ऋषिकेश: उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ऋषिकेश-टिहरी विस्थापित वीवीआइपी क्षेत्र में पशुपालन विभाग के कब्जा मांगने पर अधिकारियों को विरोध का सामना करना पड़ा. पशुपालन की भूमि पर सीमांकन के अंतर्गत बहुमंजिला इमारत आने पर किनारे से खुदाई कर खाना पूर्ति कर दिया गया. बता दें कि रमेश जायसवाल की ओर से उच्च न्यायालय नैनीताल में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें पशुपालन विभाग की कई एकड़ भूमि विभागों द्वारा अतिक्रमण कर कब्जा करवाने की शिकायत की गई.
इस याचिका पर उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए पशुपालन विभाग को सभी विभागों के द्वारा अतिक्रमण की गई भूमि को खाली करवा कर अपने कब्जे में लेने के आदेश जारी किए थे. इस आदेश के बाद पशुपालन विभाग ने कुछ विभागों से अपनी भूमि खाली करवाते हुए भूमि पर कब्जा ले लिया. वहीं, अभी भी पुनर्वास विभाग से अपनी भूमि खाली नहीं करवा सका है. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पशुपालन विभाग ने भूमि चिह्नित कर 4.69 एकड़ भूमि का सीमांकन करते हुए बुधवार को बाउंड्री वॉल करने के लिए पहुंची तो बिल्डरों ने अधिकारियों का विरोध किया.
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जिसके बाद अधिकारियों ने सरकारी भूमि पर आ रहे भवनों को नजरअंदाज करते हुए उनके किनारे से खाई करते हुए सीमांकन किया. वैसे तो पिछले काफी समय से पशुपालन विभाग के अधिकारी लगातार बिल्डरों को फायदा पहुंचाते नजर आ रहे हैं. उप जिलाधिकारी प्रेम लाल ने बताया कि एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश किया था. जिसमें पशुपालन विभाग अपनी भूमि को खाली करवा कर अपने कब्जे में ले. जिसके बाद सर्वे करने पर पुनर्वास के पास 4.692 एकड़ भूमि उनके कब्जे में पाई गई.
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वहीं, उन्होंने कहा कि इस मामले में पुनर्वास विभाग की बड़ी लापरवाही है. उन्होंने बिना किसी नक्शे के ही टिहरी विस्थापितों को यह भूमि आवंटित किया था. पुनर्वास विभाग के परियोजना निदेशक आरके वर्मा ने कहा कि पुनर्वास विभाग अपनी भूमि को चिह्नित कर बाउंड्री किया है. हालांकि, इस प्रक्रिया में कोई भी निर्माणाधीन भवन नहीं आ रहा है. जबकि, जेसीबी से खुदी जमीन के ठीक सामने निर्माणाधीन भवन आ रहा है और विभाग उसको लगातार बचाने की कोशिश कर रहा है.