ऋषिकेश: 10 मार्च को रानी पोखरी के भोगपुर स्थित चिल्ड्रंस होम सोसाइटी में हुआ वासु हत्याकांड एक बार फिर चर्चाओं में है. वासु हत्याकांड मामले को लेकर उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने मेडिकल रिपोर्ट जांच करने वाला अस्पताल और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं, बाल संरक्षण आयोग ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मामले की जांच करने की सिफारिश की है.
उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने कहा कि वासु हत्याकांड में पुलिस ने अपनी रिपोर्ट बनाई. जिसमें बताया गया कि दोपहर करीब 1:30 बजे खाना खाने के बाद 2 छात्रों ने वासु के साथ मारपीट की और उसे हॉस्टल के हॉल में छोड़कर चले गए. इसके बाद हॉल में स्टाफ आया और वासु की हालत देखकर जॉलीग्रांट अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई.
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उधर, स्कूल प्रबंधन सहित हिमालयन अस्पताल ने इसे फूड प्वाइजनिंग से मौत होना बताया. उषा नेगी ने कहा कि पुलिस और जॉलीग्रांट अस्पताल की रिपोर्ट में विरोधाभास पैदा होता है. पुलिस के अनुसार वासु को दोपहर 2 बजे, जबकि अस्पताल का कहना है कि उसको शाम करीब 7 बजे अस्पताल लाया गया. आयोग ने सवाल किया कि स्कूल और अस्पताल के बीच की दूरी इतनी नहीं है, जो उसे ले जाने में 5 घंटे का समय लगेगा.
उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10 मार्च को वासु की मौत हुई. अस्पताल के अनुसार वासु का शव 11 मार्च को पुलिस को सौंप दिया गया. जबकि वासु के शरीर पर 17 जगह चोट के निशान थे. साथ ही उसकी आंख के नीचे भी चोट थी. ऐसे में पुलिस ने आखिर रिपोर्ट लिखने और जांच शुरू करने में 16 दिन का समय क्यों लिया.