पिथौरागढ़: सीमांत जनपद पिथौरागढ़ का बेस अस्पताल 60 करोड़ रुपया खर्च करने के बाद भी कार्य अधूरा पड़ा है. साथ ही करोड़ों के मेडिकल उपकरण भी यहां पड़े-पड़े जंग खा रहे हैं और लोगों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में विपक्ष ने भी इस मामले को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है.
इसे सरकारी सिस्टम की लापरवाही कहें या सरकारों की उदासीनता, पिथौरागढ़ जिले की राजनीति का मुख्य बिंदु होने के बावजूद आज तक सीमांत जिले के लोगों को बेस अस्पताल का लाभ नहीं मिल पाया है. सरकार ने बेस अस्पताल बनाने के लिए अब तक 60 करोड़ की धनराशि खर्च कर दी है. बावजूद इसके ये 80 फीसदी ही तैयार हो पाया है.
बता दें कि, चीन और नेपाल बॉर्डर से लगे पिथौरागढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बेस अस्पताल की मांग दशकों से चली आ रही है. उत्तराखंड बनने के बाद सूबे में काबिज सभी सरकारों ने पिथौरागढ़ में बेस अस्पताल बनाने का ऐलान लेकिन कुछ काम नहीं हुआ. बता दें कि, साल 2005 में एनडी तिवारी सरकार ने जिला और महिला अस्पताल को मिलाकर बेस अस्पताल बनाने का ऐलान किया था.
मगर, उस वक्त विपक्षी बीजेपी ने इसका खुलकर विरोध किया. जिसके बाद सरकार को अपना ही फरमान वापस लेना पड़ा. 2010 में पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत ने चंडाक में बेस अस्पताल का काम शुरू कराया था. लेकिन 2012 में कांग्रेस की सरकार आते ही इसे चंडाक से हटाकर शहर के नजदीक पुनेड़ी शिफ्ट कर दिया गया. बीते 9 सालों में अस्पताल का ढांचा जरूर खड़ा हो गया है, मगर अभी भी इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाया.
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सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही पटरी से उतरी हुई है. कई बार यहां मरीजों को हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है. इस दौरान कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ चुके है. ऐसे में लोगों को बेस अस्पताल बनने से खासी उम्मीदें थी.