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वासु हत्याकांड: पुलिस और अस्पताल की रिपोर्ट में झोल, आयोग ने उठाए कई सवाल

ऋषिकेश के रानी पोखरी में वासु हत्याकांड मामले को लेकर बाल संरक्षण आयोग ने मेडिकल रिपोर्ट जांच करने वाला अस्पताल और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मामले की जांच करने की मांग की है.

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Published : Sep 29, 2019, 8:29 PM IST

ऋषिकेश: 10 मार्च को रानी पोखरी के भोगपुर स्थित चिल्ड्रंस होम सोसाइटी में हुआ वासु हत्याकांड एक बार फिर चर्चाओं में है. वासु हत्याकांड मामले को लेकर उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने मेडिकल रिपोर्ट जांच करने वाला अस्पताल और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं, बाल संरक्षण आयोग ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मामले की जांच करने की सिफारिश की है.

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने कहा कि वासु हत्याकांड में पुलिस ने अपनी रिपोर्ट बनाई. जिसमें बताया गया कि दोपहर करीब 1:30 बजे खाना खाने के बाद 2 छात्रों ने वासु के साथ मारपीट की और उसे हॉस्टल के हॉल में छोड़कर चले गए. इसके बाद हॉल में स्टाफ आया और वासु की हालत देखकर जॉलीग्रांट अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई.

पढ़ें: 4 अक्टूबर को महामहिम का देवभूमि दौरा, IIT के दीक्षांत समारोह में करेंगे शिरकत

उधर, स्कूल प्रबंधन सहित हिमालयन अस्पताल ने इसे फूड प्वाइजनिंग से मौत होना बताया. उषा नेगी ने कहा कि पुलिस और जॉलीग्रांट अस्पताल की रिपोर्ट में विरोधाभास पैदा होता है. पुलिस के अनुसार वासु को दोपहर 2 बजे, जबकि अस्पताल का कहना है कि उसको शाम करीब 7 बजे अस्पताल लाया गया. आयोग ने सवाल किया कि स्कूल और अस्पताल के बीच की दूरी इतनी नहीं है, जो उसे ले जाने में 5 घंटे का समय लगेगा.

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10 मार्च को वासु की मौत हुई. अस्पताल के अनुसार वासु का शव 11 मार्च को पुलिस को सौंप दिया गया. जबकि वासु के शरीर पर 17 जगह चोट के निशान थे. साथ ही उसकी आंख के नीचे भी चोट थी. ऐसे में पुलिस ने आखिर रिपोर्ट लिखने और जांच शुरू करने में 16 दिन का समय क्यों लिया.

ऋषिकेश: 10 मार्च को रानी पोखरी के भोगपुर स्थित चिल्ड्रंस होम सोसाइटी में हुआ वासु हत्याकांड एक बार फिर चर्चाओं में है. वासु हत्याकांड मामले को लेकर उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने मेडिकल रिपोर्ट जांच करने वाला अस्पताल और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं, बाल संरक्षण आयोग ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मामले की जांच करने की सिफारिश की है.

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने कहा कि वासु हत्याकांड में पुलिस ने अपनी रिपोर्ट बनाई. जिसमें बताया गया कि दोपहर करीब 1:30 बजे खाना खाने के बाद 2 छात्रों ने वासु के साथ मारपीट की और उसे हॉस्टल के हॉल में छोड़कर चले गए. इसके बाद हॉल में स्टाफ आया और वासु की हालत देखकर जॉलीग्रांट अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई.

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उधर, स्कूल प्रबंधन सहित हिमालयन अस्पताल ने इसे फूड प्वाइजनिंग से मौत होना बताया. उषा नेगी ने कहा कि पुलिस और जॉलीग्रांट अस्पताल की रिपोर्ट में विरोधाभास पैदा होता है. पुलिस के अनुसार वासु को दोपहर 2 बजे, जबकि अस्पताल का कहना है कि उसको शाम करीब 7 बजे अस्पताल लाया गया. आयोग ने सवाल किया कि स्कूल और अस्पताल के बीच की दूरी इतनी नहीं है, जो उसे ले जाने में 5 घंटे का समय लगेगा.

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10 मार्च को वासु की मौत हुई. अस्पताल के अनुसार वासु का शव 11 मार्च को पुलिस को सौंप दिया गया. जबकि वासु के शरीर पर 17 जगह चोट के निशान थे. साथ ही उसकी आंख के नीचे भी चोट थी. ऐसे में पुलिस ने आखिर रिपोर्ट लिखने और जांच शुरू करने में 16 दिन का समय क्यों लिया.

Intro:ऋषिकेश-- 10 मार्च को रानी पोखरी के भोगपुर स्थित चिल्ड्रंस होम सोसाइटी में हुआ वासु हत्याकांड एक बार फिर चर्चाओं में है वासु हत्याकांड में मेडिकल रिपोर्ट जांच करने वाला अस्पताल और पुलिस दोनों की भूमिका पर उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने सवाल खड़े करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से इस मामले की जांच करने की सिफारिश की है।


Body:वी/ओ-- उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने फोनपर जानकारी देते हुए बताया कि 10 मार्च को रानीपोखरी के भोगपुर स्थित चिल्ड्रंस होम सोसाइटी एकेडमी में वासु यादव की मौत हो गई थी पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दोपहर करीब 1:30 बजे खाना खाने के बाद 2 छात्रों ने वासु के साथ मारपीट की और उसे हॉस्टल के हॉल में छोड़कर चले गए इसके बाद हॉल में स्टाफ आया और वासु की हालत देखकर जौलीग्रांट अस्पताल पहुंचाया जहां उसकी मौत हो गई वही स्कूल प्रबंधन सहित हिमालयन अस्पताल ने इसे फूड प्वाइजनिंग से मौत होना बताया अध्यक्ष ने बताया कि पुलिस और जौलीग्रांट अस्पताल की रिपोर्ट में विरोधाभास पैदा होता है पुलिस के अनुसार वासु को दोपहर 2:00 बजे जबकि अस्पताल का कहना है कि उसको शाम करीब 7:00 बजे अस्पताल लाया गया आयोग ने सवाल खड़ा किया है कि स्कूल और अस्पताल के बीच की दूरी इतनी नहीं है जो उसे ले जाने में 5 घंटे का समय लग सके।


Conclusion:वी/ओ-- उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10 मार्च को बसों की मौत हुई और 11 मार्च को अस्पताल के अनुसार वासु का शव पुलिस को सौंप दिया गया जबकि वासु के शरीर पर 17 जगह चोट के निशान थे और उसकी आंख के नीचे भी चोट पाई गई तो ऐसे में पुलिस ने आखिर रिपोर्ट लिखने और जांच शुरू करने में 16 दिन का समय क्यों लिया।
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