजर आने या फिर 30 रमजान को गुरूब-ए-आफताब के बाद मस्जिद के बाहर निकलते हैं.

रमजान का तीसरा अशरा शुरू.

बता दें कि रमजान के महीने में तीन अशरे होते हैं. हर 10 दिन में एक अशरा पूरा होता है. पहला अशरा रहमत का होता और दूसरा मगफिरत का होता है. वहीं, तीसरा अशरा इबादत के लिहाज से बेहद अहम होता है. इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार तीसरे अशरा में जो भी रोजेदार आखिरी दस दिन एतिकाफ करता है तो फजीलत और सवाब के एतबार से उसका यह अमल दो हज और दो उमरा के बराबर माना जाता है.

पढ़ें: अज्ञात कारणों से दुकान में लगी आग, लाखों का माल खाक

इस्लामिक धर्मगुरुओं की माने तो हदीस में कहा गया है कि रमजान में पैगम्बर मोहम्मद साहब भी एतिकाफ में बैठा करते थे. इस्लामिक मान्यता के मुताबिक एतिकाफ में बैठकर इबादत करने वालों पर अल्लाह की खास रहमत होती है और खुदा उसे सभी गुनाहों से मुक्त कर देता है.

मौजूदा वक्त में मोबाइल सबकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. ऐसे में मुस्लिम धर्मगुरु कहते हैं कि एतिकाफ में बैठने वाले शख्स को मोबाइल से भी खुद को दूर रखना होता है. पूरा वक्त इबादत में ही गुजारना होता है.

वहीं, आखिरी अशरे में ही 21, 23, 25, 27 और 29वीं रात को शबे कद्र होती है. शबे कद्र में रोजदार पूरी रात इबादत करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस रात इबादत करने का बदला हजार रात की इबादत करने से भी ज्यादा है.

Intro:रमजान के अंतिम अशरे में एतिकाफ शुरू

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Body:मुकद्दस माहे रमजान का पवित्र महीना अंतिम दौर में पहुंच चुका हे महीने का आखिरी अशरा भी शुरु हो चुका है आखिरी अशरा शुरु होने के साथ ही मस्जिदों में एतिकाफ भी शुरू हो गया है एतिकाफ मे या एक से अधिक इबादत गुजार व्यक्ति मस्जिद में रहते हुए इबादत करते हैं एतिकाफ सुन्नतें मुअक्कदा हे बताया गया है कि बस्ती से एक व्यक्ति को अजाब से बचाता है रमजान के आखिरी अशरे मैं एक रात शब ए कदर कि ऐसी भी होती है की इबादत करने पर हजार साल इबादत का सवाब मिलता है हदीसों मैं एतिकाफ को काफी आहम बताया गया है इससे मस्जिद के आसपास की बस्तियों में आने वाली आपदाओं से सुरक्षा भी होती है शहर की मस्जिदों में एक से अधिक व्यक्ति भी एतिकाफ करते हैं एतिकाफ ईद उल फितर का चांद दिखाई देने तक जारी रहता है।

VO -1- रमजान मैं की जाने वाली इबादततो मैं से एक इबादत एतिकाफ भी है रमजान मुबारक महीने के तीसरे अशरे यानी आखिर के 10 दिनों में कुछ मुसलमान एतिकाफ मैं बैठते हैं एतिकाफ के लिए मुसलमान पुरुष रमजान के आखिरी के 10 दिनों तक मस्जिद के किसी कोने में बैठ कर इबादत करते हैं और खुद को परिवार व दुनिया से खुद को अलग कर लेते हैं।

VO - 2 - 20 रोजे मुकम्मल होने के साथ 21 वी सफ की मगरिब की नमाज के बाद लोगों ने मस्जिदों में एतिकाफ शुरु कर दिया है शहर वह देहात की मस्जिद में पर्दा करके तनहाई में अल्लाह की इबादत मैं जुट गए हैं लोगों ने शब ए कद्र को अल्लाह की इबादत में गुजारा लोगों मैं फज्र नमाजों के साथ तराबीह व नवाफिल की नमाज पढ़ी और अल्लाह से दुआ मांगी यूं तो रमजान का पूरा महीना ही पवित्र और हम होता है लेकिन इस महीने के आखिर के 10 दिन सबसे अहम और रहमत वाले होते हैं इस्लाम धर्म के लोगों का मानना है कि रमजान के आखिर मेंएतिकाफ मैं बैठने वालों पर अल्लाह की खास रहमत होती है हदीसों में बताया गया है कि रमजान में पैगंबर मोहम्मद साहब भी एतिकाफ मैं बैठा करते थे इस्लामिक मानयता के मुताबिक एतिकाफ मैं बैठा करते थे इस्लामिक मानयता के मुताबिक एतिकाफ में बैठकर इबादत करने वाले लोगों के अल्लाह सभी गुनाहों पापों से मुक्त कर देता है

VO - 3 - वहीं महिलाएं घर के किसी कमरे में पर्दा लगाकर एतिकाफ में बैठती हैंएतिकाफ के दौरान लोग 10 दिनों तक एक ही जगह पर खाते-पीते उठते बैठते और सोते जागते हैं और नमाज कुरआन पढ़कर अल्लाह की इबादत करते हैं हालांकि बाथरूम या वाशरूम जाने की उन्हें इजाज़त होती है।

VO - 4 - मुस्लिम धर्मगुरु कहते हैं कि मौजूदा वक्त में मोबाइल सबकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है ऐसे में एतिकाफ मैं बैच में वाले सख्स को मोबाइल से भी खुद को दूर रखना चाहिए और पूरा वक्त इबादत मैं गुजारना चाहिए एतिकाफ मैं बैठने वाले लोगों को साफ सफाई का खास ख्याल रखना चाहिए साथ ही एतिकाफ के दौरान किसी की बुराई करने व लड़ाई झगड़ा करने से भी बचना चाहिए।

बाइट - मौलाना उस्मान ग़नी (देवबंदी उलेमा)


Conclusion:
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